आज पर्यावरण के लिहाज से वनों को सुरक्षित रखना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। इसे बचाने के लिए ट्रेंड प्रोफेशनल्स जैसे कि फॉरेस्ट्री स्पेशलिस्ट, फॉरेस्ट्री मैनेजमेंट एक्सपर्ट और फॉरेस्ट ऑफिसर्स की मांग बढ़ती जा रही है।
एलिजिबिलिटी
फॉरेस्ट्री में करियर बनाने के लिए न्यूनतम डिग्री 10+2 (फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी) होना जरूरी है। स्टूडेंट्स बीएससी फॉरेस्ट्री का कोर्स करने के बाद फॉरेस्ट मैनेजमेंट, कॉमर्शियल फॉरेस्ट्री, फॉरेस्ट इकोनॉमिक्स, वुड साइंस एेंड टेक्नोलॉजी, वाइल्डलाइफ साइंस, वेटेरिनरी साइंस आदि कोर्स कर सकते हैं। बीएससी के बाद एमएससी में आसानी से प्रवेश मिल सकता है। मास्टर डिग्री के बाद स्टूडेंट्स चाहें, तो एमफिल अथवा पीएचडी कर सकते हैं। कई ऐसे संस्थान हैं, जो पीजी डिप्लोमा इन फॉरेस्ट मैनेजमेंट का कोर्स कराते हैं। फॉरेस्ट्री में बैचलर डिग्री के बाद आप यूपीएससी द्वारा आयोजित इंडियन फॉरेस्ट सर्विस की परीक्षा में भी शामिल हो सकते हैं।
प्रमुख कोर्स
-बीएससी इन फॉरेस्ट्री (तीन वर्षीय)
-एमएससी इन फॉरेस्ट्री (दो वर्षीय)
-बीएससी इन वाइल्डलाइफ (तीन वर्षीय)
-एमएससी इन वाइल्डलाइफ (दो वर्षीय)
-एमएससी इन वुड साइंस एेंड टेक्नोलॉजी (दो वर्षीय)
-पीजी डिप्लोमा इन फॉरेस्ट मैनेजमेंट (एक-दो वर्षीय)
-पीएचडी इन फॉरेस्ट्री (तीन वर्षीय)
आईएफएस : इंडियन फॉरेस्ट सर्विस यानी आईएफएस के लोगों का काम जंगल की देखभाल, नए प्लांट्स लगवाना और पेड़-पौधों की नई प्रजातियों की रक्षा करना है। यूपीएससी हर साल जुलाई में आईएफएस एग्जाम आयोजित करती है। इस एग्जाम के लिए प्री, मेन्स और इंटरव्यू तीन चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। आईएफएस एग्जाम में सलेक्शन के बाद सबसे पहले फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर के पद पर नियुक्ति होती है।
फॉरेस्टर : एक सफल फॉरेस्टर का काम जंगल और जंगली जीवों की सुरक्षा करना, लैंड स्केप मैनेजमेंट, जंगल व प्रकृति से संबंधित अध्ययन और रिपोर्ट को तैयार करना होता है। इसके लिए जरूरी योग्यता ग्रेजुएशन है।
फॉरेस्ट रेंजर : फॉरेस्ट की कटाई व जानवरों के शिकार पर रोकथाम और फॉरेस्ट में नियम-कानून लागू करना फॉरेस्टर का काम है। इनका काम दुर्लभ पौधों की खेती व उनकी पैदावार को बढ़ाना भी है।
वाइल्डलाइफ जर्नलिज्म : वाइल्फ लाइफ जर्नलिज्म में भी ढेरों स्कोप हैं। इनका काम एनिमल्स से जुड़ी तमाम जानकारियां लोगों तक पहुंचाना है। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी, डॉक्यूमेंट्री वगैरह बनाना इसके तहत आता है।
एनवायरनमेंट रिसर्चर : रिसर्च के जरिए फॉरेस्ट, फॉरेस्ट में आने वाले चेंज, एनिमल्स में आने वाले चेंजेज और नए-नए पौधों की प्रजातियों का पता लगाना होता है। देश में इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एेंड एजुकेशन, इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल फॉरेस्ट्री ऐंड इको रिहैबिलिटेशन एेंड वाइल्डलाइफ रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे कई प्रीमियर संस्थान हैं, जहां बतौर रिसर्चर आप जगह पा सकते हैं।
जू क्यूरेटर : जू में जानवरों की केयर जू क्यूरेटर का काम होता है। यह चिड़ियाघर में जानवरों की दिनचर्या को जांचता है। जानवरों के कल्याण और प्रशासन जू क्यूरेटर की जिम्मेदारी होती है।
डेंड्रोलॉजिस्ट : ये पेड़-पौधों के वैज्ञानिक अध्ययनों के स्पेशलिस्ट के तौर पर जाने जाते हैं। डेंड्रोलॉजिस्ट का काम पेड़ों का जीवन चक्र, ग्रेडिंग, क्लासिफिकेशन, मेजरिंग और रिसर्च करना होता है।
इथनोलॉजिस्ट : इथनोलॉजिस्ट वनों व जैव संपदा में होने वाले परिवर्तन और उनकी कार्यप्रणाली की स्टडी करता है। ये चिड़ियाघर, एक्वेरियम और लेबोरेटरी में जानवरों की हेल्दी हैबिट्स डिजाइन करने का काम भी करते हैं।
एंटोमोलॉजिस्ट : इससे संबंधित प्रोफेशनल्स कीड़ों व पालतू जानवरों में होने वाली बीमारियों को नियंत्रित करने के अलावा, उनके लिए कई तरह के आहार तैयार करने में मदद करते हैं।
सिल्वीकल्चरिस्ट : इनका काम जंगलों के विस्तार के लिए विभिन्न पौधों को तैयार करना है। उनके विकास की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर होती है।
सैलरी पैकेज
आमतौर पर जूनियर स्केल पर काम करने वाले प्रोफेशनल्स की सैलरी 12 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह के करीब होती है। कुछ वर्ष का अनुभव हासिल करने के बाद सैलरी 25-30 हजार रुपये प्रतिमाह हो सकती है।
फॉरेस्ट्री मे ग्रीन करियर
आज पर्यावरण के लिहाज से वनों को सुरक्षित रखना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation