साइंटिस्टों ने पानी से माइक्रोप्लास्टिक को फिल्टर करने की नई टेक्नोलॉजी खोजी, जानें इसके बारें में
हाल ही में साउथ कोरिया के साइंटिस्टों ने एक ऐसे वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम को डेवलप किया है जो केवल 10 सेकंड में पानी से माइक्रोप्लास्टिक्स को प्रभावी रूप से ख़त्म कर देता है. डेगू ग्योंगबुक इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (DGIST) के साइंटिस्टों ने जर्नल एडवांस्ड मैटेरियल्स में एक पेपर पब्लिश किया है.

हाल ही में साउथ कोरिया के साइंटिस्टों ने एक ऐसे वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम को डेवलप किया है जो केवल 10 सेकंड में पानी से माइक्रोप्लास्टिक्स को प्रभावी रूप से ख़त्म कर देता है. इसके लिए अपेक्षाकृत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिससे इसे सोलर एनर्जी बेस्ड भी बनाया जा सकता है.
इस प्यूरिफिकेशन सिस्टम का उपयोग विशेष रूप से विकासशील देशों में जहां बिजली की आपूर्ति अविश्वसनीय है, एक प्रयोग में, 99.9 प्रतिशत से अधिक दूषित पदार्थों को केवल 10 सेकंड में पानी से बाहर निकाल दिया गया.
डेगू ग्योंगबुक इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (DGIST) के साइंटिस्टों ने जर्नल एडवांस्ड मैटेरियल्स में एक पेपर पब्लिश किया है, जिसका शीर्षक है 'सुपरमॉलेक्यूलर इंजीनियरिंग ऑफ एमोर्फस पोरस पॉलीमर्स फॉर रैपिड एडजॉर्प्शन ऑफ माइक्रोपोल्यूटेंट्स एंड सोलर-पावर्ड वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स मैनेजमेंट'. है.
वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम, हाइलाइट्स:
इस वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम में पोलीमर का उपयोग किया जाता है जिसमे सोखने की अधिक क्षमता और उच्च गुणवत्ता के फोटोथर्मल गुण होते है.
इस प्यूरिफिकेशन सिस्टम में पानी से माइक्रोप्लास्टिक्स को हटाने की क्षमता अधिक है और कम समय में यह जल को प्योर फॉर्म में बदल देता है. यह सिस्टम कम ऊर्जा खपत पर कार्य करता है.
पानी में माइक्रोप्लास्टिक्स की समस्या:
आज के समय में पानी में माइक्रोप्लास्टिक अधिकतर पाए जाने लगे है. माइक्रोप्लास्टिक वे होते है जिसमें 5 मिमी से कम डायमीटर वाले प्लास्टिक के कण होते हैं. जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होता है. साथ ही यह जलीय जीवों के लिए भी हनिकारक होते है. माइक्रोप्लास्टिक्स जीवों के अंदर जठरांत्र संबंधी मार्ग (gastrointestinal tracts) को अवरुद्ध कर सकता है.
कार्बन बेस्ड फ़िल्टर:
कार्बन ब्लॉक फिल्टर कंप्रेस्ड कार्बन के एक ठोस ब्लॉक से बने होते हैं और अक्सर रिवर्स ऑस्मोसिस और अन्य जल निस्पंदन सिस्टम में प्री-फिल्टर के रूप में उपयोग किए जाते हैं.
कार्बन बेस्ड फ़िल्टर से कैसे है बेहतर?
सामान्य तौर पर ट्रेडिशनल कार्बन बेस्ड फ़िल्टर माइक्रोप्लास्टिक्स को फ़िल्टर नहीं कर पाते है जबकि कुछ कार्बन बेस्ड फ़िल्टर इसको फ़िल्टर कर देते है. लेकिन इनकी गति काफी धीमी होती है जिससे एनर्जी कंजम्पशन अधिक होता है.
साथ ही इससे बड़े स्तर पर पानी को फ़िल्टर करना मुश्किल होता है. अतः इस नए वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम का उपयोग और अधिक प्रभावी हो जाता है.
नए वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम के लाभ:
इस नए वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम की मदद से आज के समय में कम समय में और ऊर्जा खर्च में माइक्रोप्लास्टिक्स फ्री जल का शोधन किया जा सकता है. जो कार्बन बेस्ड टेक्नोलॉजी से हर मामले में बेहतर टेक्नोलॉजी है.
इस टेक्नोलॉजी का उपयोग उन विकासशील देशों सहित विभिन्न स्थितियों में पानी को शुद्ध करने के लिए आइडियल है जहाँ शुद्ध जल की पहुँच एक बड़ा मुदद है.
यह टेक्नोलॉजी पानी में माइक्रोप्लास्टिक्स की समस्या के समाधान के रूप में सामने आई है. आगे आने वाले समय में इस तकनीकी के तेजी से बढ़ने की उम्मीद है.
इसे भी पढ़े:
108th ISC: पीएम मोदी ने 108वीं इंडियन साइंस कांग्रेस का किया उद्घाटन, यहाँ देखे हाइलाइट्स
Take Weekly Tests on app for exam prep and compete with others. Download Current Affairs and GK app
एग्जाम की तैयारी के लिए ऐप पर वीकली टेस्ट लें और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करें। डाउनलोड करें करेंट अफेयर्स ऐप
AndroidIOS