भारत में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट करने से पहले यहां जरुर पढ़ें सारी अहम जानकारी

Jul 12, 2021, 21:32 IST

अगर आप भारत में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने वाले हैं तो कोई भी इन्वेस्टमेंट करने से पहले इस आर्टिकल को बड़े ध्यान से पढ़ें क्योंकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट करने में कुछ जोखिम और लाभ शामिल हैं.

Know all about Sovereign Gold Bonds before Investment
Know all about Sovereign Gold Bonds before Investment

हमारे देश भारत में सोने में इन्वेस्टमेंट करना काफी महंगा है क्योंकि यह कीमती धातु बाजार में महंगी बिकती है. लेकिन इसके बावजूद, कई भारतीय सोने में इन्वेस्ट करने में काफी दिलचस्पी रखते हैं. हालांकि, सोने में इन्वेस्टमेंट करने के संदर्भ में सबसे अच्छी बात तो यह है कि, सोने के भौतिक स्वरूप की सुरक्षा के बारे में आपको किसी भी प्रकार की चिंता करने की जरूरत अब नहीं है क्योंकि इन दिनों  कागज पर भी सोना खरीदा जा सकता है. दरअसल, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) वित्तीय बाजार में उपलब्ध सभी विकल्पों में से एक अलग किस्म का इन्वेस्टमेंट एवेन्यू आपके लिए प्रस्तुत करता है.

सोना खरीदने के इच्छुक इन्वेस्टर्स के लिए भारत सरकार द्वारा जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) खरीदकर सोने में इन्वेस्टमेंट करना अब काफी सरल उपाय साबित हो रहा है. इसी तरह, क्या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भौतिक सोने और गोल्ड ETF की तुलना में इन्वेस्टमेंट का एक बेहतर तरीका है. आइये यह सब जानने के लिए इस आर्टिकल को बड़े गौर से पढ़ें:

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) का परिचय

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) ​​एक ग्राम सोने के मूल्यवर्ग की सरकारी प्रतिभूतियां हैं जो किसी भी इन्वेस्टर के पास सोने के धातु के रूप में संग्रह की जगह लेती हैं. किसी भी इन्वेस्टर को SGB में इन्वेस्टमेंट के लिए निर्गम मूल्य का भुगतान नकद में करना होगा और फिर, वे इन्वेस्टर्स भारत सरकार (GoI) की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीद सकते हैं.

आखिर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) ही क्यों चुनें?

आसान लिक्विडिटी/ तरलता - अगर कोई इन्वेस्टमेंर SGB में किए गए इन्वेस्टमेंट को भुनाना चाहता है तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को लिक्विडेट करना/ नकद में बदलना काफी आसान होता है. इन बॉन्ड्स का वित्तीय बाजार में कारोबार होता है और जरूरत के समय ये आसानी से नकदी में परिवर्तित हो जाते हैं.

समय से पहले मोचन - लाभार्थी किसी निजी जरूरत के समय मौजूदा बाजार मूल्य पर SGB के बदले में नकदी हासिल कर सकता है. वह सोने की मात्रा, जिसके लिए इन्वेस्टर्स ने भुगतान किया है, उसे मोचन के समय चालू बाजार मूल्य प्राप्त होगा.

सुरक्षा - सोने की धातु रूप में सुरक्षा के लिए बहुत प्रयास करने पड़ते हैं और जब कोई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट करता है तो ये प्रयास काफी कम हो जाते हैं. गोल्ड को धातु के तौर पर स्टॉक में रखने के लिए बैंक लॉकर की व्यवस्था करने की आवश्यकता नहीं है. भंडारण के जोखिम और लागत दोनों ही SGBs के साथ समाप्त हो जाते हैं.

SGB में शामिल हैं संभावित जोखिम

SGB में शामिल एकमात्र संभावित जोखिम (पूंजी हानि का जोखिम) केवल तभी होता है जब सोने का बाजार मूल्य गिरता है.

भारत में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तो यहां आपके लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया प्रस्तुत है:  

  1. SGB में इन्वेस्टमेंट करने के इच्छुक व्यक्ति को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत परिभाषित, भारत का निवासी होना चाहिए
  2. हमारे देश में व्यक्ति, HUFs, ट्रस्ट, विश्वविद्यालय और धर्मार्थ संस्थान SGB में इन्वेस्टमेंट करने के लिए एलिजिबल हैं.
  3. ऐसे इन्वेस्टर्स, जो अपनी आवासीय स्थिति को निवासी से अनिवासी में बदलते हैं, वे सभी SGB के मोचन/ परिपक्वता की अवधि तक अपने SGBs को अपने पास रख सकते हैं.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट करने के बारे में जरुरी जानकारी

इच्छुक इन्वेस्टर्स सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स खरीदने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स का जरुर ध्यान रखें:

  1. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) भारत में नामित डाकघरों के माध्यम से बेचे जाते हैं.
  2. सेकेंडरी मार्केट (शेयर मार्केट) में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स को मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों जैसे - बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज - के माध्यम से भी खरीदा जा सकता है.
  3. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स रखने के लिए इन्वेस्टर्स को अपना DMAT खाता खोलना होगा. अपना DMAT खाता जल्द से जल्द खोलने और अपने इन्वेस्टमेंट पर मुनाफा कमाने के लिए इस आर्टिकल को आगे जरुर पढ़ें.

SGBs में इन्वेस्टमेंट और इनके पुनर्विक्रय/ मोचन का कार्यकाल

सामान्य मामलों में, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स के मालिक 05 साल के इन्वेस्टमेंट के बाद, इन बॉन्ड्स को भुना सकते हैं. हालांकि, अगर इन्वेस्टर्स अपने SGBs को बहुत लंबे समय तक नहीं रखना चाहता है, तो वे जल्दी/ समय से पहले मोचन का विकल्प भी चुन सकते हैं. इस निकास विकल्प का प्रयोग करने से 30 दिन पहले अपने बैंक को सूचित करना आपके लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है.

सेकेंडरी मार्केट ट्रेडिंग के मामले में, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स को प्रारंभिक सदस्यता तिथि से 14 दिनों के बाद या RBI के दिशानिर्देशों के विवेक के अनुसार भुनाया जा सकता है.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड या गोल्ड ETF

भौतिक सोने/ सोने की धातु के रूप में इन्वेस्टमेंट और गोल्ड ETF की तुलना में, एक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सोने में इन्वेस्टमेंट का ज्यादा लाभदायक तरीका है क्योंकि यह भारत सरकार की ओर से उच्चतम वित्तीय प्राधिकरण, RBI द्वारा समर्थित है. यह सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को अन्य सभी वित्तीय साधनों की तुलना में अधिक सुरक्षित बनाता है, जिनमें उच्च जोखिम शामिल है.

इच्छुक व्यक्तियों को यह सलाह दी जाती है कि वे इन्वेस्टर्स को लाभान्वित करने वाले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स की दिशा में किए जा रहे बदलावों से अपडेटेड रहने के लिए समय-समय पर RBI की वेबसाइट पर विजिट करते रहें.

*अस्वीकरण - यह समस्त जानकारी केवल आपके वित्तीय ज्ञान को बढ़ाने के लिए इस आर्टिकल में प्रस्तुत की गई है. इसे किसी भी व्यक्ति या संस्था के द्वारा वित्तीय सलाह के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए.

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