कर्नाटक सरकार ने 16 नवंबर 2021 को दिवंगत एक्टर पुनीत राजकुमार को मरणोपरांत ‘कर्नाटक रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित करने का घोषणा किया है. कुछ दिन पहले कार्डिएक अरेस्ट के चलते कन्नड़ फिल्मों के सुपरस्टार पुनीत राजकुमार का निधन हो गया था.
पुनीत राजकुमार राज्य का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले 10वें शख्स होंगे. अभी तक यह सम्मान केवल 9 लोगों को मिला है. आखिरी बार साल 2009 में डॉ. वीरेंद्र हेगड़े को समाजसेवा के लिए यह अवॉर्ड दिया गया था. पुनीत राजकुमार का 29 अक्टूबर 2021 को 46 की उम्र में कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया था.
ಕನ್ನಡನಾಡಿನ ಜನಪ್ರಿಯ ಕಲಾವಿದ ದಿವಂಗತ ಶ್ರೀ ಪುನೀತ್ ರಾಜಕುಮಾರ್ ಅವರಿಗೆ ಮರಣೋತ್ತರ ಕರ್ನಾಟಕ ರತ್ನ ಪ್ರಶಸ್ತಿ ನೀಡಿ ಗೌರವಿಸಲು ರಾಜ್ಯ ಸರ್ಕಾರ ತೀರ್ಮಾನಿಸಿದೆ.
— Basavaraj S Bommai (@BSBommai) November 16, 2021
State Government has decided to honour late Sri #PuneethRajukumar with Karnataka Ratna award posthumously.#KarnatakaRatna
कर्नाटक के CM ने की यह घोषणा
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने यह घोषणा कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स की तरफ से हुए श्रद्धांजलि कार्यक्रम 'पुनीत नामाना' के दौरान की. कार्यक्रम का आयोजन ‘कर्नाटक फिल्म चैम्बर ऑफ कॉमर्स’ ने ‘सैंडलवुड फिल्म ऐक्टर्स ऐंड टेक्नीशियंस एसोसिएशन’ के सहयोग से किया था. मुख्यमंत्री ने कहा कि कई लोगों के साथ चर्चा के बाद मैंने पुनीत राजकुमार को मरणोपरांत ‘कर्नाटक रत्न’ से सम्मानित करने का फैसला लिया है.
पद्मश्री पुरस्कार देने की मांग
पुनीत के निधन के बाद से ही उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार देने की मांग की जा रही है. इस समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और सिद्धारमैया, बोम्मई के कैबिनेट सहयोगी, राज्य कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार, कन्नड़ और दक्षिण भारतीय फिल्मी हस्तियां शामिल थे.
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने क्या कहा?
इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि पुनीत बिल्कुल दुर्लभ व्यक्ति थे. उन्होंने अपनी खूबियों से लोगों का दिल जीत लिया था.
पुनीत के पिता को भी मिला था यह सम्मान
पुनीत राजकुमार के दिवंगत पिता डॉ. राजकुमार को भी साल 1992 में कवि कुवेम्पु के साथ कर्नाटक रत्न पुरस्कार दिया गया था. यह सम्मान पाने वाली दूसरी हस्तियों में एस निजलिंगप्पा (राजनीति), सीएनआर राव (विज्ञान), डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी (चिकित्सा), भीमसेन जोशी (संगीत), शिवकुमार स्वामीजी (समाज सेवा), और डॉ. जे जावरेगौड़ा (शिक्षा और साहित्य) हैं.
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