अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कोयला बिजली संयंत्रों और मजबूत बिजली की मांग कारण, भारत की कोयला आधारित बिजली उत्पादन में वृद्धि जारी रहेगी. आईईए के अनुसार, भारत में कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन 2022 तक लगभग 4% प्रति वर्ष बढ़ सकता है और कोयला आयात को कम करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न कदमों के कारण थर्मल कोयला के आयात में कमी आने की संभावना है.
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
रिपोर्ट के मुताबिक, उद्योगों में सुरक्षा, जहाज निर्माण और वाहन निर्माण के साथ-साथ रेलवे और आवासों में इस्पात खपत बढ़ने के कारण कोकिंग कोल का आयात 2022 तक प्रति वर्ष 5% तक बढ़ने का अनुमान है.
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने यह भी कहा कि कोयले की वैश्विक मांग 2017 और 2022 के बीच लगभग सपाट रहनी चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप कोयला खपत में एक दशक तक ठहराव रहा है.
इसने कहा है कि हालाँकि ऊर्जा प्रणाली में तेज वृद्धि हो रही है, ईंधन मिश्रण में काफी विविधताएँ आई है और प्रौद्योगिकियों की लागत भी नीचे जा रही है, फिर भी वैश्विक स्तर पर कोयला की मांग एक समान ही है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत के अक्षय ऊर्जा में अच्छी वृद्धि होने की संभावना है, लेकिन इस से बढ़ती अर्थव्यवस्था के ऊर्जा आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकेगा और यह अंतर कोयला आधारित उर्जा से पूरा करना पड़ेगा.
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भारत का बिजली उत्पादन
भारत का कुल बिजली उत्पादन क्षमता में 67% भाग कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र का है.
कोयला अगले दो से तीन दशकों तक भारत की बिजली उत्पादन एक महत्वपूर्ण आधार होगा.
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए)
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी अपने 29 सदस्य देशों के लिए सस्ती, विश्वसनीय और स्वच्छ ऊर्जा सुनिश्चित करती है. इसका मिशन चार मुख्य क्षेत्रों पर केंद्रित है: आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण जागरूकता और दुनिया भर में विस्तार.
आईईए के सदस्य बनने के लिए, देश को ऊर्जा सुरक्षा से संबंधित कई मानदंडों को पूरा करना होता है.
आईईए के वर्तमान में 29 सदस्य हैं.
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