RBI ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की

Nov 29, 2019, 11:38 IST

लगातार पांचवीं बार आरबीई ने रेपो रेट में कटौती की है. आरबीआई के इस अहम फैसले से रेपो रेट नौ साल में सबसे कम है. आरबीआई के इस फैसले से होम लोन, कार लोन आदि पर ईएमआई और घट जायेगी.

RBI repo rate
RBI repo rate

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 04 अक्टूबर 2019 को आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने हेतु नीतिगत ब्याज दरों में लगातार पांचवीं बार कटौती की है. आरबीआई ने रेपो रेट (Repo Rate) में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है. आरबीआई के इस फैसले से होम लोन, कार लोन आदि पर ईएमआई और घट जायेगी.

लगातार पांचवीं बार आरबीई ने रेपो रेट में कटौती की है. आरबीआई के इस अहम फैसले से रेपो रेट नौ साल में सबसे कम है. आरबीआई ने इससे पहले फरवरी 2019, अप्रैल और जून 2019 में रेपो रेट में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती की थी. वहीं, अगस्त 2019 में भी रेपो रेट में 0.35 प्रतिशत की बड़ी कटौती की गई थी.

रेपो रेट: आरबीआई ने इस मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक में रेपो रेट 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.15 प्रतिशत कर दिया है. आरबीआई बैंकों को जिस रेट पर कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहते है. इसी आधार पर बैंक भी ग्राहकों को कर्ज मुहैया कराते हैं. रेपो रेट कम होने से बैंकों को बड़ी राहत मिलती है. बैंक भी इसके बाद कर्ज को कम ब्‍याज दर पर ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं.

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रिवर्स रेपो रेट: रिवर्स रेपो रेट घटकर 4.9 प्रतिशत हो गया है. रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है. बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में रिवर्स रेपो रेट काम आती है. नकदी बाजार में जब भी बहुत ज्यादा दिखाई देती है तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, जिससे की बैंक ज्यादा ब्याज कमाने हेतु अपनी रकमे उसके पास जमा करा दे.

बैंक रेट: आरबीआई द्वारा बैंक रेट 5.40 प्रतिशत कर दिया गया है. बैंक रेट वह दर है जिस पर आरबीआई व्यापारिक बैंको को प्रथम श्रेणी की प्रतिभूतियों पर कर्ज प्रदान करता है.

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आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ दर का अनुमान 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया है. आरबीआई वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी अनुमान संशोधन कर 7.2 प्रतिशत कर दिया है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) तीन दिन की बैठक की बैठक 01 अक्टूबर 2019 से शुरू हुई थी.

रेपो रेट घटने से लोन कैसे सस्ता होता है

आरबीआई जब भी रेपो रेट घटाता है तो इसका मतलब है कि बैंकों को सस्ती दर पर अब फंड मिलेगा. इसका फायदा बैंक अपने ग्राहकों को देते हैं. बैंकों की लागत जब कम होती है तो वे ग्राहकों को सस्ता कर्ज देते हैं और लोन पर ब्याज घटाकर ईएमआई घटाकर ग्राहकों को लाभ पहुंचाते हैं.

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