एविएशन आसमानों में उड़ने की आशा

Aug 3, 2011, 15:03 IST

किसी जमाने में पंख लगाकर आसमां में उडने की बातें किस्से-कहानियों का हिस्सा हुआ करती थीं, लेकिन राइट ब्रदर्स की संकल्पना ने न केवल इन कहानियों को सच कर दिखाया, बल्कि बिना पंखों के इंसान को आसमां की सैर कराकर भविष्य के लिए एक नई कहानी को गढ दिया

किसी जमाने में पंख लगाकर आसमां में उडने की बातें किस्से-कहानियों का हिस्सा हुआ करती थीं, लेकिन राइट ब्रदर्स की संकल्पना ने न केवल इन कहानियों को सच कर दिखाया, बल्कि बिना पंखों के इंसान को आसमां की सैर कराकर भविष्य के लिए एक नई कहानी को गढ दिया। आज आसमां की सैर कराकर लोगों को मंजिल तक पहुंचाने वाली तमाम एयरलाइंस युवाओं के लिए कॅरियर के कई दरवाजे खोल रही हैं। सरकार की एविएशन पॉलिसी के कारण इस क्षेत्र में कई प्राइवेट कंपनियां भी आ चुकी हैं। इसका सबसे बडा फायदा यह हो रहा है कि पहले जहां कुछ लोग ही हवाई यात्रा कर सकते थे, आज काफी संख्या में कर रहे हैं और आनेवाले दिनों में इनकी संख्या और अधिक बढने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। आज युवाओं के पास इससे संबंधित कोर्स करने के बाद नौकरियों की कमी नहीं है। अगर आप भी कॅरियर को ऊंची उडान देना चाहते हैं, तो एविएशन का आसमां आपके लिए खुला है।

एविएशन का अर्थ

एविएशन का अर्थ है एयरक्राफ्ट की डिजाइनिंग, उत्पादन और उडान। इसके दो पृथक क्षेत्र हैं- कॉमर्शियल और मिलिट्री। कॉमर्शियल में पैसेंजर एयरलाइंस और कार्गो प्लेंस, अंतरराष्ट्रीय वायु सेवाएं, एयर टैक्सी और चार्टर प्रचालन आदि हैं, जबकि मिलिट्री एविएशन में इंडियन एयरफोर्स, नेवी एवं आर्मी की एविएशन इकाई शामिल हैं। कॉमर्शियल एयरलाइंस में औपचारिक संगठनीय संरचना होती है, जिसमें एयरलाइंस ऑपरेशंस, मेंटिनेंस, मार्केटिंग तथा फाइनेंस विभाग प्रमुख हैं।

स्किल के अनुरूप कोर्स


एविएशन इंडस्ट्री में सभी तरह की स्किल की डिमांड है। आप एविएशन में बीबीए व एमबीए कोर्स के अलावा फ्लाइंग ऑपरेशन, एअरक्राफ्ट मेंटिनेंस, एविएशन सेफ्टी, एविएशन सेफ्टी ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर, फ्लाइट अटेंडेंट, फ्लाइट डेक क्रू, पायलट, कॉमर्शियल पायलट, एअरक्राफ्ट मेटिनेंस इंजीनियर, केबिन क्रू इत्यादि से संबंधित कोर्स कर सकते हैं। देश में इससे संबंधित संस्थान काफी हैं।

प्रवेश के सामान्य मानक

एविएशन में रैम्प वर्कर्स, ग्राउड अटैण्डेंट जैसे पदों के लिए हाईस्कूल से लेकर फ्लाइट डिस्पैचर्स, एयरपोर्ट मैनेजर जैसे प्रबंधकीय उच्च पदों के लिए ग्रेजुएशन की डिग्री एवं संबंधित विधा में स्पेशलाइजेशन आवश्यक है। साथ ही एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, सेफ्टी इंस्पेक्टर तथा एयरपोर्ट फायर फाइटिंग एंड रेस्क्यू पर्सोनेल के लिए प्रशिक्षण जरूरी है। इस फील्ड में कम्युनिकेशन स्किल के साथ अंग्रेजी पर पकड लाभदायक है।

