होनहार मोहित इन दिनों सीबीएसई से दसवीं की परीक्षा दे रहा है। अब तक के पेपर बहुत अच्छे होने से वह काफी खुश है और आगे के लिए उत्साहित भी, पर उसके पिता प्रेमचंद फिलहाल खुश नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि उन्हें अपने बेटे का पेपर अच्छा होने की खुशी नहीं है, लेकिन वे किसी और बात को लेकर चिंतित हैं। दरअसल, वे यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि बेटे को दसवीं के बाद किस स्ट्रीम में पढाएं? वैसे, उनकी दिली इच्छा डॉक्टर बनाने की है, पर जब वे अपने बेटे की रुचियों पर गौर करते हैं, तो उन्हें लगता है कि उसे तो चीर-फाड, खून आदि से सख्त एलर्जी है। हां, वह क्रिएटिव कामों, जैसे-पेंटिंग, ड्राइंग, कम्प्यूटर ग्राफिक्स, डिजाइनिंग आदि में काफी दिलचस्पी लेता है। अंतत: अपनी दुविधा दूर करने के लिए उन्होंने काउंसलर की राय ली। बेटे और उनकी इच्छा समझकर, मोहित की प्रतिभा को देखते हुए काउंसलर ने उन्हें 10+2 साइंस और मैथमेटिक्स से पढाने की सलाह दी। प्रेमचंद को यह सलाह पसंद आई और उनकी दुविधा दूर हो गई।
आम है दुविधा
ऊपर बताई गई दुविधा सिर्फ प्रेमचंद की नहीं है, बल्कि यह उन सभी अभिभावकों की है, जो आज के बेहद प्रतिस्पर्धात्मक दौर में अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं। ऐसी शिक्षा, जिससे न केवल उनका करियर ब्राइट हो, बल्कि उन्हें कभी किसी परेशानी का सामना न करना पडे। अक्सर अभिभावक बच्चों की रुचियों और उनकी क्षमता को जाने-समझे बिना अपनी इच्छा उस पर थोप देते हैं। ऐसा वे दूसरों की देखा-देखी ही करते हैं। दरअसल, वे भूल जाते हैं कि इससे उनका लाडला न केवल भटक सकता है, बल्कि उसका प्रदर्शन भी प्रभावित हो सकता है।
ठीक नहीं दबाव डालना
तमाम अभिभावक अपने दिमाग में बच्चे के करियर की दिशा पहले से तय (डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, प्रोफेसर, आईटी प्रोफेशनल्स, एमबीए आदि) कर वही पढने का दबाव डालते हैं, जो वे चाहते हैं। आगे जब बच्चा बेहतर परिणाम नहीं दे पाता, तो उसे यह कहते हुए कोसते हैं, उसे देखो, कम संसाधनों के बावजूद कितना अच्छा प्रदर्शन किया है! जरूरी नहीं कि हर बच्चा डॉक्टर या इंजीनियर ही बने। यदि आपके दोस्त का बच्चा डॉक्टरी पढ रहा है, तो यह आवश्यक नहीं कि आपका बच्चा भी वही पढे!
तय नहीं कर पाते दिशा
कुछ अभिभावक ऐसे भी होते हैं, जिनके दिमाग में बच्चे के भविष्य को लेकर कोई खाका नहीं होता। वे स्कूल में जो उपलब्ध होता है, बच्चे को वही पढाते जाते हैं। आज के प्रतियोगी दौर में ऐसा रवैया भी ठीक नहीं। चूंकि दसवीं के बाद ही करियर का काउंट- डाउन शुरू हो जाता है, इसलिए आपको अपने बच्चे की रुचि का ख्याल रखते हुए कुछ विकल्प दिमाग में रखने ही होंगे।
रुचि व क्षमता का रखें ध्यान
बच्चे को ग्यारहवीं में प्रवेश कराने से पहले ही यह तय कर लें कि उसे किस स्ट्रीम में पढाना है! इसके लिए बच्चे की रुचियों को जानने की कोशिश करें कि वह किस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है! यदि आप उसे कोई विषय पढाने में इंट्रेस्टेड हैं, तो यह जरूर देखें कि इसमें उसकी क्षमता कैसी है? क्या वह आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतर सकता है?
करियर को भी खंगालें
यदि किसी विषय में आपका बच्चा पढने में बहुत तेज है और आप भी उसी विषय में उसे आगे बढता हुआ देखना चाहते हैं, तो उससे संबंधित करियर के सभी विकल्पों पर जरूर गौर कर लें। यह सुनिश्चित कर लें कि बच्चे को जिस करियर में आगे बढाना है, पढे जा रहे विषय से वह करियर हासिल हो सकता है या नहीं!
