उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में 'वंदे मातरम' गीत का गायन अनिवार्य किया है। CM ने यह अहम फैसला बिहार में दूसरे चरण के मतदान होने से पहले लिया है। गोरखपुर में एकता यात्रा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि “यह कदम नागरिकों में भारत माता और मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और गर्व की भावना को प्रेरित करेगा।” साथ ही, छात्रों में राष्ट्रीय भावना और देशभक्ति की भावना को मजबूत करेगा।
दूसरी ओर इस फैसले पर विपक्षी दलों, विशेषकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है, जिसने इस मुद्दे को राजनीतिक गरमाहट दे दी है। साथ ही, अखिलेश यादव ने वंदे मातरम को अनिवार्य किये जाने पर कहा, कि "हम जन गण मन सुनेंगे... अभी एक बच्चा आया था मैं उसे मिठाई देना चाहता था लेकिन उसने कहा मुझे केक चाहिए. मैं क्या जबरदस्ती उसके मुंह में लड्डू डाल दूं?" अखिलेश ने कहा "एक छोटा बच्चा जो कुछ नहीं जानता, हमने देश क्यों आजाद करवाया? क्योंकि हम आजादी चाहते थे, ताकि हमारा अपना संविधान हो”
योगी सरकार का फैसला: क्यों 'वंदे मातरम' अनिवार्य?
राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि “'वंदे मातरम' को स्कूलों में अनिवार्य करने का निर्णय किसी पर दबाव डालना नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना को उजागर करना है।”
| पहलू | सरकार का तर्क | डिटेल्स |
| उद्देश्य | छात्रों में देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव की भावना को बढ़ावा देना। | यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। |
| दायरा | प्रदेश के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और मान्यता प्राप्त स्कूलों पर लागू। | सुबह की सभा (Morning Assembly) में गाना अनिवार्य किया गया है। |
| कानूनी आधार | संविधान के तहत राज्य को शिक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने का अधिकार। | सरकार इसे संवैधानिक और नैतिक दायित्व मानती है। |
अखिलेश यादव की तीखी प्रतिक्रिया: 'असली मुद्दों से भटकाव'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस निर्णय पर समाजवादी पार्टी (SP) के मुखिया अखिलेश यादव ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने इस फैसले को जनता का ध्यान भटकाने की राजनीति करार किया है।
अखिलेश यादव ने कहा कि "योगी सरकार बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याओं जैसे असली मुद्दों पर बात नहीं करना चाहती। ये सिर्फ भावनात्मक मुद्दों को उठाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। देशभक्ति दिलों में होती है, उसे थोपा नहीं जा सकता। 'वंदे मातरम' पर राजनीति करना सिर्फ वोट बैंक की चाल है।"
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि अगर सरकार को वास्तव में राष्ट्रवाद की चिंता है, तो उन्हें बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
यह पहली बार नहीं है जब 'वंदे मातरम' को लेकर देश में राजनीतिक और सामाजिक बहस छिड़ी हो। यह गीत, जिसे बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था, आजादी के आंदोलन में प्रेरणा का स्रोत रहा है, लेकिन इसका अनिवार्य गायन कई बार धार्मिक स्वतंत्रता और राजनीतिकरण के नाम पर विवादों में रहा है।
यूपी सरकार का यह फैसला, जहां एक ओर राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थकों को खुश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इसे ध्रुवीकरण की राजनीति के रूप में पेश कर रहे हैं।
फिलहाल, इस फैसले पर राज्य की जनता और शिक्षण संस्थानों की प्रतिक्रिया आनी बाकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह निर्णय उत्तर प्रदेश की शिक्षा और राजनीति पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव डालता है।
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