संभावनाएं

मशहूर एयरक्राफ्ट कंपनी एयरबस ने 2025 तक भारत में 138 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 1032 नए एयरक्राफ्टों की आवश्यकता जताई है। वहीं बोइंग के अनुसार यहां अगले 20 वर्षो में 135 बिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब 1150 कॉमर्शियल जेट्स की जरूरत होगी। डायरेक्टोरेट जनरल आफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) के अनुसार जनवरी-जून 2010 में 25.71 मिलियन भारतीय लोगों ने हवाई यात्रा की, जबकि सन 2009 में यह संख्या 21.1 मिलियन थी। यात्रियों की संख्या में वृद्घि का प्रतिशत 22 था। इस समय देश में 120 मिलियन एयर पैसेंजर्स हैं और बेंगलूर में विश्व की पहली एविएशन यूनिवर्सिटी खुलने जा रही है। इसकी स्थापना के बाद इस फील्ड में रोजगार के और अवसर बढेंगे। माना जा रहा है कि ओपन स्काई पालिसी के कारण देश के उडान क्षेत्र की विकास दर निरंतर बढती जाएगी और इसमें हर वर्ष जॉब्स बढने के आसार हैं। आज एविएशन इंडस्ट्री में कस्टमर सपोर्ट, टिकट रिजर्वेशन, कार्गो मैनेजमेंट, ट्रैफिक रेगुलेशन, कार्गो रिजर्वेशन, एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन और काकपिट रिसोर्स मैनेजमेंट आदि विभागों में जॉब की बहुलता है। केबिन क्रू, ऑपरेशन एक्जीक्यूटिव, एयर होस्टेस, चेक इन, बैगेज हैण्डलिंग, शिड्यूलिंग, सुपरविजन से लेकर सिक्योरिटी तक में अवसर ही अवसर हैं। इस क्षेत्र की कंपनियों के बीच जारी प्रतिस्पर्धा इन अवसरों में और भी इजाफा करा रही है।

कॉमर्शियल पायलट

इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, फ्लाइट्स की संख्या बढने से 2010 से 2030 तक हर वर्ष लगभग 49,900 नए पायलट्स की जरूरत होगी, जबकि यूएसए की कंपनी बोइंग के अनुसार एशिया में अगले 20 वर्षो में 1,80,600 पायलट और 2,20,000 मेण्टेनेंस क्रू की आवश्यकता होगी। वेतन के मामले में भी यह फील्ड बहुत अच्छी मानी गई है। पायलट की प्रारंभिक सैलरी 1.5 लाख रुपये प्रतिमाह घरेलू एयरलाइंस में है, जबकि अनुभवी पायलटों को 5-6 लाख रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। पायलट की जॉब एयरलाइंस आपरेशन विभाग के तहत आती है। ये कार्गो एवं पैसेंजर एयरक्राफ्ट को, जबकि एयरफोर्स पायलट लडाकू विमानों को उडाता है। इन्हें फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) का अनुमोदन प्राप्त होता है। सैन्य पायलट का चुनाव एनडीए से होता है। इसमें प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु सीमा 17 वर्ष है। साइंस बैकग्राउण्ड से 10+2 होना जरूरी है। विभिन्न संस्थानों में प्रवेश हेतु अर्जित अंकों का मानक अलग-अलग है। कुछ संस्थानों में प्रवेश परीक्षा एवं फिजिकल टेस्ट के बाद प्रवेश मिलता है।