काउंसलर की लें सलाह
आजकल लगभग सभी स्कूलों में काउंसलर होते हैं। अगर स्ट्रीम के चयन को लेकर कोई दुविधा है, तो बच्चे को साथ लेकर उसके स्कूल में जाएं और काउंसलर से परामर्श लें। काउंसलर सभी पहलुओं पर विचार कर आपको सही मार्ग सुझाने में मददगार हो सकते हैं। अगर स्कूल में कोई काउंसलर नहीं है, तो प्रोफेशनल काउंसलर की मदद भी ले सकते हैं। काउंसलर स्टूडेंट के मन की बात, भावी करियर और अभिभावक की इच्छा को ध्यान में रखते हुए बेहतर विकल्प सुझा सकते हैं।
कमी नहीं है विकल्पों की
पहले की तरह सीमित विकल्प नहीं है आज। एक अनुमान के मुताबिक पूरी दुनिया में लगभग 3840 तरह के करियर उपलब्ध हैं, इसलिए यह कभी न सोचें कि सिर्फ डॉक्टर या इंजीनियर की पढाई ही महत्वपूर्ण है। आप बच्चे की रुचि, क्षमता के अनुसार विकल्पों पर गौर करें और उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए कोई आकर्षक विकल्प चुनें। अब दसवीं के बाद ही स्टूडेंट की पढाई की दिशा तय करनी होती है-खासकर भारतीय एजुकेशन सिस्टम में। परंपरागत कोर्स तो उपलब्ध हैं ही, साथ ही वैश्वीकरण की बयार तेज होने के कारण अब दुनिया में उपलब्ध नए-नए कोर्स भी सामने आ गए हैं। आइए देखते हैं कि दसवीं के बाद कौन-कौन से कोर्स उपलब्ध हैं। इनमें से आप अपनी रुचि का विषय चुनकर कामयाबी की इबारत लिख सकते हैं :
विज्ञान वर्ग : 10+2 में विज्ञान वर्ग में प्रवेश लेने वाले छात्रों के समक्ष दो विकल्प होते हैं--एक मैथमेटिक्स के साथ और दूसरा बायोलॉजी के साथ। इन दोनों के साथ फिजिक्स, केमिस्ट्री का कॉम्बिनेशन होता है। इसके अलावा, अंग्रेजी और हिंदी विषय लेना होता है। आमतौर पर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले स्टूडेंट्स मैथ का कॉम्बिनेशन चुनते हैं, जबकि मेडिकल फील्ड में जाने के इच्छुक बायोलॉजी का चयन करते हैं। वैसे, अब इंजीनियरिंग व मेडिकल के अलावा, लाइफ साइंस, बायोटेक्नोलॉजी, नैनो टेक्नोलॉजी, आर्किटेक्चरल इंजीनियरिंग जैसे अन्य कई आकर्षक और अपेक्षाकृत क्रिएटिव फील्ड भी सामने आ गए हैं।
कला या मानविकी वर्ग : वैश्वीकरण के दौर में कला वर्ग के प्राय: सभी विषय धीरे-धीरे बेहद उपयोगी साबित हो रहे हैं। इनमें राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, हिंदी, संस्कृत व अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा का साहित्य, चित्रकला, मानवविज्ञान, शिक्षा शास्त्र जैसे विषयों को चुनना और आगे भी उसी विषय में उच्च शिक्षा हासिल करना काफी महत्वपूर्ण हो सकता है।
वाणिज्य वर्ग : अकाउंटिंग में रुचि रखने वालों के लिए वाणिज्य या कॉमर्स विषय लेकर आईकॉम करना इस क्षेत्र में आगे की राह खोल सकता है। इसके बाद बीकॉम और एमकॉम करके अकाउंटेंसी सेक्टर में बुलंदियां छुई जा सकती हैं। 10+2 के बाद चाहें, तो सीए, सीएस या फिर आईसीडब्ल्यूए का कोर्स करके कॉर्पोरेट वर्ल्ड में पहचान बना सकते हैं। आप कम्प्यूटर अकाउंटेंसी का शॉर्ट टर्म कोर्स करके अकाउंटेंट के रूप में भी करियर की शुरुआत कर सकते हैं।
कृषि : एग्रिकल्चर सेक्टर में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स इंटरमीडिएट से ही इस फील्ड की पढाई आरंभ कर सकते हैं और इसके बाद इसी स्ट्रीम में बीएससी व एमएससी करके कृषि वैज्ञानिक के तौर पर नाम कमा सकते हैं। यदि चाहें, तो पीएचडी करके अपनी योग्यता और विशेषज्ञता और बढा सकते हैं।
