जी 20 फ्रेमवर्क वर्किंग ग्रुप की तीसरी बैठक 29 मार्च 2017 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में संपन्न हुई. इस सम्मलेन में कानाडा, जर्मनी, भारत, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, फ्रांस, इटली, इंडोनेशिया, जापान, मेक्सिको, चीन, यूनाइटेड किंगडम, रूस, दक्षिण अफ्रिका, अमेरीका, टर्की, दक्षिण कोरिया के प्रतिनिधि के साथ भारतीय रिर्जव बैंक, विश्व बैंक और आई एल ओ, इंटरनेशल मॉनिटरिंग फंड के साथ ही यूरोप तथा अमेरीका की अन्य संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल है.
जर्मन प्रेसिडेंसी के तहत जी-20 एफडब्ल्यूजी की पहली दो बैठकें दिसम्बर 2016 में बर्लिन और फरवरी 2017 में रियाद में सफलतापूर्वक आयोजित की जा चुकी हैं.
जी-20 में शामिल 19 देशों एवं यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधियों के साथ-साथ विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आइएलओ) सहित और कई वैश्रिवक संस्थाओं-संगठनों के 80 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए हैं.
धार्मिक और पर्यटन महत्व के साथ पिछले ढाई साल में वाराणसी ने प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजक्ट स्वच्छ भारत अभियान की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम बढ़ाएं हैं.
जी-20 और फ्रेमवर्क वर्किंग ग्रुप: वर्ष 1999 में गठित जी-20 विश्व की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सरकारों और केंद्रीय बैंकों का एक ऐसा फोरम है, जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने से जुड़ी नीतियों का अध्ययन, विचार विमर्श और समीक्षा करता है.
इससे संबद्ध जी-20 फ्रेमवर्क वर्किंग ग्रुप (एफडब्ल्यूजी) जी-20 समूह के बुनियादी कार्य समूहों में से एक है. प्रथम सत्र में अंतरराष्ट्रीय मुद्दे, द्वितीय में वैश्विक मंदी तथा तीसरे सत्र में मौद्रिक नीति पर चर्चा हुई. बैठक की संयुक्त अध्यक्षता भारत एवं कनाडा के अधिकारी किए.
वर्ष 2009 में एफडब्ल्यूजी की स्थापना के बाद से यह चौथा अवसर है जब भारत इस बैठक का आयोजन कर रहा है. इससे पहले भारत ने नीमराणा, राजस्थान (वर्ष 2012 में मैक्सिकन प्रेसिडेंसी के अंतर्गत), गोआ (वर्ष 2014 में जी-20 आस्ट्रेलियन प्रेसिडेंसी के अंतर्गत) और केरल (वर्ष 2015 में जी-20 टर्किश प्रेसिडेंसी के अंतर्गत) में जी-20 एफडब्ल्यूजी की बैठकों की मेजबानी की थी.
सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियों, समस्याओं तथा उनके समाधान पर विस्तृत चर्चा हुई.
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