जब भी कभी हम कुछ ऊपर की ओर फेंकते हैं तो वो सारी चीज़ें वापस नीचे ही खींचती हैं जिसका सीधा सा जवाब है की ऐसा गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की आखिर ऐसा क्यों होता हैं, क्यों गुरुत्वाकर्षण बल हमेशा नीचे ही खींचता है ऊपर क्यों नहीं खींचता इसके पीछे की वजह जानने से पहले यह जान लेते हैं की गुरुत्वाकर्षण बल क्या होता है.
गुरुत्व और आकर्षण
दो पिंडों के बीच आकर्षण करने वाला आकर्षण गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है. न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के अनुसार दो पिंडों के बीच एक आकर्षण बल काम करता है यदि इनमें से कोई एक बल पृथ्वी हो तो इस आकर्षण बल को गुरुत्व कहा जाता है. इसके अनुसार गुरुत्व यह आकर्षण बल है जिसके द्वारा पृथ्वी चीज़ों को अपनी ओर खीचती है.
गुरुत्व का प्रभाव
गुरुत्वाकर्षण वह बल है जिसके द्वारा चीज़े पृथ्वी पर गिरती हैं. दरअसल ऊर्जा या द्रव्यमान वाली चीज़ें एक दूसरे को आकर्षित करती हैं या फिर ग्रह सितारों की परिक्रमा करते हैं.
वर्ष 1915 में आइंस्टीन ने सापेक्षता का सिद्धांत स्थापित किया था. जिन वस्तुओं में द्रव्यमान होता है जैसे की पृथ्वी वह वास्तव में ताने-बाने को मोड़ और घुमाव देने का काम करती है.
क्या होता है स्पेस टाइम
स्पेस टाइम चार आयामों से मिलकर बना हुआ होता है जिसमें अन्तरिक्ष की लंबाई,चौड़ाई और ऊँचाई के तीन आयामों के साथ चौथा आयाम समय होता है.
आइंस्टीन ने खोज की थी की अन्तरिक्ष के लिए फिज़िक्स के नियम वहां लागू होते हैं जहाँ पर अन्तरिक्ष और समय एक साथ मिल जाते हैं अर्थात् अन्तरिक्ष और समय के जुड़ने के कारण यदि आप बहुत तेज़ी से गतिमान हो रहे हैं तो समय धीमा हो जाता है और इसी कारण से अंतरिक्ष में जाने वाले यात्री पृथ्वी की तुलना में कम तेज़ी से बूढ़े होते हैं.
क्या होता है ट्रैम्पोलीन
आमतौर पर इंसान का दिमाग तीन आयामों में ही सोच पाता है इस कारण स्पेसटाइम वाले चौथे आयाम के बारे में विचार करना मुश्किल होता है. ट्रैम्पोलीन उस चीज़ का नाम है जिसके द्वारा बच्चे उछल कर खेलते हैं. यदि ट्रैम्पोलीन पर कुछ न हो तो वह एक सपाट जगह है लेकिन यदि उस पर कोई वज़नदार वस्तु खड़ी हो जाए तो इसके पास एक खिचांव के कारण एक गड्ढा बन जाता है. लेकिन अगर कोई ट्रैम्पलीन पर हो और वह नीचे की जगह ऊपर की ओर धकेला जाए और बॉल केंद्र से दूर की ओर जाए तो ऐसे में गुरुत्व का पहाड़ बनसकता है .
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस स्थिति में गुरुत्व में आकर्षण की जगह विकर्षण पैदा हो जाएगा. लेकिन, वैज्ञानिकों ने अभी तक ऐसा कुछ सुनिश्चित नहीं किया है जो पृथ्वी या उसके बाहर इस तरह का बर्ताव करता हो.