अन्य कोर्स : इंजीनियरिंग सेक्टर में जल्द नौकरी पाने की आकांक्षा रखने वाले स्टूडेंट्स दसवीं के बाद सीधे पॉलिटेक्निक संस्थानों तथा आईटीआई के विभिन्न ब्रांचों में प्रवेश ले सकते हैं। इसके अलावा मेडिकल सेक्टर में करियर बनाने वाले युवा पैरामेडिकल से संबंधित कोर्स भी कर सकते हैं। आज बारहवीं के साथ-साथ कम्प्यूटर हार्डवेयर व नेटवर्किंग का कोर्स करके पढाई के साथ-साथ प्रोफेशनल ट्रेनिंग भी हासिल की जा सकती है। इसके अलावा, मोबाइल ट्रेनिंग, एनिमेशन, गेमिंग, ऑटोमोबाइल, स्टेनोग्राफी, कम्प्यूटर टाइपिंग आदि की ट्रेनिंग भी ली जा सकती है।
सुनें मन की आवाज
आज हर फील्ड में भरपूर अवसर हैं, इसलिए बच्चे के मन की आवाज सुनते हुए उसे उसकी रुचि का विषय ही पढाएं। इस बात पर बिल्कुलन जाएं कि दूसरे लोग अपने बच्चे को क्या पढा रहे हैं! अगर आप निर्णय नहीं कर पा रहे हैं, तो बच्चे के टीचर से भी परामर्श लेने में संकोच न करें। अगर बच्चे, अभिभावक और टीचर तीनों को संदेह है, तो स्कूल में उपलब्ध काउंसलर की सेवाएं ले सकते हैं। यह सोच कर न घबराएं कि नए क्षेत्रों में करियर कैसा होगा? आजकल सभी क्षेत्रों में आकर्षक करियर विकल्प मौजूद हैं। बच्चे के लिए जो भी क्षेत्र चुनें, कोशिश करें कि उसमें वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करे।
कामिनी भसीन
प्रिंसिपल, दिल्ली पब्लिक स्कूल,
ग्रेटर नोएडा
किसी की नकल न करें
दसवीं के बाद किस स्ट्रीम से पढना बेहतर होगा?
मेरे ख्याल से स्टूडेंट्स को 10+2 में मैथ और साइंस पढना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे आगे चलकर ही ज्यादातर रास्ते खुलते हैं। और सबसे बडी बात यह है कि मैथ व साइंस पढने से आपका दृष्टिकोण व्यापक होता है। इससे जिंदगी में साइंटिफिक अप्रोच डेवलॅप होता है। लेकिन अगर साइंस की बजाय अन्य विषयों में अधिक मन रमता है, तो संबंधित विषय लेकर भी बेहतर करियर बनाया जा सकता है।
स्ट्रीम चुनते समय भावी करियर विकल्पों का ध्यान रखना कितना जरूरी होता है?
भविष्य में आगे बढने के लिए भावी करियर विकल्पों के बारे में जानना बहुत ही आवश्यक है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि स्टूडेंट जिस करियर में जाना चाहता है, पढाई उस दिशा में नहीं कर रहा होता। ऐसी स्थिति में कई बार कोई खास विषय सिलेक्ट करने से आगे चलकर रास्ता बंद मिलता है और उस विषय को पढने का कोई लाभ ही नहीं मिल पाता।
अगर दसवीं में किसी विषय में स्टूडेंट के नंबर काफी अच्छे आते हैं, तो क्या उसे आगे वही विषय नहीं पढना चाहिए?
ऐसा कोई जरूरी नहीं है कि अगर दसवीं में किसी विषय में 80 प्रतिशत नंबर आए हैं, तो बारहवीं में भी उसमें उतने या उससे अधिक नंबर आएं। ऐसा देखा गया है कि बारहवीं में डिफिकल्टी लेवॅल डबल हो जाता है, इसलिए स्टूडेंट उम्मीद के विपरीत 60-65 प्रतिशत से अधिक अंक नहीं ला पाता। कहने का आशय यही है कि आप करियर विकल्प और रुचि को वरीयता दें, तो बेहतर होगा।
पैरेंटस द्वारा बच्चे पर अपनी इच्छा थोपना कहां तक उचित है?
देखिए, हर बच्चा अलग होता है। पैरेंट्स की चिंता अपनी जगह जायज है, लेकिन उन्हें यह भी ध्यान रखना ही चाहिए कि हर बच्चा आइंस्टीन, ओबामा या कलाम नहीं बन सकता! आज चूंकि किसी भी क्षेत्र में विकल्पों की कमी नहीं है, इसलिए स्ट्रीम चुनते समय बच्चे की रुचि व क्षमता का ध्यान जरूर रखें।
करियर काउंसलर परवीन मल्होत्रा से अरुण श्रीवास्तव की बातचीत पर आधारित
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