मनोरंजन की दुनिया हर किसी को लुभाती है। इन दिनों डिजिटाइजेशन (वेब सीरीज, यूट्यूब) की लोकप्रियता बढ़ने से शॉर्ट फिल्में भी खूब पसंद की जा रही हैं। क्रिएटिव लोगों के लिए इसमें प्रसिद्धि भी है और ढेरों पैसा कमाने के मौके भी। अगर आप भी इस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, तो फिल्म निर्माण से जुड़ी बारीकियां सीखकर फिल्म-टीवी कार्यक्रम बनाने से लेकर एडवर्टाइजिंग फिल्म, डॉक्यूमेंट्री, वीडियो एलबम आदि के जरिए अपनी पहचान बना सकते हैं... |
फिल्मों के मामले में इंडियन मीडिया एवं एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री दुनियाभर में पहले नंबर पर है। यहां हर साल करीब 3 हजार फिल्में बनती हैं, जो दर्शकों द्वारा खूब सराही भी जाती हैं। भले ही कुछ साल पहले तक फिल्म मेकिंग एक खर्चीला करियर माना जाता था और इसमें ग्रोथ की गुंजाइश कम होती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है। डिजिटाइजेशन के इस दौर में शॉर्ट फिल्मों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, जिन्हें बनाना भी काफी आसान और कम खर्चीला है। ऐसी फिल्में बनाने के लिए आपको सिर्फ एक अच्छी स्क्रिप्ट और एक अच्छा मोबाइल कैमरा चाहिए। मजे की बात है कि सोशल मीडिया पर ये फिल्में इन दिनों खूब देखी जा रही हैं और अच्छी कमाई भी कर रही हैं। जाहिर है क्रिएटिव लोगों के लिए आज फिल्म मेकिंग में मौके कहीं ज्यादा हैं, इसलिए फिल्म मेकिंग का पैशन रखने वाले युवा आज इस इंडस्ट्री में करियर बनाने को कहीं ज्यादा उत्सुक हैं। इस फील्ड में अपनी रुचि के अनुसार एक्टिंग और डायरेक्शन से लेकर प्रोडक्शन, सिनेमैटोग्रॉफी, स्क्रीन राइटिंग, साउंड रिकॉर्डिंग, फिल्म एडिटिंग जैसे किसी भी क्षेत्र में करियर तलाश सकते हैं।

अब कमाई की राह पर वेब सीरीज आज वेब सीरीज का जमाना है। लोग फिल्मों और टीवी सीरियल्स के साथ-साथ वेब सीरीज की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो सिर्फ 15 से 45 मिनट के होते हैं। वेब सीरीज यानी स्क्रिप्टेड वीडियोज की सीरीज, जो अलग-अलग विषयों पर आधारित होती हैं और इनकी सबसे बड़ी ताकत है इनका कंटेंट जिसे दुनिया में कहीं भी देखा जा सकता है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल बढ़ने से आज लोग स्मार्टफोन पर ऐसे वीडियो देखना खूब पसंद कर रहे हैं। दिलचस्प है कि ये फिल्में कमाई भी खूब कर रही हैं। यही कारण है कि टीवी और फिल्म के कई नामी स्टार अब वेब सीरीज में दिखाई दे रहे हैं। अगर आपके पास भी कोई आइडिया है और एक कैमरा और थोड़ी सी फिल्म मेकिंग की समझ, तो आप भी शॉर्ट फिल्मों से पैसे कमा सकते हैं। |
चमकदार हैं अवसर
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 तक इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के करीब 11.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ने की उम्मीद है। वैसे भी फिल्म इंडस्ट्री अपने आप में बहुत बड़ा क्षेत्र है। यहां टीवी-फिल्म डिवीजन में काम तो है ही, इंटरनेट के प्रसार से आज अनेक यूट्यूब चैनल्स आ गए हैं और लगातार नए-नए चैनल्स आ रहे हैं। डॉक्यूमेंट्री, एडवर्टाइजिंग, प्रमोशनल फिल्म्स, वीडियो एलबम या वीडियो गेम्स जैसी विधाएं भी इसी का हिस्सा हैं, जहां स्किल्ड और क्रिएटिव लोगों की हर समय जरूरत होती है। इतना ही नहीं, हाल के महीनों में वेब सीरीज ने भी जोर पकड़ लिया है, जिनमें जाने-माने एक्टर तक काम कर रहे हैं। किसी फिल्म के निर्माण में प्री-प्रोडक्शन से लेकर पोस्ट-प्रोडक्शन तक बहुत तरह के काम होते हैं, जहां अपनी रुचि और पैशन के अनुसार एक्टर, एडिटर, डायरेक्शर, म्यूजिक डायरेक्टर, लिरिक्स राइटर, स्क्रिप्ट राइटर, डायलॉग राइटर, एक्शन मास्टर, सिनेमैटोग्राफर, कोरियोग्राफर, साउंड इंजीनियर, सेट डिजाइनर, कॉस्ट्यूम डिजाइनर आदि में से कुछ भी बन सकते हैं। घरों में टीवी सीरियल्स की बढ़ती लोकप्रियता से छोटे पर्दे यानी टेलीविजन में भी युवाओं के लिए भरपूर संभावनाएं हैं। तमाम युवाओं को टीवी पर अपनी पहचान बनाने के बाद बड़े पर्दे पर अच्छे मौके मिल रहे हैं।
प्रमुख संस्थान
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क्रिएटिव सोच जरूरी
फिल्म मेकिंग पूरी तरह क्रिएटिव फील्ड है, इसलिए क्रिएटिव सोच के युवा जो कुछ नया करना चाहते हैं, कुछ हटकर करने की चाह रखते हैं, उनके लिए यह उपयुक्त फील्ड है। यह किसी कॉरपोरेट जॉब की तरह नहीं है, जहां कोई डिग्री लेकर आए और उसे तुरंत काम मिल जाता है। यहां खुद अपना रास्ता चुनना होता है। बहुत से लोगों को ऊंची-ऊंची डिग्री होने के बावजूद फिल्म मेकिंग में कुशलता हासिल करने के लिए यहां संघर्ष करना पड़ता है। इसलिए एक्टर या डायरेक्टर बनने के लिए आपमें टैलेंट होना भी बहुत जरूरी है। इसके अलावा, फिल्म मेकर को खुद एक अच्छा कहानीकार या कहानी की पहचानने रखने में सक्षम भी होना चाहिए। इसी तरह, अगर एक्टर बनने को इच्छुक हैं,तो कुछ नैसर्गिक टैलेंट और फिल्मों में गहरा इंट्रेस्ट होना चाहिए। कोर्स करने के बाद भी सफलता इस पर निर्भर करती है कि आप कितना ग्रो करते हैं और चीजों को कितनी जल्दी सीखते हैं।
लगन है तो जरूर सफल होंगे एक्टिंग या लेखन स्वत: विकसित होता है। प्रशिक्षण आपको सिर्फ राह बताता है। यदि आपके अंदर प्रतिभा होगी, तभी आप आगे निकल पाएंगे। मैंने स्वयं एनएसडी में प्रवेश के लिए प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो पाया। तब मैं स्ट्रीट चिल्ड्रेन के साथ नाटक करने लगा। मैंने दस साल तक संघर्ष किया। कई लोग तो 20 साल बाद सफलता पाते हैं। यदि नाटकों में काम करते हुए आपको लगता है कि आप सिनेमा में भी अभिनय कर सकते हैं, तो फिर मुंबई चले आइए। मैंने ऐसा ही किया था। यदि आपमें लगन होगी, तो आप निश्चित तौर पर सिनेमा में रोल पाने में सफल होंगे। जिनमें हिम्मत होती है, वे आगे बढ़ते जाते हैं और छा जाते हैं। साथ ही, कोई भी काम परफेक्शन के साथ करें और किताबें पढ़ना न छोड़ें। ज्यादातर लोगों को लगता है कि एक्टर को पढ़ना नहीं पड़ता है, लेकिन यह सही नहीं है। एक्टर को बहुत ज्यादा लिखना-पढ़ना पड़ता है।
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कोर्स एवं योग्यता
