गणतंत्र दिवस हमारे संविधान के लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसके लागू होने के बाद ही भारत औपचारिक रूप से एक गणतंत्र बना था। लेकिन कितने भारतीय हैं जो भारत के इतिहास में 26 जनवरी की तारीख के वास्तविक महत्व को जानते हैं। हर वर्ष विशेष रूप से 26 जनवरी ही क्यों। गणतंत्र दिवस के तौर पर 26 जनवरी की तारीख इसलिए चुनी गई थी क्योंकि इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा ब्रिटिश शासन के डोमिनियन स्थिति के विरोध में भारतीय स्वतंत्रता की घोषणा की गई थी।
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मुख्य गणतंत्र दिवस समारोह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रपति के समक्ष आयोजित की जाती है। इस दिन राजपथ पर औपचारिक परेड होती है, यह भारत को, इसकी अनेकता में एकता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को श्रद्धांजलि देने जैसा होता है। वर्ष 1950 से भारत ने दूसरे देशों के प्रमुखों और राष्ट्राध्यक्षों की, गणतंत्र दिवस समारोह के लिए नई दिल्ली में सम्मानित अतिथि के तौर पर मेजबानी की है। संयुक्त अरब अमीरात के युवराज मोहम्मद बिन जाएद अल नाहयान गणतंत्र दिवस 2017 के लिए सम्मानित अतिथि हैं।
भारत के राष्ट्रपति जो भारतीय सशस्त्र बलों के कमांडर– इन– चीफ भी हैं, नौसेना और वायु सेना के साथ भारतीय थल सेना के अलग– अलग रेजिमेंटों की सभी प्रकार की सजावटों एवं आधिकारिक साज– सज्जा से सजे उनके बैंड के साथ सलामी लेते हैं।
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गणतंत्र दिवस भारत में तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। अन्य दो हैं– स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती। इस लेख में हम गणतंत्र दिवस की तारीख के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को जानने की कोशिश करेंगे।
26 जनवरी का संवैधानिक महत्व
कहा जाता है कि भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। मूल रूप से इसमें 395 अनुच्छेद और आठ अनुसूचियां हैं। यह तीन साल में बन कर तैयार हुआ और संविधान सभा ने प्रत्येक खंड पर जीवंत, तीखी और तीक्ष्ण बहस की थी। सभा की कार्यवाहियां 11 खंडों में और 1000 से अधिक पन्नों में प्रकाशित हुईं थी।
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26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को अफनाया गया था और 26 जनवरी 1950 को एक संघीय एवं लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के साथ यह प्रभाव में आया। खुद से तैयार किए गए संविधान प्रणाली को अपनाए जाने ने देश के एक स्वतंत्र गणराज्य होने की प्रक्रिया को पूरा किया।
गणतंत्र दिवस उस तारीख को सम्मान देता है जिस तारीख पर भारत का संविधान भारत के शासी दस्तावेज के तौर पर भारत सरकार अधिनियम (1935) के स्थान पर लागू हुआ था यानि 26 जनवरी 1950। दूसरी तरफ, भारत में प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को भारत में संविधान को अपनाए जाने के उपलक्ष्य में संविधान दिवस मनाया जाता है।
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26 जनवरी का ऐतिहासिक महत्व
26 जनवी का विशिष्ट इतिहास है। 26 जनवरी 1930 को ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित कर 'पूर्ण स्वराज' की मांग की थी। जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस पार्टी में 'डोमिनियन स्टेटस', जिसमें ब्रिटिश शासन सरकार का मुखिया बनी रहती, से संतुष्टों का विरोध करने के लिए मिल कर काम किया था।
वर्ष 1929 में, नववर्ष की पूर्व संध्या पर, मध्य रात्रि में, अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू ने लाहौर में रावी नदी के तट पर भारत का तिरंगा फहराया था, जो बाद में पाकिस्तान का हिस्सा बन गया। स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा ली गई जिसमें करों को माफ करने की तत्परता शामिल थी। समारोह का हिस्से बनने आए बड़ी संख्या में लोगों से पूछा गया कि क्या वे इससे सहमत हैं, तो ज्यादातर लोगों ने अनुमोदन में अपने हाथ उठा दिए। केंद्र और प्रांतीय विधानसभाओं के एक सौ बहत्तर भारतीय सदस्यों ने प्रस्ताव और भारतीय जनता के भावनाओं के समर्थन में इस्तीफा दे दिया।
भारत की आजादी की घोषणा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा प्रख्यापित की गई थी जिसने कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रवादियों को ब्रिटिश साम्राज्य के साम्राज्यवाद के खिलाफ पूर्ण स्वराज या पूर्ण रूप से स्व–शासन के लिए लड़ने को कृतसंकल्प कर दिया था।
स्वतंत्रता की घोषणा के बाद, गांधी और अन्य भारतीय नेताओं ने तत्काल एक बड़े राष्ट्रीय विद्रोह शुरु करने की योजना बनाई जो आम जनता को उसमें हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करे और क्रांतिकारियों को अहिंसा के लिए प्रतिबद्ध संघर्ष में शामिल करने में मदद करे। नमक सत्याग्रह की शुरुआत मोहनदास गांधी और कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता के लिए पहले संघर्, के तौर पर की थी।
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत की जनता को 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाने को कहा था। कांग्रेस के स्वयंसेवकों, राष्ट्रवादियों और जनता द्वारा पूरे भारत वर्ष में भारत का झंडा फहराया गया था। कांग्रेस ने 26 जनवरी को भारतीय स्वतंत्रता के लिए अभियान चलाने वालों के लिए नियमित रूप से भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। वर्ष 1947 में ब्रिटिश भारत को सत्ता एवं राजनीतिक कौशल के हस्तांतरण को राजी हुए और 15 अगस्त औपचारिक स्वतंत्रता दिवस बना।
हालांकि, भारत का नया संविधान, जैसा कि संविधान सभा द्वारा तैयार और अनुमोदित है, 1930 की घोषणा के उपलक्ष्य में 26 जनवरी 1950 को प्रभावी हुआ।
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