UP Board कक्षा 10 विज्ञान के 18th जीवन की प्रक्रियाएँ (activities of life or processes) के 8th पार्ट का स्टडी नोट्स यहाँ उपलब्ध है| हम इस चैप्टर नोट्स में जिन टॉपिक्स को कवर कर रहें हैं उसे काफी सरल तरीके से समझाने की कोशिश की गई है और जहाँ भी उदाहरण की आवश्यकता है वहाँ उदहारण के साथ टॉपिक को परिभाषित किया गया है| इस लेख में हम जिन टॉपिक को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:
1. पौधों में जल तथा खनिज लवणों का स्थानान्तरण (Translocation of water and minerals in Plants)
2. रसारोहण का मार्ग (Path of ascent of Sap)
3. वलयन प्रयोग (Ringing experiment)
4. मुंच परिकल्पना (Munch Hypothesis)
5. जल अवशोषण की क्रियाविधि (Mechanism of Water Absorbtion)
6. प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Photosynthesis)
पौधों में जल तथा खनिज लवणों का स्थानान्तरण (Translocation of water and minerals in Plants):
पौधे भूमि से जल तथा खनिज लवण अवशोषित करके तने के जाहलम (xylem) ऊतक पतिर्या तक पहुंचते है। इस क्रिया को रसारोहण कहते है।
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : जीवन की प्रक्रियाएँ, पार्ट-VI
रसारोहण का मार्ग (Path of ascent of Sap) :
निन्नलिखित प्रयोगों से यह स्पष्ट होता है कि पौधों में रसारोहण की क्रिया जाइलम द्वारा होती है
1. वलयन प्रयोग (Ringing experiment) - इसमें गमले में लगी एकसमान दो शाखाओं से एक शाखा से तेज चाकू की सहायता से वल्कुट, फ्लोएम तथा मज्जा को निकाल देते हैं। दूसरी शाखा से जाइलम ऊतक को निकाल दिया जाता है।
कुछ समय पश्चात पौधे का प्रेक्षण करने पर ज्ञात होता है कि शाखा (A) जिसमे से जाइलम निकाल दिया गया था, सूख गई है; किन्तु शाखा (B) जिसमे से जाइलम नहीं निकाला गया था, हरी - भरी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि रसारोहण क्रिया पौधों में जाइलम के द्वारा होती है। इस प्रयोग में कुछ दिन बाद यह भी ज्ञात होगा कि शाखा (B) में वलय से ऊपर का स्थान भोजन संचय के कारण फुल गया है और इसमें जडे निकलने लगी है।
2. रसारोहण जाइलम (xylem) वाहिकाओँ तथा वाहिनिकाओं के द्वारा ही होता है इसे सरल प्रयोग द्वारा सिद्ध किया जा सकता है। गुलमेंहदी के पौधे को रंगीन पानी में डूबाकर रखने के कुछ समय पश्चात् तने तथा पती पर रंगीन धारियों देखी जा सकती हैं। यदि तने और पत्ती की अनुप्रस्थ काट काटी जाए तो केवल जाइलम वाहिनियाँ ही रंगीन दिखाई पडेगी| इससे सिद्ध होता है कि रसारोहण जाइलम वाहिनियों द्वारा होता है।
डिक्सन तथा जॉली (Dixon and Jolly, 1895) के वाष्पोत्सर्जन- संसंजन - तनाव सिद्ध के अनुसार रसारोहण निम्नलिखित तथ्यों पर निर्भर करता है-
(i) जालम वाहिकाओं में जल का अटूट जल स्तम्भ होता है,
(ii) जल अणुओं के मध्य लगभग 350 वायुमण्डलीय दाब के बराबर का संसंजन बल (cohesive force) होता है!
(iii) वाष्पोत्सर्जन कर्षण (transpiration pull) के कारण ज़ल-स्तम्भ पर तनाव होता है। वाष्पोत्सर्जन कर्षण के कारण ज़ल-स्तम्भ पतियों के जाइलम तक ऊपर उठता चला जाता है। वाष्पोत्सर्जन कर्षण के कारण पौधे जडों द्वारा जल का निष्क्रिय अवशोषण करते हैं।
पौधों में कार्बनिक भोज्य पदार्थ का परिवहन से सम्बंधित मुंच परिकल्पना का उल्लेख :
पत्तियों में बने भोज्य पदार्थों का आवश्यकतानुसार पौधे के अन्य भागो में स्थानान्तरण घुलित अवस्था में फ्लोएम (phloem) द्वारा होता है। सामान्य परिस्थितियों में कार्बनिक भोज्य पदार्थों का स्थानान्तरण पतियों से जड़ की ओर होता है। बीज तथा कन्द आदि संचय स्थलों से अंकुरण के समय भोज्य पदाथों का स्थानान्तरण विपरीत दिशा में भी होता है।
खाद्य के स्थानान्तरण का कार्य मुख्यत: चालनी-नलिकायों (sieve tubes) तथा सहकोशिकाओं (companion cells) द्वारा होता है।
मुंच परिकल्पना (Munch Hypothesis) :
खाद्य पदार्था के स्थानान्तरण के सन्दर्भ मे" अनेक परिकल्पनाएँ प्रस्तुत की गई है इनमें से मुंच परिकल्पना सर्वमान्य है। मुच (Munch, 1927-30) ने फ्लोएम में भोज्य पदार्थों के स्थानान्तरण के सम्बन्ध में कहा है कि यह क्रिया अधिक सान्द्रता वाले स्थानों से कम सान्द्रता वाले स्थानो की ओर होती है।
