अमेरिका स्थित हॉलोकास्ट म्यूज़ियम ने 08 मार्च 2018 को म्यांमार की नेता आंग सान सू की को दिए गये प्रतिष्ठित मानवाधिकार सम्मान को वापिस लेने की घोषणा की है. हॉलोकास्ट म्यूज़ियम का आरोप है कि सू की रोहिंग्या मुस्लिमों पर हो रहे हमलों को रोकने एवं उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम रही हैं.
मुद्दे के प्रमुख तथ्य
• म्यांमार में तानाशाह सैन्य शासन के दौरान 15 साल तक हिरासत में रह चुकी सू की वर्ष 2012 में यह मानवाधिकार सम्मान हासिल करने वाली दूसरी शख्सियत हैं.
• वर्ष 1991 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली सू की को साहसी नेतृत्व और निरंकुश शासन का विरोध करने के दौरान व्यक्तिगत बलिदान देने और म्यांमार (बर्मा) के लोगों की आजादी व सम्मान के लिए संघर्ष करने के लिए छह साल पहले ही हॉलोकास्ट म्यूजियम एली विसेल पुरस्कार दिया गया था.
• यह मानवाधिकार सम्मान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक वर्ष एक ऐसे प्रमुख व्यक्ति को दिया जाता है, जिनकी वैश्विक गतिविधियों से संग्रहालय का दृष्टिकोण उन्नत होता है.
हॉलोकास्ट म्यूज़ियम ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता म्यांमार की नेता आंग सान सू की पर रोहिंग्या मुस्लिमों के जातीय सफाए को रोकने की कोशिश न करने और इसमें नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए उन्हें दिया गया प्रतिष्ठित मानवाधिकार सम्मान वापस लेने की घोषणा की.
आंग सान सू की के बारे में
• आंग सान सू की का जन्म 19 जून 1945 को हुआ. वे म्यांमार (बर्मा) के राष्ट्रपिता आंग सान की पुत्री हैं जिनकी 1947 में हत्या कर दी गयी थी.
• सू की को बर्मा में लोकतन्त्र की स्थापना के लिए लम्बा संघर्ष किये जाने के कारण जाना जाता है.
• म्यांमार की सैनिक सरकार ने उन्हें पिछले कई वर्षों से घर पर नजरबंद रखा हुआ था. उन्हें 13 नवम्बर 2010 को रिहा किया गया.
• आंग सान सू की को 1990 में राफ्तो पुरस्कार व विचारों की स्वतंत्रता के लिए सखारोव पुरस्कार से और 1991 में नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया.
• आंग सान सू की ने लेडी श्रीराम कॉलेज, नई दिल्ली से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया है.
यह भी पढ़ें: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान से राष्ट्रीय पोषण मिशन आरंभ किया
यह भी पढ़ें: हरियाणा में विधुर पेंशन लागू किये जाने की घोषणा
Comments
All Comments (0)
Join the conversation