| जिस तरह से समंदर की लहरों को गिनकर उसकी गहराई का अंदाज़ा लगा पाना संभव नहीं है या फिर सूरज की किरणों के आधार पर उसकी ताकत को नहीं समझा जा सकता है| ठीक उसी तरह से किसी एक इम्तिहान के नतीजे के आधार पर किसी के दो आंखों में बंद सपनों का हिसाब-किताब लगाना संभव नहीं हो सकता है| लेकिन क्या कहा जाये, अब तो नफ़े-नुकसान के फिराक में आज इंसान ने ख्वाबों को गिनना भी शुरू कर दिया है और वह भी किसी एक परीक्षा के परिणाम के आधार पर| ये बातें आज मैं आप लोगों से इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि अभी कुछ ही देर बाद बिहार बोर्ड के 12वीं के नतीजा आने वाले हैं । लाखों स्टूडेंट्स औऱ उनके माता-पिता फिर से एक बार नंबर के भंवर में अपने उम्मीदों की कश्तियाँ तैराने को बेताब होंगे अभी । अंकों के आधार पर ही नये-नये सपने बुन रहें होंगे | लेकिन सच्चाई तो यह है कि नंबर सिर्फ एक आंकड़े से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं । दुनिया के किसी भी नंबर में वह ताकत नहीं जो किसी बच्चे के हुनर औऱ उसकी काबलियत की सही-सही गवाही दे दे। आज मैं तो तमाम अभिभावक से यही उम्मीद करूँगा कि आपके बच्चे का जैसा भी रिजल्ट आये, आप अपने उनका हौसला जरुर बढ़ाएंगे| बच्चे को मिले मार्क्स के आधार पर उनके वजूद को आंकने की भूल कभी मत कीजियेगा आप । बच्चों, क्या कभी आपने सोचा है कि महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की परीक्षा का परिणाम कैसा आता था| या फिर प्रेमचंद ने कितनी और कौन-कौन सी परीक्षाएं पास की थीं| मैं तमाम बच्चों से भी यही कहूंगा कि अपने-आप से बात-चीत करो और अपने भीतर छिपी प्रतिभा को पहचानने का प्रयास करो | उसे ही अपनी ताकत बनाओ और फिर लग जाओ उसे निखारने में| कम या ज्यादा के हिसाब-किताब से दूर एक नई औऱ अनूठी दुनिया तुम्हारे इंतजार में पलकें बिछाए बैठी है। उनसे नजरे मिलोओ, सच का सामना करो और तब तक संघर्ष करते रहो जब तक आखिरी जीत ना मिल जाए। इन तमाम बातों के बावजूद भी आखिर क्यों अंकों के पीछे भागते हैं स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता? दरअसल में सभी यही समझते हैं कि परीक्षा में अगर अच्छे मार्क्स आयेंगे तब बड़े कॉलेज में दाखिला मिलेगा | फिर क्या |जिंदगी तो संवर ही जाएगी | लेकिन ऐसी बातें नहीं हैं| मैं अपनी जिंदगी के अनुभवों के आधार पर इतना तो जरुर कह सकता हूँ कि एक बड़े साधारण से कॉलेज से भी पढाई करके शिखर तक की यात्रा की जा सकती है | अपनी जिंदगी में अबतक मैंने ऐसे सैकड़ों उदहारण मैंने देखें हैं कि कैसे एक स्टूडेंट्स मामूली से कॉलेज में पढ़ते हुए उन ऊँचाइयों को भी छुआ है जिसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी | जरुर कॉलेज महत्वपूर्ण है लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि आप कितनी मेहनत करते हैं | आप कितने समर्पण भाव से पढाई में लगे हैं | आपमें कितनी प्यास है कुछ नया करने की | मुझे यकीन है, पूरा यकीन है कि आज जब आप अपना रिजल्ट देखें तब उनमे मिले अंकों से अपना मूल्यांकन न करते हुए पूरे उत्साह के साथ आगे की जिंदगी को खुबसूरत बनाने में जुट जायेंगे | और अगर आप ऐसा करते हैं तब एक दिन जरुर इतिहास आपको याद करेगा | मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं | |
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आनंद कुमार बिहार के जाने-माने शिक्षाविद एवं गणितज्ञ हैं, जिन्हें लोग “सुपर 30” के संस्थापक के रूप में जानते हैं. आनंद कुमार के मार्गदर्शन में सुपर 30 देश भर से 30 आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को चुनकर उन्हें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान [IIT] की प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारी करवाते हैं। प्रत्येक वर्ष यहाँ के 30 विद्यार्थीयों में से लगभग 95 प्रतिशत विद्यार्थी IIT JEE की प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त करते हैं. आनंद कुमार जी को वैश्विक स्तर पर मिलने वाली प्रसिद्धि का कारण उनके द्वारा अपनाई जाने वाली अनोखी शिक्षा पद्धति व छात्रों की सफ़लता की ओर निस्वार्थ प्रतिबद्धता है.
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