हर पीसीएम स्टूडेंट आईआईटियन बनना चाहता है. आईआईटी के बढते क्रेज का प्रमुख कारण है, आईआईटियन का सुपर ब्रेन. यहां से पासआउट प्रतिभाएं सुपर ब्रेन की श्रेणी में आती हैं. कई आईआईटी संस्थान विदेशों के प्रमुख विश्वविद्यालयों से जुडे होते हैं. इसका अनुभव यहां के स्टूडेंट्स को मिलता है. यही कारण है कि जेईई एडवांस की परीक्षा के लिए स्टूडेंट कठिन मेहनत करते हैं और सफल होते हैं. जेईई एडवांस के लिए कुछ ही दिन बचे हैं. इस समय स्टूडेंट को चाहिए कि पढाई अवरोही क्रम यानी डिसेंडिंग ऑर्डर में करते चलें. इस समय क्वालिटी स्टडी के साथ रिवीजन भी जरूरी है?
जेईई मेन ङ्कह्य एडवांस
इंजीनियरिंग की दोनों परीक्षाओं में काफी अंतर है. जो स्टूडेंट जेईई मेन में बेहतर करते हैं, वे मुगालते में न रहें कि इस तैयारी की बदौलत एडवांस में भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे. एडवांस के प्रश्न आईआईटी के विशेषज्ञ बना रहे हैं. एडवांस में प्रश्न कांसेप्ट बेस्ड रहते हैं. इस कारण अपनी पढाई अच्छी तरह से विशेष ध्यान देकर करें.
सिलेबस पर कमांड जरूरी
जेईई एडवांस में वही स्टूडेंट सफल हो सकता है, जिसकी सिलेबस पर कमांड होगी, क्योंकि प्रश्न किसी भी क्षेत्र या टॉपिक से पूछे जा सकते हैं. एडवांस में कोई भी कोचिंग संस्थान या विशेषज्ञ यह नहीं बता सकता कि कौन-कौन से टॉपिक महत्वपूर्ण है. इस परीक्षा में सफल होने वाले स्टूडेंट से यह अपेक्षा की जाती है कि उसने सब कुछ पढा है. उदाहरण के लिए कुछ स्टूडेंट मैथ्स में प्रोबेबिलिटी टफ होने की वजह से कम पढते हैं और त्रिकोणमिति पर विशेष फोकस करते हैं. अगर आप भी यह सोच रहे हैं तो इरादा बदल लीजिए. हो सकता है कि प्रोबेबिलिटी से आसान प्रश्न पूछे जाएं और अन्य से काफी टफ. इसमें सफलता तभी मिल सकती है, जब आप सभी टॉपिक्स पर समान अधिकार रखेंगे.
बढाएं प्रॉब्लम सॉल्विंग कैपेसिटी
आईआईटी की प्रवेश परीक्षा इतनी कठिन होती है कि अधिकतर स्टूडेंट सातवीं या फिर आठवीं क्लास से ही इस बारे में सोचना शुरू कर देते हैं. इस समय स्टूडेंट की पढाई इस तरह की होनी चाहिए, जिससे कि वह किसी भी चीज को अलग तरीके से सोच सके. उदाहरण के लिए यदि मैथ्स का प्रश्न है, तो उसे सॉल्व करने के लिए फार्मूले खोजने चाहिए. किसी भी प्रॉब्लम को एनालिटिकल तरीके से सोचने और प्रॉब्लम सॉल्विंग कैपिसिटी का रुझान इस समय काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि आईआईटी में इतने कठिन प्रश्न पूछे जाते हैं कि अगर अलग सोच और प्रॉब्लम सॉल्विंग कैपेसिटी नहीं है तो सफल नहीं हो सकते. जेईई एडवांस की परीक्षा उन्हीं लोगों के लिए है जो प्रॉब्लम सॉल्विंग नेचर के होते हैं। स्टूडेंट इस बात को भी समझ लें कि इस परीक्षा में जरा सी भी ढिलाई उनके भविष्य पर भारी पड सकती है. अत: इसकी संपूर्ण तैयारी पूरे मनोयोग से करें.
स्टडी आरोही नहीं ष्ठद्गह्यष्द्गठ्ठस्त्रद्बठ्ठद्द ह्रह्मस्त्रद्गह्म में करें
इस परीक्षा के लिए आप कितने घंटे पढते हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण यह है कि आप इन दिनों का उपयोग करते हुए किस तरह की स्टडी करते हैं. आप धीरे-धीरे पढाई के घंटे कम करते जाएं और रिलैक्स होने की कोशिश करें. अक्सर स्टूडेंट पहले कम पढते हैं और परीक्षा नजदीक आने पर ज्यादा पढाई शुरू कर देते हैं. इस तरह की स्टडी सफलता नहीं दिला सकती है. आपकी प्रॉब्लम सॉल्विंग कैपेसिटी तभी बेहतर रह सकती है, जब आप परीक्षा के कुछ दिन पहले से रिलैक्स मूड में पढाई करेंगे.
शॉर्ट नोट्स से रिवीजन
एडवांस परीक्षा के लिए लगभग पंद्रह दिन शेष बचे हैं. इस कारण सिर्फ शॉर्ट नोट्स से रिवीजन और आईआईटी में पूछे गए प्रश्नों को निर्धारित समय में हल करें. मैथ्स में फॉर्मूला बेस्ड कुछ चैप्टर होते हैं. इसका खूब रिवीजन करें. परीक्षा हाल में पहले आसान प्रश्न हल करें और कठिन प्रश्न अंत में. शुरुआत में कठिन प्रश्नों को हल करने से बचें. सभी प्रश्न संयम रखकर हल करें. कभी भी धर्य न खोएं.
जेईई (एडवांस) की तैयारी हेतु रणनीति
हर पीसीएम स्टूडेंट आईआईटियन बनना चाहता है. आईआईटी के बढते क्रेज का प्रमुख कारण है, आईआईटियन का सुपर ब्रेन...
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