बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा हाल में प्रकाशित किए गए परिवीक्षाधीन अधिकारियों की भर्ती संबंधी विज्ञापन पर काफी हंगामा मचा हुआ है। इस विज्ञापन में लिखा है कि बैंक ऑफ बड़ौदा परिवीक्षाधीन अधिकारियों की भर्ती बड़ौदा मनिपाल स्कूल ऑफ बैंकिंग पीजी डिप्लोमा प्रोग्राम 2016-2017 के माध्यम से करेगा। इसके अलावा बैंक ने आईबीपीएस पीओ 5 से एक भी अधिकारी की भर्ती नहीं की थी। उम्मीदवार यह नहीं समझ पा रहे हैं कि बैंक सिर्फ मनिपाल स्कूल ऑफ बैंकिंग के जरिए ही भर्ती क्यों कर रहा है, आईबीपीएस पीओ के जरिए क्यों नहीं। इस लेख में हम इसकी वजह जानने की कोशिश करेंगें लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि बैंक आईबीपीएस पीओ की बजाए मनिपाल स्कूल ऑफ बैंकिंग प्रोग्राम की तरफ तेजी से जा रहे हैं और उम्मीदवारों को इस तथ्य को जल्द ही स्वीकार करना होगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा: मनिपाल क्यों और आईबीपीएस क्यों नहीं?
बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने बड़ौदा मनिपाल स्कूल ऑफ बैंकिंग पीजी डिप्लोमा प्रोग्राम 2016-2017 के जरिए 400 परिवीक्षाधीन अधिकारियों की भर्ती का विज्ञापन प्रकाशित किया है जबकि इस बैंक ने आईबीपीएस पीओ 5 से एक भी अधिकारी की भर्ती नहीं की थी। इन नए ट्रेंड के पीछे कई कारण हैं–
• चयन प्रक्रिया अधिक कठिन हैः मनिपाल स्कूल ऑफ बैंकिंग के जरिए चयन प्रक्रिया अधिक कठिन है। इसमें लिखित परीक्षा पास करने के बाद आपको साक्षात्कार के साथ समूह चर्चा में भी शामिल होना होता है। सफल और प्रभावी बैंकर बनने के लिए उम्मीदवार का संचार कौशल बहुत अच्छा होना चाहिए और इसमें उम्मीदावरों के इसी कौशल की बहुत अच्छे से जांच होती है।
• वर्णनात्मक परीक्षाः इस प्रोग्राम में चुने जाने के लिए आपको वर्णनात्मक परीक्षा पास करनी होती है। एक बैंकर के लिए लेखन शैली में उचित संवाद करने में सक्षम होना बहुत महत्वपूर्ण है। आईबीपीएस पीओ की चयन प्रक्रिया में वर्णनात्मक परीक्षा का कोई प्रावधान नहीं है।
• उम्मीदवारों का उचित प्रशिक्षणः बड़ौदा मनिपाल स्कूल ऑफ बैंकिंग प्रोग्राम के जरिए चुने जाने पर शाखा में नियुक्त किए जाने से पहले आपको एक वर्ष के प्रशिक्षण अवधि में रहना होता है। प्रशिक्षण में कक्षा प्रशिक्षण के साथ– साथ बैंक की अलग– अलग शाखाओं में भी प्रशिक्षित किया जाता है। इसलिए प्रशिक्षण पूरा होने पर बैंक को एक प्रशिक्षित अधिकारी मिलता है।
• संघर्षण दर कमः इस प्रोग्राम के माध्यम से बैंक में शामिल होने के बाद आपको एक बॉन्ड भरना होता है और इसकी वजह से नौकरी के पांच वर्ष पूरे होने से पहले आप बैंक नहीं छोड़ सकते। यदि आपने बैंक छोड़ने का फैसला किया तो आपको मुआवजे के तौर पर बैंक को मोटी रकम देनी होगी। यह सुनिश्चित करता है कि बैंक द्वारा दिए गए कठोर प्रशिक्षण के बाद अधिकारी बैंक को अपनी सेवाएं दें ।
• बैंक शिक्षा ऋण में विस्तार कर सकता है : हां, बड़ौदा मनिपाल स्कूल ऑफ बैंकिंग में प्रशिक्षण अवधि के दौरान कोर्स फीस भरने के लिए आपको बैंक से शिक्षा ऋण मिल सकेगा। यह तथ्य यह सुनिश्चित करता है कि बैंक बिना अधिक परेशानी और स्पष्ट रूप से बेहद कम जोखिम के साथ अपने क्रेडिट पोर्टफोलियो को बढ़ा सकता है।
• बैंक के लिए राजस्व स्रोतः यह प्रोग्राम बैंक के लिए पैसा बनाने वाला प्रोग्राम है क्योंकि यह उम्मीदवारों से पैसे लेता है औऱ दूसरी तरफ उम्मीदवारों के ऋण लेने की सीमा को भी बढ़ा सकता है। यह बैंक द्वारा ज्यादा कुछ किए बिना अच्छी आमदनी का रास्ता तैयार करता है।
बड़ौदा मनिपाल स्कूल ऑफ बैंकिंग पीजी प्रोग्राम का उद्देश्य एक फ्रेशर को प्रभावशाली बैंकर के रूप में प्रशिक्षित करना है। यदि आप इसकी तुलना आईबीपीएस पीओ भर्ती प्रक्रिया से करेंगे तो निश्चित रूप से आरंभिक वर्षों में आप अधिक नुकसान में रहेंगे लेकिन अकादमी में जो प्रशिक्षण आपको मिलेगा वह बतौर बैंकर आपके करिअर में भविष्य की चुनौतियों के लिए आपको तैयार कर देगा। यही वजह है कि हाल के वर्षों में बैंकों ने भर्ती के इस मोड को तेजी से अपनाया है।
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