UP Board कक्षा 10 विज्ञान के 21th जनन (reproduction) के 1st पार्ट का स्टडी नोट्स यहाँ उपलब्ध है| हम इस चैप्टर नोट्स में जिन टॉपिक्स को कवर कर रहें हैं उसे काफी सरल तरीके से समझाने की कोशिश की गई है और जहाँ भी उदाहरण की आवश्यकता है वहाँ उदहारण के साथ टॉपिक को परिभाषित किया गया है| इस लेख में हम जिन टॉपिक को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:
जनन (Reproduction) :
जीवधारियो' में सन्तानोत्पति का जैविक लक्षण पाया जाता है। जनन द्वारा जीवधारी अपनी प्रजाति को सृष्टि में बनाए रखते हैं। जीवधारियों में अपने जैसो सन्तान उत्पन्न करने की क्षमता पाई जाती है। एककोशिकीय जीवधारियों में सामान्य कोशिका विभाजन के फलस्वरुप जनन होता है। जैव विकास के साथ-साथ जीवधारियों में जटिलता बढ़ती गई, फलत: जनन विधियां भी जटिल होती गई हैं।
जीवधारियों में सामान्यत: दो प्रकार से जनन होता है-
(1) अलैंगिक (asexual) जनन तथा (ii) लैंगिक (sexual) जनन|
जन्तुओं में अलैंगिक जनन(Asexual Reproduction in Animals) :
अलैंगिक जनन में शरीर का कोई भाग या इससे बनी हुई कोई विशेष संरचना नए जीव का निर्माण कर देती है। अलैंगिक जनन में युग्मक या जनन इकाइयों का संलयन (fusion) नहीं होता। अलैंगिक जनन सामान्यत: निग्न श्रेणी के जन्तुओं में पाया जाता है। उच्च श्रेणी के जन्तुओं में अलैगिकं जनन नहीं पाया जाता।
1. एककोशिकीय जन्तुओं में अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction in Unicellular Animals) :
1. विखण्डन (Fission) - एककोशिकीय जन्तु जैसे - अमाँबा, मलेरिया परजीवी, पैरामीशियम आदि में कोशिका (जीव) का केन्द्रक दो भागो में बँट जाता है। इसके पश्चात् कोशिकाद्रव्य भी दो भागों में बँट जाता है और दो संतति जीव बन जाते हैं।
2. बहुविखण्डन या बहुखण्डन (Multiple fission) - अमीबा, मलेरिया परजीवी एवं प्लाज्योडियम
(Plasmodium) जैसे एककोशिकीय जीवों में अत्यधिक ताप और शीत से बचने के लिए जन्तु एक आवरण में बन्द हो जाता हैं इसको पुटी (cyst) कहते हैं। इसका केन्द्रक तथा कोशिकाद्रव्य अनेक बार विभाजित होकर संतति बीजाणु बनाता हैं। अनुकूल वातावरण आने पर पुटी फट जाती हैं और संतति जीव मुक्त हो जाते हैं।
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : जीवन की प्रक्रियाएँ, पार्ट-VIII
3. बीजाणुजनन (Sporulation) - अमीबा आदि में कभी-कभी केन्द्रक कला जगह-जगह से टूट जाती है और केन्द्रक के क्रोमैटिन कण क्रोशाद्रव्य में मुक्त हो जाते हैं। इन क्रोमैटिन कणों के चारों ओर कोशिकाद्रव्य एकत्र होकर बीजाणु बनाते हैं। जीव के चारों ओर जो कठोर आवरण बन जाता है वह अनुकूल परिस्थितियों में फट जाता है और प्रत्येक बीजाणु एक नए जीव में बदलकर मुक्त हो जाता है|
4. पुतिभवन (Encystment) – इसमें एककोशिकीय जन्तु अपने चारों ओर रक्षात्मक आवरण बनाता है| अनुकूल परिस्थितियाँ मिलने पर रक्षात्मक आवरण को तोड़कर जीव (जन्तु) मुक्त हो जाता है| इसमें जीवधारी की संख्या वृद्धि नहीं होती है|
II. बहुकोशिकीय जन्तुओं में अलैंगिक जनन (Asexual Reproducation in Multicellular Animals) :
1. मुकुलन (Budding) – हाइड्रा जैसे जन्तुओं में मुकुलन द्वारा अलैंगिक जनन होता है| हाइड्रा के जठर क्षेत्र पर एक छोटी – सी कलिका निकलती है जो कुछ समय तक शरीर पर ही बढती रहती है| बाद में अलग होकर नया हाइड्रा बना लेती है|
