वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मौजूदा तीन अधिनियमों में संशोधन को अपनी मंजूरी दे दी है.
यह मंजूरी 22 मार्च 2017 को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में दी गई थी.
संसद द्वारा संशोधित किए जाने वाले तीन मौजूदा अधिनियम इस प्रकार हैं:
क. सीमा शुल्क अधिनियम, 1962
ख. सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम, 1975
ग. केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944
इससे अलावा, मंत्रिमंडल ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क टैरिफ अधिनियम, 1985 को समाप्त करने की भी मंजूरी दे दी है.
उपरोक्त प्रस्तावों से निम्नलिखित लाभ होंगे:
• उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1962 में धारा 108ए और 108बी को शामिल करना, इससे निर्दिष्ट व्यक्तियों द्वारा आयात या निर्यात की जाने वाली वस्तुओं से संबंधित जानकारी मुहैया कराई जाएगी.
• इस संशोधन से आयात और निर्यात में कम या अधिक मूल्य के मामलों, ड्रॉबैक स्कीम समेत निर्यात संवर्धन योजनाओं के दुरुपयोग का विश्लेषण और पता लगाने में मदद मिलेगी.
• इससे उत्पाद शुल्क अधिनियम और अन्य कानून के प्रावधानों, जिसके तहत सीमा शुल्क अधिकारियों को इन कानूनों प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्राधिकृत किया गया है, के तहत किए जाने वाले उल्लंघन का पता लगाने में भी मदद मिलेगी.
• अन्य अधिनियमों में संशोधन या उनके विभिन्न प्रावधानों को समाप्त करने से व्यवस्था पुस्तक (statute book) से अप्रासंगिक हिस्से को हटाने और कर का गुणन कम होगा.
वस्तु एवं सेवा कर के बारे में:
• वस्तु और सेवा कर पूरे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर है जो भारत को एक एकीकृत आम बाजार बनाएगा.
• वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर, विनिर्माताओं द्वारा उपभोक्ताओं पर लगाया जाने वाला यह एकमात्र कर है.
• जीएसटी के कई लाभ हैं. नई कर व्यवस्था में कर की दरों और संरचनाओं में समरुपता, इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धत्मकता में सुधार और उपभोक्ताओँ पर कुल कर के बोझ में कमी आएगी.
• संसद में अनिवार्य कानून पारित होने के बाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का 1 जुलाई 2017 से लागू होने की उम्मीद है.
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