स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 15 मार्च 2018 को प्रसूति गृह और ऑपरेशन कक्ष में देखभाल में गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से हाल ही में ‘लक्ष्य’ कार्यक्रम की घोषणा की.
कार्यक्रम का उद्देश्य:
- इस कार्यक्रम से प्रसूति कक्ष, ऑपरेशन थियेटर और प्रसूति संबंधी गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू), उच्च निर्भरता इकाइयों (एचडीयू) में गर्भवती महिलाओं की देखभाल में सुधार होगा.
- लक्ष्य कार्यक्रम सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों, जिला अस्पतालों और फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में कार्यान्वित किया जा रहा है.
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य 18 महीने के भीतर स्पष्ट परिणाम हासिल करने के लिए इसे तेजी से कार्यान्वित करना है.
महत्व:
- प्रत्येक गर्भवती महिला और सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में जन्म लेने वाले नवजात शिशु लाभांवित होंगे.
- लक्ष्य से मातृत्व और नवजात अस्वस्थता तथा शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी और प्रसूति तथा इसके तुरंत बाद की अवधि में देखभाल में सुधार होगा.
- सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सम्मानीय मातृत्व देखभाल (आरएमसी) की सुविधा प्रदान की जाएगी.
- इस पहल के अंतर्गत बहुमुखी रणनीति अपनाई गई है, जिनमें बुनियादी ढांचागत सुधार, उन्नयन, आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करना, पर्याप्त मानव संसाधन उपलब्ध कराना, स्वास्थ्य कर्मियों की क्षमता बढ़ाना और प्रसूति गृहों में सुविधाओं में सुधार लाना शामिल है.
लक्ष्य कार्यक्रम:
- लक्ष्य कार्यक्रम के तहत प्रसूति के दौरान महत्वपूर्ण देखभाल के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्तर पर समर्पित प्रसूति आईसीयू और जिला अस्पताल में प्रसूति एचडीयू संचालित किये जा रहे हैं.
- प्रसूति कक्ष और ऑपरेशन थियेटर में गुणवत्तापरक सुधार का आंकलन एनक्यूएएस (राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक) के जरिये किया जाएगा.
- एनक्यूएएस पर 70 प्रतिशत अंक पाने वाली प्रत्येक सुविधा को लक्ष्य प्रमाणित सुविधा का प्रमाणपत्र दिया जाएगा.
- एनक्यूएएस अंकों के अनुसार लक्ष्य प्रमाणित सुविधाओं का वर्गीकरण किया जाएगा. 90 प्रतिशत, 80 प्रतिशत और 70 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने वाली सुविधाओं को इसी के अनुसार प्लेटिनम, स्वर्ण और रजत बैज प्रदान किए जायेंगे.
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