2. पुनरुदभयन (Regeneration) - स्पंज, हाइड्रा आदि जीवों को दो या दो से अधिक भागो में काटने पर प्रत्येक भाग, क्षतिग्रस्त भाग को पूरा करके एक पूण जीव बना लेता है। इसी प्रकार केंचुआ, सितारा मछली आदि जीव शरीर का अधिकाशं भाग दोबारा बना लेते है। पुनरुदभवन के गुण के कारण हाइड्रा की एक से अधिक जातियों के कटे हुए शरीर के भाग आपस में जोडे जा सकते हैं। इस क्रिया को रोपण (grafting) कहते हैं|
जन्तुओं में लैंगिक जनन (Sexual Reproduction in Animals) :
जन्तुओं में लैगिक जनन के अन्तर्गत दो अगुणित (haploid) युग्मकों (gametes) के संलयित होने से द्विगुणित (diploid=2n) युम्मन्ज (zygote) का निर्माण होता है। एककोशिकीय जन्तुओं को छोड़कर सभी जन्तुओं में युग्मनज से एक बहुकोशिकीय भ्रूण (embryo) का निर्माण होता है। भूण से वयस्क जन्तु (नई सन्तान) बन जाता है। अनेक जन्तु जातियों द्विलिंगी (herimaphrodite) होती है किन्तु इनमें सामान्यत: परनिषेचन (cross fertilization) ही होता है। एकलिंगी जन्तुओं में बहुधा लैंगिक द्विरूपता (sexual dimorphism) पाई जाती है अर्थात् इनमे नर (male) तथा मादा (female) अलर - अलग पहचाने जाते है। दोनो ही स्थितियों में, जन्तुओं में लैंगिक जनन द्विजनकीय (biparental) होता है। स्व-निषेचन (self-fertilization) बहुत कम जन्तुओं में मिलता है।
जन्तुओं में लैगिक जनन के विभिन्न चरण (Different steps of Sexual reproducation in Animals) :
1. युग्मकों का निर्माता (Formation of gametes) - युग्मकों का निर्माण युग्मकजनन (gametogenesis) के द्वारा होता है! इसमें जनन कोशिका (generative cell) में अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) के द्वारा अगुणित (haploid) युग्यकों का निर्माण होता है। नर में शुक्राणु (spermatozoa) का और मादा में अण्ड या अंडाणु (ovum) का निर्माण होता है । इसी कारण नर में यह क्रिया शुक्राणुजनन (spermatogenesis) तथा मादा में अण्डज़नन (oogenesis) कहलाती है।
2. युग्मकों का संलयन (Fusion of Gametes) - संयुग्मन (syngamy) या निषेचन के द्वारा शुक्राणु (sperm) तथा अण्ड (ova) परस्पर मिलते हैं। प्राय: शुक्राणु चल (motile) होता है अण्ड के पास पहुंचकर उससे संलयित (fuse) हो जाता है। इस क्रिया में पहले इनके कोशिका द्रव्य मिलते है तथा बाद में केन्द्रक (nuclei)। इस क्रिया को निषेचन (fertilization) कहते हैं। संलयन के फलस्वरूप द्विगुणित (diploid) युग्यनज़ (zygote) बनता है। अधिकतर अकशेरुकी जन्तुओं तथा मछली एवं उभयचर आदि में मादा अपने अण्डे जल में देती है। नर भी शुक्राणुओं (sperms) को जल में छोड देता है। जल में ही ये शुक्राणु अपनी जाति के अण्डों के साथ संयुम्मित होते है । इस प्रकार जब अण्डों का निषेचन मादा जन्तु के शरीर के बहार होता है (जैसे - मेडक में) तो इसे बाह्य निषेचन (external fertilization) कहते हैं। मनुष्य सहित सभी स्तनियों, सरीसृपों, पक्षियों तथा अनेक अपृष्टवंशी जन्तुओं ने आन्तरिक निषेचन (internal fertilization) होता है अर्थात् मादा जन्तु के शरीर में अण्ड (ovum) रहते हैं। नर जन्तु द्वारा शुक्राणु मादा के शरीर के अन्दर ही पहुंचाए जाते है।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation