In this article you will get UP Board class 10th Science notes on Sulphur dioxide and Ammonia gases. Here we are providing each and every notes in a very simple and systematic way. Many students find science intimidating and they feel that here are lots of thing to be memorised. However Science is not difficult if one take care to understand the concepts well.The main topic cover in this article is given below :
1. सल्फर डाईऑक्साइड बनाने की प्रयोगशाला विधि
2. रासायनिक अभिक्रिया
3. सल्फर डाइआँक्साड़दृ विरंजक के रूप में
4. अमोनिया बनाने की विधि
5. उपयोग
6. क्लोरिन तथा सल्फर डाइआक्साइड के विरंजक गुणों की तुलना
7. अमोनिया जल में अत्यधिक विलेय है, इसकी प्रयोगशाला विधि
सल्फर डाईऑक्साइड बनाने की प्रयोगशाला विधि :
प्रयोगशाला में सल्फर डाइआक्साइड गैस ताँबे की छीलन को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करके बनाई जाती है।
लगाते हैं| एक अन्य फ्लास्क में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल लेकर उसमें भी दो छिद्र वाला कॉर्क लगाते हैं| पहले फ्तास्क है लगी हुईं निकास नली के दूसरे सिरे को कॉर्क के एक छिद्र में से होकर अम्ल भरे फ्लास्क में डुबो देते हैं। कॉर्क के दूसरे छिद्र में से होकर एक दूसरी दो स्थान पर समकोण पर मुई हुई निकास नली लगा देते हैं। इस निकास नली के दूसरे सिरे को गैस जार में लगा देते हैं। अब थिसिल कीप से फ्लास्क मेँ सान्द्र H2SO4 इतनी मात्रा में डालते हैं कि थिसिल कीप का निचला सिरा अम्ल में डूब जाए। जब फ्लास्क को बर्नर से गर्म किया जाता है तो सल्फर डाइआँक्साइड बनती है जो कि सान्द्र H2SO4 से भरे फ्लास्क में पहुंचती है, जहाँ इसकी नमी को अम्ल के द्वारा शोषित कर लिया जाता है तथा शुष्क गैस को वायु के ऊपरमुखी विस्थापन द्वारा गैस जार में एकत्रित कर लिया जाता है।
रासायनिक अभिक्रिया –
(1) यह अम्लीय पोटैशियम डाहक्रोमेट के विलयन का रग हरा कर देती है-
नवजात हाइड्रोजन रंगीन वस्तुओं को अपचयित करके उनका विरंजन कर देती है-
रंगीन पदार्थ + [H] रंगीन पदार्थ
जब इस प्रकार विरंजन की हुई वस्तुओं को वायु में रखा जाता है, तब वायु की आक्सीजन द्वारा इनका आक्सीकरण हो जाता है तथा रंगहीन वस्तुएँ फिर से रंगीन हो जाती हैं| सल्फर डाइआक्साइड की विरंजन अभिक्रिया अस्थायी होती है|
सल्फर डाइआँक्साड़दृ विरंजक के रूप में :
सल्फर डाइआँक्साइड के गैस जार में भीगे हुए रंगीन फूल डालने पर उनका रंग उड़ जाता है। यह रेशम, ऊन आदि से निर्मित वस्तुओं का विरंजन करने (रंग उडाने) के लिए प्रयुक्त की जाती है। यह जल के साथ अभिक्रिया करके नवजात हाइड्रोजन उत्पन्न करती है:
आवश्यक सामग्री – गोल पेंदी का फ्लास्क, नौसादर तथा शुष्क बुझे चुने का मिश्रण, बिना बुझा चुना, स्पिरिट लैम्प, एक छिद्र वाली कॉर्क, दो बार समकोण पर मुड़ी काँच की नली, गैस जार आदि|
विधि - एक फ्लास्क में 2 : 1 के अनुपात में नौसादर और बुझे हुए चुने का मिश्रण लेते हैं| इसमें एक छेद वाला कॉर्क लगा देते हैं| इस कॉर्क में दो बार समकोण पर मुड़ी हुई निकास नली लगा देते हैं|
निकास नली का दूसरा सिरा बिना बुझे चुने (CaO) से भरी बोतल के एक सिरे पर लगा देते हैं| बोतल के दुसरे सिरे में कॉर्क लगाकर एक नली लगा देते हैं तथा नली के ऊपर उल्टा करके गैस जार रख देते हैं|
फ्लास्क को धीरे-धीरे गर्म करने पर अमोनिया गैस बनने लगती है| इस गैस में नमी होती है| इस नमीयुक्त गैस को बिना बुझे चुने से भरी बोतल में प्रवाहित करने पर नमी अवशोषित हो जाती है| इस प्रकार शुष्क अमोनिया गैस प्राप्त होती है| इस गैस को वायु के अधोमुखी विस्थापन द्वारा गैस जार में एकत्र
उपयोग-
(1) इसे बर्फ बनाने के कारखाने में प्रयुक्त किया जाता है|
(2) यह गैस अमोनिया लवण बनाने के काम आती है, जिन्हें खाद तथा ओषधि के रूप में प्रयुक्त किया जाता है|
(3) इसका उपयोग कृत्रिम रेशम बनाने में किया जाता है|
(4) अमोनिया गैस ‘अश्रु गैस’ बनाने में भी प्रयुक्त की जाती है|
(5) विस्फोटक पदार्थ बनाने में अमोनिया प्रयुक्त की जाती है|
UP Board Class 10 Science Notes : Metals and Non Metals Part-I
क्लोरिन तथा सल्फर डाइआक्साइड के विरंजक गुणों की तुलना :
अमोनिया जल में अत्यधिक विलेय है, इसकी प्रयोगशाला विधि – जल में अमोनिया की विलेयता को निम्नलिखित प्रयोग द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं-
एक गोल पेंदी फ्लास्क में शुष्क अमोनिया लेकर उसमें एक टोंटीदार जेट नली एक कॉर्क की सहायता से लगाते हैं| फिर उस फ्लास्क को फिनालफ्थेलिन मिले जल से भरी एक द्रोणिका में उल्टा कस देते हैं| अब टोंटी खोल दी जाती है| जल शीघ्रता से फ्लास्क में चढ़ता है और गुलाबी फव्वारे के रूप में जेट नली से निकलता है| इसका कारण यह है कि जैसे ही जल फ्लास्क में निर्वात उत्पन्न हो जाता है जिससे जल और शीघ्रता से फ्लास्क में भर जाना चाहता है; अत: जेट नली में फव्वारा फुट पड़ता है, अत: जेट नली में घुलकर क्षारीय विलयन बनाती है और उस क्षारीय विलयन में फिनालफ्थेलिन का रंग गुलाबी हो जाता है, इसीलिए फव्वारे का रंग गुलाबी दिखाई पड़ता है| इससे स्पष्ट है कि अमोनिया जल में अत्यन्त विलेय है|
UP Board Class 10 Science Notes : Methods of preparation, properties and uses of some salts part-I
UP Board Class 10 Science Notes : Metals and Non Metals Part-II
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