स्वच्छ भारत मिशन के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर देशवासियों को साफ- सफाई हेतु प्रेरित करने के लिए केंद्र सरकार ने दो स्मारक डाक टिकट जारी किये. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 147 वीं जयन्ती के अवसर पर केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू और संचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने पांच रुपये और पचीस रुपये के यह डाक टिकट जारी किये.
राजधानी नई दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में आयोजित समारोह में शहरी विकास मंत्री नायडू ने डाक विभाग में साफ सफाई में श्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु हरियाणा और दिल्ली सर्किल के पांच-पांच डाक घरों को भी प्रतीक चिह्न भेंट कर उन्हें पुरस्कृत किया गया. एम.वेंकैया नायडू की उपस्थिति में लघु पृष्ठ भी किया गया.
स्वच्छ भारत मिशन के हिस्से के रूप में डाक विभाग द्वारा 25 रूपये और पांच रूपये मूल्य के डाक टिकट की डिजाइन तैयार करने हेतु स्पर्धा भी आयोजित की गयी.
डाक टिकट की डिजाइन प्रतियोगिता में शामिल सुश्री विनिता विश्वजीत, सुश्री संजुला एस तथा सुश्री आरुषि अग्रवाल की कृति है.
डाक विभाग के सचिव बी.वी.सुधाकर के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन न केवल शांतिपूर्ण क्रांति है बल्कि यह शांतिपूर्ण, सशक्त, विशुद्ध क्रांति है.
डाक टिकट के बारे-
- डाक टिकट चिपकने वाले काग़ज़ से बना एक साक्ष्य है, जो यह दर्शाता है कि डाक सेवाओं के शुल्क का भुगतान किया जा चुका है.
- आमतौर पर यह एक छोटा आयताकार काग़ज़ का टुकड़ा होता है, जो एक लिफाफे पर चिपका रहता है.
- जो यह दर्शाता है कि प्रेषक ने प्राप्त कर्ता को सुपुर्दगी हेतु डाक सेवाओं का पूरी तरह से या आंशिक रूप से भुगतान कर दिया है.
- डाक टिकट, डाक भुगतान करने का सबसे लोकप्रिय तरीका है; इसके अलावा इसके विकल्प हैं, पूर्व प्रदत्त-डाक लिफाफे, पोस्ट कार्ड, हवाई पत्र आदि.
- इनके संग्रह को 'डाक टिकट संग्रह' या 'फ़िलेटली' कहा जाता है.
- डाक टिकट इकट्ठा करना मानव के कई शौक़ों में से एक है.
भारत में पहला डाक-टिकट-
- भारत में डाक टिकटों की शुरुआत 1852 में हुई.
- 1 जुलाई, 1852 को सिन्ध के मुख्य आयुक्त सर बर्टलेफ्र्रोरे द्वारा सिर्फ़ सिंध राज्य में और मुंबई-कराची मार्ग पर प्रयोग हेतु 'सिंध डाक' नामक डाक टिकट जारी किया गया.
आज़ाद भारत में जारी प्रथम डाक टिकट-
- आधे आने मूल्य के इस टिकट को भूरे काग़ज़ पर लाख की लाल सील चिपका कर जारी किया गया.
- यह टिकट बहुत सफल नहीं रहा, क्योंकि लाख टूटकर झड़ जाने के कारण इसको संभालकर रखना संभव नहीं था.
- अनुमान के अनुसार इस टिकट की लगभग 100 प्रतियाँ विभिन्न संग्रह कर्ताओं के पास सुरक्षित हैं.
- डाक-टिकटों के इतिहास में इस टिकट को 'सिंध डाक' के नाम से जाना जाता है.
- बाद में सफ़ेद और नीले रंग के इसी प्रकार के दो टिकट वोव काग़ज़ पर जारी किए गए.
- 30 सितंबर, 1854 को सिंध प्रांत पर ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिकार होने के बाद इन्हें बंद कर दिया गया.
- ये एशिया के पहले डाक-टिकट तो थे ही, विश्व के पहले गोलाकार टिकट भी थे.
- बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत के सबसे पहले डाक टिकट आधा आना, एक आना, दो आना और चार आना के चार मूल्यों में 1 अक्टूबर, 1854 में जारी किये गए. जिस पर महारानी विक्टोरिया के चित्र छपे थे.
- इन डाक टिकटों को लिथोग्राफी पद्धति द्वारा मुद्रित किया गया.
इतिहास-
- सबसे पहले इंग्लैंड में वर्ष 1840 में डाक-टिकट बेचने की व्यवस्था शुरू की गई.
- पहले किसी भी पत्र भेजने वाले को डाक घर जाकर पत्र पर पोस्ट मास्टर के दस्तख्त करवाने पड़ते थे पर डाक-टिकटों के बेचे जाने ने इस परेशानी से मुक्ति दिला दी.
- जब डाक-टिकट बिकने लगे तो लोग उन्हें ख़रीद कर अपने पास रख लेते थे और फिर ज़रूरत पड़ने पर उनका उपयोग कर लेते थे.
- 1840 में ही सबसे पहले जगह-जगह लेटर-बॉक्स भी टाँगे जाने लगे ताकि पत्र भेजने वाले उनके जरिए पत्र भेज सकें और डाक घर जाने से छुट्टी मिल गई.
विश्व का पहला डाक टिकट-
- विश्व में पहला डाक टिकट लगभग डेढ़ सौ साल से पहले ब्रिटेन (इंग्लैंड) में जारी हुआ.
- उस समय इंग्लैंड के राजसिंहासन पर महारानी विक्टोरिया विराजमान थीं.
- अत: स्वाभाविक रूप से इंग्लैंड अपने डाक टिकटों पर महारानी विक्टोरिया के चित्रों को प्रमुखता देता रहा.
- विश्व का पहला डाक टिकट 1 मई, 1840 को ग्रेट ब्रिटेन में जारी किया गया.
- यह डाक टिकट काले रंग में एक छोटे से चौकोर काग़ज़ पर छपा था और उसकी कीमत एक पेनी रखी गई थी.
- यह डाक टिकट 'पेनी ब्लैक' के नाम से मशहूर हुआ.
- डाक शुल्क हेतु इसे 6 मई, 1840 से वैध माना गया.
- इंग्लैंड के इन डाक टिकटों को निकालने का श्रेय 'सर रॉलैंड हिल' (सन 1795-1878) को जाता है.
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