पर्णमथ्योंत्तक कोशिकाओं' (mesophyll cells) में निरन्तर भोज्य पदार्थों के बनते रहने के कारण परासरण दाब अधिक बना रहता है। जड़ अथवा भोजन संचय करने बाले भागो में शर्करा के उपयोग के कारण अथवा भोज्य पदार्थों के अघुलनशील अवस्था में बदलकर संचित होने के कारण कोशिकाओं का परासरणी दाब कम रहता है। इसके फलस्वरूप पर्णमथ्योंतक कोंशिकाओ से भोज्य पदार्थ अविरल रूप से फ्लोएम में प्रवाहित होते रहते है।
परासरण (Osmosis) - अर्द्धपारगम्य झिल्ली से होने वाले विसरण को परासरण कहते हैं। इस क्रिया में कम सान्द्रता वाले घोल से अधिक सान्द्रता वाले घोल की ओर घोलक (जल) के अणु गति करते है।
मूलरोम (Root hairs) - जड़ की मुलीय त्वचा से एककोशिकीय मूलरोम बनते हैं| ये जड़ तथा इसकी शाखाओं के अग्र छोर यर पाए जाते। मूल रोमों के कारण पौधे का भूमि से सम्पर्क तल हजारो गुना बढ़ जाता है।
जल अवशोषण की क्रियाविधि (Mechanism of Water Absorbtion):
प्रत्येक मूलरोम का जीवद्रव्य तथा कोशिका कला मिलकर एक वरणात्मक पारगम्य कला की तरह कार्य करती है (कोशिका भित्ति तो सेलुलोस की बनी होती हैं तथा पूर्णत: पारगम्य होती हैं) और भूमि में मृदाकणों के बीच उपस्थित जल (इसे केशिकीय जल कहते है) के साथ सम्पर्क बनाते हैं। मूलरोम के अन्दर उपस्थित केन्दीय रिक्तिका में अनेक पदार्थों का विलयन - कोशिका का रिक्तिका रस होता है।
इस प्रकार, रिक्तिका रस और कोशिका जल के बीच उपस्थित वरणात्मक पारगम्य कला में होकर कोशिका जल अपने अन्दर घुसे अल्प मात्रा में खनिज लवणों के साथ रिक्तिका रस में परासरित हो जाता है।
मूलरोम की रिक्तिका से यह जल समीपवर्ती कॉंर्टेक्स को कोशिकाओं में उपस्थित जल की कमी के कारण चला जाता है। इस प्रकार, मूलरोम और अधिक जल अवशोषित करता रहता है। यह कॉंर्टेक्स की कोशिकाओं से होता हुआ क्रमश: तथा धीमें - धीमें जड़ के भीतरी भाग में उपस्थित जाइलम वाहिकाओं मे पहुंचता रहता हैं।
इस प्रकार, जल का अवशोषण जडों द्वारा प्रधानत: परासरण के द्वारा होता है ऊर्जा की उपस्थिति में जल का सक्रिय अवशोषण तथा वाष्पोत्सर्जन खिचाव के कारण निष्क्रिय अवशोषण होता है।
प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Photosynthesis) - यह क्रिया आन्तरिक तथा बाह्य कारकों से प्रभावित होती है-
1. आन्तरिक कारक (Internal factors) - इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कारक आते है-
(i) पत्ती की संरचना (Structure of Leaf) - पर्णफलक का आकार, उपचर्म की मोटाई, पत्ती की सतह पर रोमों, मोम (wax) की परत, रन्ध्रो की संख्या, वितरण एवं संरचना प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करती है।
(ii) पर्णहरिम (chlorophyll) - यह अति महत्त्वपूर्ण कारक है। इसकी मात्रा प्रकाश संश्लेषण क्रिया को प्रभावित करती है।
(iii) कोशिका में संचित खाद्य पदार्थ की मात्रा (Amount of Stored food in the cell)- खाद्य पदार्थ की अधिकता प्रकाश संश्लेषण क्रिया की दर को कम कर देती है।
2. बाह्य कारक (External factors) - ड़सके अन्तर्गत निम्नलिखित कारक आते है-
(i) प्रकाश (Light) - सौर प्रकाश जैव जगत के लिए ऊर्जा का स्त्रोत है। प्रकाश की गुणवक्ता (quality), तीव्रता (intensity); अवधि (duration) प्रकाश संश्लेषणा क्रिया को दर को प्रभावित करती है।
(ii) कार्बनडाइआक्साइड (Carbon dioxide) - यह प्रकाश संश्लेष्ण क्रिया का कच्चा पदार्थ (raw material) है। 0.1% तक CO2 की मात्रा बढ़ने पर क्रिया की दर बढती है। इससे अधिक सान्द्रता क्रिया को अवरुद्ध करती है।
(iii) जल (water) - यह प्रकाश संश्लेषण क्रिया का कच्चा पदार्थ है। समस्त जैविक क्रियाएँ जल की उपस्थिति में सम्पन्न होती है। जल को कमी क्रिया की दर को प्रभावित करती है।
(iv) तापमान (Temperature) - प्रकाश संश्लेषण क्रिया हेतु 10० स्ने 35०C ताप उपयुक्त माना जाता हैं। कुछ पौधे 5०C ताप पर भी इस क्रिया को करते हैं। प्रत्येक 10oC ताप बढने पर क्रिया की दर दुगुनी हो जाती है। 40oC से अधिक ताप क्रिया की दर पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
(v) खनिज (Minerals) - Fe, Mg, Cu, Zn, K आदि अप्रत्यक्ष रूप हैं प्रकाश संश्लेषण क्रिया को प्रभावित करते है।
समस्त कारक ब्लैकमैन के सीमाकारी कारको के सिद्धान्तानुसार क्रिया की दर को प्रभावित करते हैं।
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : जीवन की प्रक्रियाएँ, पार्ट-VII
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