आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटि (सीसीईए) ने 23 मार्च 2017 को क्रेडा एचपीसीएल बायोफ्यूएल लिमि. (सीएचबीएल) और इंडियनऑयल– छत्तीसगढ़ रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (क्रेडा) बायोफ्यूएल लिमिटेड (आईसीबीएल) को बंद करने की मंजूरी दे दी.
• सीएचबीएल और आईसीबीएल के सभी कार्यालयी परिसंपत्तियां को बेचा गया है.
• सीएचबीएल और आईसीबीएल के रोल पर कोई भी व्यक्ति नहीं है.
• भारत सरकार से कोई वित्तीय व्यय नहीं किया जा रहा है और जमीन क्रेडा को वापस कर दी गई है.
• सभी प्रकार की देनदारियां भी चुका दी गई हैं. इसलिए, सीएचबीएल और आईसीबीएल को बंद करने से संवैधानिक अनुपालन पर असफल व्यय की बचत ही होगी.
पृष्ठभूमि:
• क्रेडा एचपीसीएल बायोफ्यूएल लिमि. (सीएचबीएल) और इंडियानऑयल– क्रेडा बायोफ्यूएल लिमिटेड (आईसीबीएल) का संयुक्त उपक्रम ऊर्जा फसल (जटरोफा) के वृक्षारोपण और बायो–डीजल के उत्पादन के लिए क्रमशः वर्ष 2008 और 2009 में किया गया था.
• क्रेडा, छत्तीसगढ़ा की शाखा, ने सीएचबीएल और आईसीबीएल को भूमि उपयोग समझौते (एलयूए) के माध्यम से जटरोफा के वृक्षारोपण हेतु बंजर जमीन दी थी.
• बीज की बहुत खराब उपज, बंजर भूमि की सीमित उपलब्धता और वृक्षारोपण के रख–रखाव की उच्च लागत जैसी कई बाधाओँ के कारण परियोजना अव्यवहार्य बन गई और जटरोफा वृक्षारोपण गतिविधियों को रोक दिया गया.
क्रेडा के बारे में:
• छत्तीसगढ़ रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (क्रेडा) का गठन 25 मई 2001 को छत्तीसगढ़ सरकार के ऊर्जा विभाग के अधीन की गई थी.
• इसने अक्षय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा संरक्षण गतिविधियों से संबंधित कई योजनाओं को लागू किया.
• यह सोसायटी एक्ट, 1973, नियंत्रण निकाय छत्तीसगढ़ सरकार का ऊर्जा विभाग, के तहत पंजीकृत है.
• क्रेडा की स्थापना गैरपरंपरागत एवं अक्षय ऊर्जा स्रोतों के विकास एवं संवर्धन के नोडल एजेंसी के तौर पर की गई थी.
• ज्यादातर योजनाएं जैसे नेशनल प्रोग्राम ऑन बायो–गैस डेवलपमेंट, सोलर थर्मल, सोलर फोटो वोल्टायिक, सूदूर गांवों का विद्युतीकरण और बायोमास गैसिफायर, जो केंद्रीय गैर– परंपरागत एवं अक्षय ऊर्जा स्रोतों के मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा प्रायोजित थीं, को क्रेडा कार्यान्वित करती है.
• अपने स्थापना के बाद से, इसने अक्षय ऊर्जा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यापक मानव संसाधन विकास गतिविधियों की भी शुरुआत की है.
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