केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 दिसंबर 2017 को नए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक को मंजूरी प्रदान की. इस विधेयक के प्रावधानों के तहत यदि कंपनियों द्वारा भ्रामक विज्ञापन जारी किये जाते हैं अथवा मिलावट की जाती है तो उन पर जुर्माना और जेल हो सकती है.
इस विधेयक में भ्रामक विज्ञापन करने वाले व्यक्तियों पर भी जुर्माने और तीन साल तक प्रतिबंध का प्रावधान किया गया है. विधेयक को संसद के वर्तमान सत्र में ही पेश किए जाने की संभावना है.
उपभोक्ता संरक्षण विधेयक के मुख्य बिंदु
• इस विधेयक में भ्रामक विज्ञापन करने वाले सेलिब्रिटी पर पहली बार अपराध करने पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना और एक साल के प्रतिबंध का प्रावधान है.
• दूसरी बार अपराध में 50 लाख रुपए तक का जुर्माना और तीन साल तक के प्रतिबंध का प्रावधान किया गया है.
• उत्पाद निर्माता और कंपनियों पर पहले अपराध में 10 लाख रुपए तक का जुर्माना और दो साल की जेल का प्रावधान किया गया है.
• इसके बाद के अपराधों पर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना और पांच साल तक की जेल का प्रावधान है.
• मिलावट के मामलों में विधेयक में जुर्माने के साथ-साथ उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है.
मंत्रिमंडल ने उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2017 को मंजूरी देकर 2015 में पेश विधेयक को वापस लेने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है. इस संबंध में एक संसदीय स्थायी समिति ने पिछले साल अप्रैल में सरकार को अपनी सिफारिशें भी सौंपी थीं.
इससे पहले, अगस्त 2015 में केंद्र सरकार ने लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 की जगह लेने के लिए नया विधेयक पेश किया था लेकिन 2015 में पेश उक्त विधेयक में कई संशोधन किए जाने की वजह से उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय यह विधेयक लाया गया है.
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