संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) का कहना है कि बच्चों पर हिंसा का काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जो मौजूदा संघर्षो में या आत्मघाती हमलों में मारे जा रहे हैं या फिर युद्धग्रस्त क्षेत्रों से भाग खड़े होने के दौरान मारे जाते हैं.
मध्य पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका में यूनिसेफ के निदेशक ग्रीट कैपेलिएयरेने जनवरी महीने को युद्धग्रस्त मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका के लिए बुरा महीना बताया. उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है कि हिंसा की घटनाओं में रोजाना बच्चे मर रहे हैं या घायल हो रहे हैं.
युद्ध की कीमत सबसे अधिक इन बच्चों को ही चुकानी पड़ती है, जबकि इनका इससे कोई लेनादेना भी नहीं है.
बच्चों के विरुद्ध हिंसा की घटनाएं:
• जनवरी में इराक, लीबिया, फिलिस्तीन, सीरिया और यमन में हिंसा की वजह से कम से कम 83 बच्चों की मौत हो गई.
• सीरिया में संघर्ष का यह आठवां साल है, इन संघर्षो में देश में बीते चार सप्ताह में 59 बच्चों की मौत हो गई है.
• संयुक्त राष्ट्र ने यमन में हमलों में 16 बच्चों के मारे जाने की पुष्टि की है और बढ़ रहे संघर्ष में रोजाना बच्चों के मरने या घायल होने की खबर आ रही है.
• यूनिसेफ के मुताबिक बच्चों को अपने घरों, स्कूलों और खेल के मैदानों में हमलों और बर्बर हिंसा का निशाना बनाया जा रहा है.
• यूनिसेफ ने स्पष्ट किया है कि किस तरह संकट ग्रस्त इलाकों में भारी संख्या में बच्चों की जान गई है. इन्हें कई जगहों पर जंग के लिए नियुक्त भी किया गया.
यूनिसेफ के बारे में:
• यूनिसेफ की स्थापना 11 दिसम्बर 1946 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा न्यूयार्क में की गई. इसका पूरा नाम यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेन्स फंड है.
• यूनिसेफ ने भारत में वर्ष 1949 से काम करना शुरु किया था.
• इसका मुख्य उद्देश्य विश्वभर में बच्चों की सेहत, पोषण, शिक्षा और विकास हेतु कार्य करना है.
• यूनिसेफ द्वारा प्रत्येक वर्ष पूरे विश्व में नवजात बच्चों के टीकाकरण हेतु 3 बिलियन टीके दिए जाते हैं.
• वर्तमान में यूनीसेफ के कार्यकर्ता विश्व के 190 से अधिक देशों में बाल कल्याण हेतु लगातार प्रयासरत हैं.
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