शिवाजी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र, संभाजी मराठों के राजा बने. उन्होंने मुगल प्रदेशों पर हमले जारी रखा. उस समय, अहमदनगरऔर बीजापुर दोनों मुगल साम्राज्य के द्वारा कब्जे में ले लिए गए थे. अतः अब मराठे ही मुगलों के मूल दुश्मन थे.
मुगल बादशाह औरंगजेब नें मराठों को समाप्त करने के ऊपर अपनी सारी ताकत का इस्तेमाल किया. संभाजी 1689 ईस्वी में मुग़ल सेना द्वारा पकड़ लिया गया और मार डाला गया. उसका पुत्र शाहूजी बंदी बना लिया गया. संभाजी के भाई राजाराम ने कोंकण में जिंजियों के पास शरण ली. उसके पुत्र का नाम शिवाजी था, जोकि 1700 ईस्वी में मराठों का राजा बना और उसकी मां ताराबाई उसके रीजेंट के रूप में काम किया.
इस समय, मुगलों नें शाहूजी को छोड़ दिया जिसकी वजह से मराठों के मध्य एक गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गयी क्योंकि शाहूजी और ताराबाई दोनों नें मराठा सिंहासन का दावा किया. शाहूजी को बालाजी विश्वनाथ की मदद से विजय मिली.
बालाजी विश्वनाथ को शाहूजी के द्वारा 1713 ईस्वी में पेशवा नियुक्त किया गया था. कालांतर में पेशवा का पद वंशानुगत हो गया. ताराबाई नें कोल्हापुर में एक विरोधी केंद्र की स्थापना की.
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