इस फील्ड में पहचान और लोकप्रियता हासिल करने के साथ लंबी पारी खेलना चाहते हैं, तो अपनी रुचि के फील्ड में कोर्स करके ही आना चाहिए। इससे इस फील्ड की बुनियादी बातों में पारंगत हो जाएंगे। वैसे यह कोर्स एनएसडी, एफटीआइआइ जैसे किसी अच्छे इंस्टीट्यूट से करना कहीं ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, कोर्स कर लेने से अच्छी शुरुआत मिलने के ज्यादा चांस होते हैं। किसी भी प्रोडक्शन हाउस और चैनल में आसानी से काम करने का मौका मिल जाता है। देश के कई संस्थानों में अभी फिल्म मेकिंग में तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम से लेकर डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स ऑफर हो रहे हैं, जहां से पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन सिनेमा, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन डायरेक्शन, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन सिनेमेटोग्राफी, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन साउंड रिकार्डिंग ऐंड साउंड डिजाइन, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन एडिटिंग, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन आर्ट डायरेक्शन ऐंड प्रोडक्शन डिजाइन, सर्टिफिकेट कोर्स इन स्क्रीनप्ले राइटिंग, डिप्लोमा इन वीडियो प्रोडक्शन, बैचलर ऑफ फिल्म टेक्नोलॉजी आदि कोर्स किए जा सकते हैं। इन संस्थानों से आप टेक्निकल कोर्स 12वीं के बाद कर सकते हैं। अगर कोई क्रिएटिव कोर्स करना चाहते हैं, तो इसके लिए किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएशन होना जरूरी है।
करनी पड़ती है जीरो से शुरुआत यदि आप कोई स्क्रिप्ट लिख रहे हैं, तो आप देखेंगे कि कई चीजें तो आप लिखते-लिखते सीख गए। गलतियों से न डरें। गलतियां करने पर ही सीखेंगे। आपके परिवार वाले फिल्म इंडस्ट्री में नहीं भी हैं, तो कोई बात नहीं। सभी को जीरो से शुरुआत करनी पड़ती है। उन्हें कदम दर कदम आगे बढ़ना पड़ता है। तभी सफलता मिलती है। सफल स्क्रिप्ट राइटर या डायरेक्टर बनना एक जर्नी के समान होता है। यदि आपने डिसीजन लिया है, तो उस पर अटल रहें। कभी यह मत सोचें कि सिर्फ मैं ही संघर्ष कर रहा हूं। लक्ष्य को पाने के लिए सभी संघर्ष करते हैं।
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अर्निंग अनलिमिटेड
दिल्ली स्थित एनआरएआइ के डायरेक्टर नलिन रंजन सिंह के अनुसार, फिल्म मेकिंग में कमाई की कोई सीमा नहीं है, क्योंकि यह इंडस्ट्री आपके काम की कद्र करती है। यहां अपने हुनर और अपनी अलग सोच के जरिए बेहिसाब पैसा कमा सकते हैं। फिल्म मेकिंग में अगर आपने टेक्निकल पढ़ाई की है, तो शुरू में 15 से 20 हजार रुपये आसानी से मिल जाते हैं, जहां 2 से 3 साल बाद हर महीने लाख रुपये तक कमा सकते हैं। फिल्म, टीवी शोज, सीरियल्स और कॉमर्शियल फिल्में बनाकर लोग लाखों रुपये तक कमा रहे हैं। शाहरुख खान, मनोज बाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे बिना किसी बैकग्राउंड वाले कलाकार महज अपने संघर्ष और अभिनय प्रतिभा के बल पर आज करोड़ों कमा रहे हैं।