भारतीय वैज्ञानिकों ने उप-शनि जैसे एक ग्रह की खोज की

Jun 25, 2018, 08:51 IST

इस तरह के सुपर-नेप्च्यून या उप-शनि प्रकार के ग्रहों के निर्माण तंत्र को समझने के लिए खोज महत्वपूर्ण है, जो स्रोत तारे के बहुत करीब हैं. पारस स्पेक्ट्रोग्राफ ने ग्रह निकाय के द्रव्यमान का एक स्वतंत्र मापन किया.

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भारतीय वैज्ञानिकों के एक दल ने हाल ही में उप-शनि अथवा सुपर-नेप्च्यून आकार के एक एक्सोप्लानेट की खोज की. यह खोज अहमदाबाद स्थित भौतिक शोध प्रयोगशाला (पीआरएल) के वैज्ञानिकों की टीम ने की है.

खोज करने वाले दल का नेतृत्व वैज्ञानिक अभिजीत चक्रवर्ती ने किया. इस ग्रह का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान के लगभग 27 गुना एवं पृथ्वी की त्रिज्या से छह गुना अधिक बड़ी है.

खोजे गये ग्रह की विशेषताएं

•    वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया यह ग्रह सूर्य के आसपास परिक्रमा करता नज़र आता है.

•    पृथ्वी से इसकी दूरी 600 प्रकाश वर्ष है.

•    यह खोज माउंट आबू में पीआरएल के गुरुशिकार वेधशाला में 1.2 मीटर टेलीस्कोप के साथ एकीकृत स्वदेशी डिजाइन किए गए ‘पीआरएल एडवांस रेडियल-वेल्सीटी अबू-स्काई सर्च’ (PARAS) स्पेक्ट्रोग्राफ का उपयोग करके ग्रह के द्रव्यमान को मापकर की गई.

•    इस खोज के बाद भारत उन चुनिंदा देशों की लीग में शामिल हो गया है जिन्होंने सितारों के चारों ओर ग्रहों की खोज की है.

•    ग्रह की सतह का तापमान लगभग 600 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, क्योंकि यह अपने स्रोत तारे के बहुत नजदीक है.

वैज्ञानिकों द्वारा की गई घोषणा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की वेबसाइट पर एक पोस्ट में, वैज्ञानिकों ने कहा कि होस्ट स्टार (मेजबान सितारा) का नाम EPIC 211945201 (ईपीआईसी 211945201) या K2-236 (के 2-236 ) है और ग्रह का नाम EPIC 211945201b (ईपीआईसी 211945201b) या के K2-236b बी के रूप में जाना जाएगा.


PARAS स्पेक्टोग्राफर
•    यह एशिया का पहला ऐसा स्पेक्टोग्राफ है जो स्रोत तारे के आस-पास घूमने वाले ग्रह का द्रव्यमान माप सकता है.
•    विश्व में ऐसे बहुत कम स्पेक्टोग्राफ मौजूद हैं (अधिकतर यूरोप एवं अमेरिका में मौजूद) जो इस प्रकार की सटीक भविष्यवाणी कर सकते हैं.

खोज का महत्व

इस तरह के सुपर-नेप्च्यून या उप-शनि प्रकार के ग्रहों के निर्माण तंत्र को समझने के लिए खोज महत्वपूर्ण है, जो स्रोत तारे के बहुत करीब हैं. पारस स्पेक्ट्रोग्राफ ने ग्रह निकाय के द्रव्यमान का एक स्वतंत्र मापन किया, क्योंकि नासा के के 2 (केप्लर 2) फोटोमेट्री के डेटा के बाद यह खोज के लिए जरूरी था क्योंकि सिस्टम की ग्रह प्रकृति की पुष्टि नहीं हो सकी थी. यह तारे के चारों ओर परिक्रमण करता है और इसलिए स्टार-लाइट की एक छोटी राशि को अवरुद्ध करता है. ग्रह निकाय द्वारा अवरुद्ध प्रकाश की मात्रा को मापकर, ग्रह के व्यास या आकार को मापा जा सकता है लेकिन इन आंकड़ों से ग्रह प्रकृति की पुष्टि नहीं की जा सकती है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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