उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले का एक छोटा सा गांव माधोपट्टी देश के सभी गांवों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है। दरअसल, इस छोटे से गांव ने अब तक देश को 47 IAS , IPS, IFS और सिविल सेवा के कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी देने का काम किया है। साथ ही समाज में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों के लिए एक उदहारण पेश किया है।
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इस गाँव से 1914 में बने थे पहले IAS अधिकारी
समाचार रिपोर्टों के अनुसार, गाँव के पहले IAS अधिकारी मुस्तफा हुसैन, कवि वमीक जौनपुरी के पिता थे, जिन्होंने 1914 में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा को पास किया और पीसीएस में शामिल हो गए। हुसैन के बाद आईएएस इंदु प्रकाश थे जिन्होंने 1951 में सिविल सेवा परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की और IFS अधिकारी बने। वह करीब 16 देशों में भारत के राजदूत भी रहे। उन्हीं के भाई विद्या प्रकाश सिंह भी 1953 में आईएएस अधिकारी बने। तभी से यह सिलसिला चलता आ रहा है।
एक ही परिवार के 4 भाई हैं IAS अधिकारी
माधोपट्टी के नाम एक और अनोखा रिकॉर्ड दर्ज हैं। इसी गाँव के एक परिवार के चार भाइयों ने IAS की परीक्षा पास कर नया रिकॉर्ड कायम किया था। 1955 में परिवार के बड़े बेटे विनय ने देश के इस सबसे कृतिम प्रतियोगी परीक्षा में 13वां स्थान हासिल किया था और बाद में वह बिहार के मुख्य सचिव होकर रिटायर हुए।। इसके बाद उनके दोनों भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह ने 1964 में ये परीक्षा पास की इसके बाद इन्हीं के छोटे भाई शशिकांत सिंह ने 1968 में UPSC परीक्षा पास कर कीर्तिमान स्थापित किया।
कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी हैं इस गाँव के निवासी
जहाँ गाँव के कई युवाओं ने सिविल सेवा में करियर का विकल्प चुना, वहीं कुछ युवाओं ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और विश्व बैंक (वर्ल्ड बैंक) के साथ सफल करियर भी पाया। केवल 4000 लोगों की आबादी वाले इस गाँव ने देश को ना केवल 47 IAS/IPS दिए हैं बल्कि बैंक PO, SSC जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर भी कई अधिकारी दिए हैं।
गाँव के युवा कॉलेज से ही शुरू कर देते हैं UPSC की तैयारी
माधोपट्टी के एक शिक्षक ने एक इंटरव्यू में कहा कि गाँव में इंटरमीडिएट में पढ़ने वाले छात्र अक्सर IAS और PCS परीक्षाओं के लिए मार्गदर्शक पुस्तकों के साथ दिखाई देते हैं। अक्सर युवा स्कूल और कॉलेज से ही UPSC की परीक्षा की तैयारी शुरू कर देते हैं। क्योंकि गाँव के अधिकांश स्कूलों में शिक्षा का माध्यम अभी भी हिंदी है इसीलिए सभी युवा साथ साथ अपनी अंग्रज़ी सुधारने के लिए भी खुद को प्रशिक्षित करते हैं। गांव के लगभग हर बच्चे की तमन्ना अधिकारी बनने की है। गांव वाले कहते हैं कि इस गांव का बच्चा-बच्चा डीएम बनना चाहता है।
आश्चर्य की बात यह की इस गाँव में और ना ही दूर तक कोई भी कोचिंग इंस्टिट्यूट नहीं हैं फिर भी गाँव के युवा अपनी कड़ी मेहनत और लगन से बुलंदियां छू रहे हैं। यह इन युवाओं की मेहनत का ही नतीजा हैं कि आज माधोपट्टी देश में सबसे ज़्यादा IAS अधिकारी देने वाला गाँव बन गया है। साथ ही देश के हर युवा के लिए यह एक प्रेरणा भी है कि सुख सुविधाओं से वंचित होने के बावजूद यदि मेहनत की जाए तो सफलता अवश्य ही मिलती है।
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