एयरहोस्टेस

एयरहोस्टेस की जॉब युवा लडकियों का सपना होता है, क्योंकि इसमें ग्लैमर भी है। यह एक ऐसा प्रोफेशन है, जो हार्डवर्क, ग्लैमर, यात्रा और एक अच्छे पैकेज से युवा एवं स्मार्ट महिलाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसकी ट्रेनिंग में पर्सनैलिटी डेवलपमेंट पर ध्यान दिया जाता है। कोशिश यही रहती है कि उन्हें शिष्टाचारपूर्वक यात्रियों से बातचीत, व्यवहार करना आ जाए। इससे संबंधित कोर्सो की अवधि और उनके मानक भिन्न-भिन्न हैं। काम के प्रति समर्पण, आकर्षक व्यक्तित्व एवं सकारात्मक सोच इस प्रोफेशन के लिए आवश्यक हैं। न्यूनतम आयु 17 से 26 वर्ष। 10+2, ग्रेजुएट या होटल मैनेजमेंट में डिप्लोमा होना जरूरी है। न्यूनतम लंबाई 157.5 सेमी., वजन लंबाई के अनुसार तथा उचित दृष्टि क्षमता जरूरी है। इसके लिए कई चरणों में टेस्ट होता है। प्रारंभिक स्क्रीनिंग के बाद लिखित परीक्षा फिर ग्रुप डिस्कशन एवं इंटरव्यू होता है। मिडिल ईस्ट और इंडिया के एयरलाइंस में केबिन क्रू की भारी मांग है। फ्रैंकफिन के मुताबिक अगले 10 वर्षो में भारत के एविएशन मार्केट में 400 से अधिक कॉमर्शियल जेट्स शामिल होंगे।

एयर ट्रैफिक कंट्रोलर


एयर ट्रैफिक के संचालन को बनाए रखने के लिए यह एयरक्राफ्ट के सुरक्षित टेक ऑफ, लैडिंग एवं एन-रूट नेवीगेशन के लिए दिशा-निर्देश देता है। उच्च वेतनमान, आकर्षक सुविधाएं तथा स्वायत्तता ने इसे महत्वपूर्ण बना दिया है। इसके लिए तत्काल निर्णय क्षमता, तार्किक मस्तिष्क एवं एकाग्रता बनाए रखना आवश्यक है। इसमें उन्हीं स्टूडेंट्स को प्रवेश मिलती है, जो 60 प्रतिशत अंकों के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स, टेली कम्युनिकेशन, रेडियो इंजीनियरिंग तथा इलेक्ट्रिकल से इंजीनियरिंग की डिग्री या इलेक्ट्रॉनिक्स या समकक्ष विषयों से मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है। आयु सीमा 21 से 27 वर्ष के बीच होना जरूरी है। सिविल एविएशन अथॉरिटी इसके लिए परीक्षा आयोजित करती है। लिखित परीक्षा में चयनित छात्रों को वायस टेस्ट, पर्सनल इंटरव्यू और मेडिकल फिटनेस की परीक्षा देनी होती है। सफल उम्मीदवारों को इलाहाबाद के सिविल एविएशन ट्रेनिंग कालेज में 1 वर्ष की ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया एकमात्र संस्थान है, जहां एयर ट्रैफिक कंट्रोलर की ट्रेनिंग के बाद जॉब मिल जाती है।

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग

एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग या एविएशन इंजीनियरिंग का कोर्स करने के बाद देश-विदेश की प्रतिष्ठित एविएशन कंपनियों में काम के अवसर मिल सकते हैं। एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग से बीई या बीटेक की डिग्री या डिप्लोमा जरूरी है। इसके लिए अच्छा कम्युनिकेटर एवं क्राइसिस मैनेजर होना आवश्यक हैं। कलर ब्लाइंडनेस या दृष्टि दोष वाले छात्रों का इस कोर्स में प्रवेश मान्य नहीं है। इस कोर्स में एयरक्राफ्ट एवं मिसाइल्स के उत्पादन एवं विकास से जुडे सभी पक्षों की ट्रेनिंग दी जाती है। डिफेंस और स्पेस साइंस के क्षेत्र में भी एयरोनाटिकल इंजीनियर डिजाइन तथा परीक्षण संबंधी दायित्वों से जुड सकता है। वह इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) एवं सिविल एविएशन डिपार्टमेंट, नेशनल एयरोनॉटिकल लैबोरेटरी, डिफेंस रिसर्च एवं डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) और हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) आदि के साथ भी काम कर सकता है। आरंभिक वेतनमान 1.5-3 लाख रुपए प्रति वर्ष है। अनुभव होने के बाद 40 हजार से 1 लाख 25 हजार प्रति माह मिलता है।

प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनाटिक्स, दिल्ली

भारत इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनाटिक्स, पटना

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनाटिकल साइंस, कोलकाता

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनाटिकल साइंस, जमशेदपुर

जेआरसी टीम

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