व्यापार परिदृश्य
देश का कुल विदेशी व्यापार 1991-92 में (आयात और निर्यात जोड़कर, जिसमें पुनर्निर्यात भी शामिल था) 91,893 करोड़ रुपए था। तबसे इसमें कभी-कभार आई कमी को छोड़कर निरंतर वृद्धि होती रही है। वर्ष 2008-09 में भारत का विदेशी व्यापार 2072438 करोड़ रुपए तक पहुँच गया।
भारत का निर्यात 2008-09 के दौरान 16.9 प्रतिशत बढ़कर रु. 7,66,935 करोड़ हो गया। अमेरिकी डॉलर में यह आंकड़ा साढ़े तीन प्रतिशत की वृद्धि के साथ 168.7 अरब अमेरिकी डॉलर पहुँच गया।
वर्ष 2008-09 में आयात 2007-08 के रुपए 10,12,312 करोड़ रु. के स्तर से बढ़कर 13,05,503 करोड़ हो गया जो रुपए में लगभग 30' वृद्धि आंकी गई। जबकि अमेरिकी डॉलर में 2008-09 के दौरान आयात 14.4 प्रतिशत बढ़कर 287.8 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े तक पहुँच गया। इस अवधि में भारत का तेल आयात 16.9 प्रतिशत बढ़कर 93.2 अरब डॉलर तक पहुँच गया। गैर तेल आयात भी बढ़कर 194.6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
वर्ष 2008-09 के दौरान व्यापार घाटा बढ़ा। वर्ष 2007-08 के 356449 करोड़ रु. की तुलना में यह 538568 करोड़ रु. तक पहुँच गया। अमेरिकी डॉलर में यह घाटा 119 अरब को पार कर गया जबकि पिछले वर्ष यह घाटा 88.5 अरब डॉलर था.
भारत के व्यापारिक संबंध सभी बड़े व्यापारिक समूहों और भौगोलिक क्षेत्रों से हैं। अप्रैल-फरवरी 2008-09 में एशिया और आसियान (दक्षिण एशिया, मध्य-पूर्व, खाड़ी देशों को) 51.4 प्रतिशत निर्यात किया गया। भारत के निर्यात में यूरोप और अमेरिका की भागेदारी क्रमश: 23.8 और 16.8 प्रतिशत रही। यूरोपीय संघ के 27 देशों का कुल भारतीय निर्यात में 22.3 प्रतिशत हिस्सा रहा। इस अवधि के दौरान अमेरिका को सबसे अधिक 12 प्रतिशत निर्यात किया गया।
आयात के मामले में एशिया और आसियान देशों का भारत के साथ सर्वाधिक व्यापार हुआ। इसके बाद यूरोप और अमेरिका का नंबर आता है। देशों के मामले में चीन सबसे आगे है। भारत के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 10.7 प्रतिशत रही।
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