Get Tobacco, alcohol and narcotic drugs short notes from here. Short notes helps student to revise the complete syllabus in a minutes. In this note we are covering all important topic from this chapter. You can go through the article and revise the complete chapter in minute.
मादक वस्तुओं के प्रकार तथा तम्बाकू का शारीर पर दुष्प्रभाव :
सभी मादक पदार्थ हानिकारक होते हैं। इनमे से कुछ का उपयोग पेय के रूप में किया जाता है, जैसे - मदिरा (ऐस्कोहॉल)। कुछ तम्बाकू की तरह चबाए जाते है अथवा इनका धुआँ निगला जाता है, जैसे - गाँजा, चरस, तम्बाकू आदि। कुछ मादक पद्वार्थ खाए जाते हे, जैसे - अफीम, भाँग आदि।
मादक पदार्थों को तीन समूहों में विभाजित किया जा सकता है-
(क) तीव्र प्रभावडालने जाले मादक पदार्थ; जैसे - ब्राउन शुगर, हेरोइन, अफीम, चरस, स्मैक, शराब, कोकीन आदि।
(ख) मध्यम प्रभाव डालने वाले मादक पदार्थ; जैसे - तम्बाकू, भाँग आदि।
(ग) बहुत धीमी गति से प्रभाव डालने वाले मादक पदार्थ; जैसे - कॉफी, कोको आदि।
तम्बाकू (Tobacco) - धुम्रपान (Smoking) :
तम्बाकू निकोटियाना टेबेकम (Nicotiana tabacum) नामक पौधे की पत्तियां होती है जिनमें एक विषैला ऐल्केलायड (alkaloid) निकोटीन पाया जता है। प्रति 100 औस तम्बाकू को सूखी पत्तियों में 2 औस निकोटीन होता है।
सामान्यत: लोग तम्बाकू का प्रयोग सिगरेट , बीडी, चुरुट तथा हुक्के के द्वारा करते हैं। इसके प्रयोग का मनुष्य के शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है । प्रौढ व्यक्तियों पर इसका प्रभाव धीरे- धोरे किन्तु बालकों पर
इसका प्रभाव बडी शीघ्रता से होता है। बालको पर इसका प्रभाव क्षणिक न होकर स्थायी होता हैं। अत: बालको और किशोरों को इससे बचना चाहिए। तम्बाकू खाने अथवा धुएं के रूप में ग्रहण करने से प्राप्त उत्तेजना व्यक्ति को सुखदायक प्रतीत होने लगती है, यद्यपि इसका स्वाद कडुवा होता हैं।
UP Board Class 10 Science Notes :activities of life or processes of life Part-VI
UP Board Class 10 Science Notes :activities of life or processes of life Part-VII
औषध व्यसन (Drug Addiction) :
रसायनों का एक समूह ऐसा भी है जो तंत्रिका तन्त्र को प्रभावित करता है। इसे नशीली औषधियों (psychotropic medicines) कहते है। इनका नियमित प्रयोग करने वाले व्यक्तियो को
इनकी लत पड़ जाती है। इसे औषध व्यसन (drug addiction) कहते हैं। व्यक्ति शारीरिक तथा
मानसिक रूप से इनके रोगी हो जाते हैं।
1. शामक व निद्राकारक या ट्रांक्वीलाइजर्स तथा हिप्लोटिक्स (tranquilizers and Hypnotics) - ये औषधियों केन्दीय नाडी संस्थान के उच्च केन्द्रों पर प्रभाव डालती है तथा कुछ क्षण के लिए चिंताओं को दूर करती हैं। उदाहरणार्थ - लुमिनल, इक्वेनिल, बारब्यूटेरिक अम्ल, वेलियम आदि।
2. उत्तेजक या एणटीडिप्रेसन्ट (Antidepressants) - ये पदार्थ भी केन्दीय नाडी संस्थान पर प्रभाव डालते है और स्वस्थ तथा चुस्त होने का अहसास एवं आत्मविश्वास उत्पन्न करते हैं।
उदाहरणार्ध - ताफरेनिल एक एंटीडिप्रेसन औषधि है।
3. विभ्रमक या साइकेडेलिक औषधियाँ (Psychedelic Drug) - ये पदार्थ श्रवण तथा दृष्टि भ्रम उत्पन्न करते हैं। इनके प्रयोग से रंग न होते हुए भी रंग का आभास होता हैं। स्थान तथा समय का ज्ञान नष्ट हो जाता है तथा प्रसन्नता का झूठा अहसास होता हैं। एल०एस०डी० ऐसा ही एक पदार्थ हैं।
4. ओपिएट (Opiates) - ये दर्द, चिन्ता एवं तनाव को कम करती हैं। इनसे रक्त चाप तथा श्वसन दर में कमी आती है, निद्रा व सुस्ती आती हैं। निरन्तर उपयोग करने से कार्य में रुचि कम हो जाती है। 'ओपिएट दर्दनाशक औषधियों का एक वर्ग है जिसमें अफीम तथा इसके स्त्राव से बने मार्फीन, कोडीन, हैरोइन, पैथिडीन आदि आती हैं।
चाय(Tea) :
चाय की पत्ती में थीइन (theine), कैफीन, थियोफाईलिन(theophyline), वाष्पशील तेल (volatile oil) तथा टैनिक अम्ल(tannic acid) होता है|
थीइन एक उत्तेजक उत्तेजक पदार्थ है| इससे शारीरिक और मानसिक थकान दूर हो जाती है| अधिक थीइन के प्रयोग से नींद ना आने का रोग भी उत्पन्न हो जाता है|
टैनिक अम्ल पाचन क्रिया को दुर्बल बनाता है तथा मॉल को रोककर उसके विसर्जन में बांधा उत्पन्न करता है| इससे कब्ज़ हो जाता है| चाय से केवल एक लाभ है कि इससे पसीना आता है; अतः शरीर की गर्मी विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं| चाय को खली पेट अथवा देर में पचने वाले भोजन के साथ नहीं पीना चाहिए| भोजन के उपरांत चाय पीना अच्छा रहता है|
UP Board Class 10 Science Notes :activities of life or processes of life Part-V
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