बदलते समय और टेक्नोलॉजी के साथ-साथ खुद को अपडेट रखना बेहद ही जरूरी है। आज के समय में एआई में लगभग सभी इंडस्ट्री में अपने पैर पसार दिए हैं। एआई के इस दौर में आपको भी नई टेक्नोलॉजी से रु-ब-रू रखना बेहद ही जरूरी है। इसी संदर्भ में आईआईटी बॉम्बे ने भी एक नई पहल की है।
बता दे कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे ने जनरेटिव एआई में एक ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है, जिसे खास तौर से महिला पेशेवरों, उद्यमियों और प्रबंधकों के लिए डिज़ाइन किया गया है। देसाई सेठी स्कूल ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप (DSSE) 11 से 13 सितंबर तक 'जेनरेटिव एआई फॉर बिज़नेस: ए हैंड्स-ऑन इंट्रोडक्शन' शीर्षक से शुरुआती स्तर का कोर्स आयोजित करेगा। इस कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन करने की आखिरी तारीख 9 सितंबर है, जिसके बाद पोर्टल को बंद कर दिया जाएगा।
क्या है कोर्स का मकसद
इस कोर्स का उद्देश्य जनरेटिव एआई में व्यावहारिक कौशल प्रदान करना है। प्रतिभागी चैटजीपीटी, क्लाउड, जेमिनी, को-पायलट, डीएएलएलई, पेरप्लेक्सिटी, फ्लक्स1, ग्रोक और नोटबुक एलएम जैसे टूल्स का उपयोग करके लाइव प्रदर्शन और अभ्यास में शामिल होंगे। इन सत्रों में सहयोगात्मक शिक्षण प्रारूप में इन टूल्स के वास्तविक व्यावसायिक अनुप्रयोग शामिल होंगे।
दूसरा सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला संसाधन
संबंधित निष्कर्षों में, आईआईटी बॉम्बे के 'वरिष्ठ सर्वेक्षण 2025' से पता चला है कि चैटजीपीटी अब छात्रों के बीच कौशल सीखने के लिए कोर्सेरा जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के बाद दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला टूल है। संस्थान के आधिकारिक छात्र मीडिया निकाय, इनसाइट द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में 282 छात्रों के उत्तर प्राप्त हुए।
आज के दौर में क्या है छात्रों की पहली पसंद?
पसंदीदा शिक्षण विधियों के बारे में पूछे गए 272 उत्तरदाताओं में से 118 ने ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का हवाला दिया, 65 ने चैटजीपीटी का इस्तेमाल किया, और केवल 9 ने पुस्तकालय सामग्री पर भरोसा किया।
कितने प्रतिशत छात्र करते हैं चैटजीपीटी का इस्तेमाल?
एआई टूल्स के बढ़ते उपयोग के बावजूद, सर्वेक्षण से यह पता चला है कि आज भी कुछ क्षेत्रों में एआई की उपयोग काफी सीमित है। सर्वे से पता चलता है कि 138 में 89 छात्रों ने अभी तक सीवी बनाने के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल नहीं किया है, जबकि 46 छात्रों ने असाइनमेंट और प्रोजेक्ट के लिए इसका इस्तेमाल किया है।
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आईआईटी बॉम्बे के इस पहल से साफ है कि उनका उद्देश्य महिलाओं को एआई के दौर में सशक्त बनाना है।
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