रेलवे में ब्रिटिश-काल से चली आ रही ‘बंगला चपरासी’ का नहीं होगा अब पद, जानें क्यों लिया गया यह फैसला

Aug 13, 2020, 12:58 IST

भारतीय रेलवे ब्रिटिश-काल से चली आ रही ‘बंगला चपरासी’ के पद को समाप्त करने जा रहा है. 

British era practice of bungalow peons in railway
British era practice of bungalow peons in railway

भारतीय रेलवे ब्रिटिश-काल से चली आ रही ‘बंगला चपरासी’ के पद को समाप्त करने जा रहा है. उल्लेखनीय है कि ‘बंगला चपरासी’ की नियुक्ति ब्रिटिश-काल से ही रेलवे के सीनियर ऑफिसर्स के घरों में की जाती रही है. रेलवे ने अब अपने फैसले में यह आदेश जारी किया है कि अब ‘बंगला चपरासी’ पद पर कोई नयी नियुक्ति नहीं की जाएंगी. रेलवे द्वारा यह घोषणा ब्रिटिश-युग की विरासत की समीक्षा के बाद की गई, जिसमें यह आरोप भी लगाया गया कि रेलवे अधिकारियों ने टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खालिस की सेवाओं का दुरुपयोग किया है. 

रेलवे में औपनिवेशिक युग के अभ्यास को समाप्त करने के निर्णय के तहत यह आदेश जारी किया गया है. ‘बंगला चपरासी’  यानी अटेंडेंट-कम-डाक खालिस (TADK) को ग्रुप-डी श्रेणी में भारतीय रेलवे का अस्थायी कर्मचारी माना जाता है. तीन वर्ष की सेवा पूरी होने पर स्क्रीनिंग टेस्ट के बाद इस पद पर स्थायी पोस्टिंग हो जाती है. इनकी नियुक्ति रेलवे ऑफिसर्स  के घरों में की जाती है, जिनका कार्य फोन कॉल अटेंड करना और अपने कार्यालयों से घरों तक फाइलें ले जाने का होता है. कई वर्षों से, इस बात पर चिंता जताई जा रही है कि TADK का उपयोग रेलवे ऑफिसर्स द्वारा उनके घर के कामों के लिए किया जा रहा था. अब रेलवे ने 6 अगस्त के अपने आदेश में उल्लेख किया है कि इस पद पर कोई नई नियुक्ति तत्काल प्रभाव से शुरू नहीं की जाएगी. वैसे अभी ये निर्रेणय रेलवे बोर्ड में समीक्षाधीन है. 

रेल मंत्रालय ने कहा,भारतीय रेल चौतरफा प्रगति के मार्ग पर है. नई-नई टेक्नोलॉजी अपनाए जाने एवं कार्पय की रिस्थितियों में बदलाव के कारण कई पुरानी प्रैक्टिसेस की समीक्षा की जा रही है. आगे कहा गया है कि 1 जुलाई 2020 से ऐसी नियुक्तियों के लिए अनुमोदित सभी मामलों की समीक्षा की जा सकती है और बोर्ड को सलाह दी जा सकती है. सभी रेलवे प्रतिष्ठानों में इसका सख्ती से अनुपालन किया जा सकता है. भारतीय रेलवे ने पिछले महीने आधिकारिक संदेश भेजने और लागत बचाने के प्रयास में डाक मेसेंजर, या निजी दूतों का उपयोग करने के बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की ओर बढ़ने के लिए का आदेश जारी किया था.

उल्लेखनीय है कि रेलवे ऑफिसर्स ने बंगला चपरासी (जिन्हें आधिकारिक तौर पर टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खालिस (टीएडीके) के रूप में जाना जाता है) के पद को समाप्त किये जाने के फैसले पर अपना विरोध दर्ज करना शुरू कर दिया है.

दक्षिण पश्चिम रेलवे, दक्षिणी रेलवे, पूर्व मध्य रेलवे और पश्चिम मध्य रेलवे के अधिकारियों के संघों ने रेलवे की घोषणा के एक दिन बाद, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को पत्र लिखा, जिसमें निर्णय को ‘एकतरफा’ और "चौंकाने वाला" बताया गया है. और कहा है कि इस फैसले ने उन अधिकारियों के मनोबल को प्रभावित किया है जो "कोविड -19 संकट के दौरान कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

 

Prashant Kumar is a content writer with 5+ years of experience in education and career domains. He has qualified UGC NET in History and was previously a faculty for IAS/PCS prep. He has earlier worked with Doordarshan & HT Media. At jagranjosh.com, Prashant creates real-time content for Govt Job Notifications and can be reached at prashant.kumar@jagrannewmedia.com
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