10 जून 2016 को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई–टीआरएआई) ने क्लाउड कंप्यूटिंग पर एक परामर्श पत्र जारी किया. इसमें विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और जनता से सुझाव और उनकी टिप्पणियां मांगी गई है.
परामर्श पत्र दुनिया भर में क्लाउड कंप्यूटिंग के वर्तमान रूझानों का विश्लेषण करता है. इसके अलावा यह इस क्षेत्र में अवसरों और भारत में इसके सफलतापूर्वक अपनाए जाने हेतु प्रमुख चुनौतियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है.
क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है?
अमेरिका के वाणिज्य विभाग के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी (एनआईएसटी) के अनुसार-क्लाउड कंप्यूटिंग विन्यास (कन्फिग्यरेबल) किए जाने योग्य कंप्यूटिंग संसाधनों के साझा पूल के लिए सर्वव्यापी सुविधाजनक, मांग के अनुसार नेटवर्क का उपयोग करने में सक्षम मॉडल है.
संसाधनों के साझा पूल में नेटवर्क्स, सर्वर, स्टोरेज, एप्लीकेशन और सर्विसेस शामिल होते हैं जिसे न्यूनतम प्रबंधन प्रयास या सेवा प्रदाता के साथ बातचीत से तेजी से प्रावधान या जारी किया जा सकता है.
इस तकनीक के विकास का मूल है–इंटरनेट. हाल के वर्षों में क्लाउड कंप्यूटिंग भारत में देशव्यापी बन गया है क्योंकि लोगों के कई लौकिक गतिविधियों जैसे सोशल नेटवर्किंग, मेल, ऑनलाइन खरीददारी के साथ-साथ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बड़े पैमाने पर चलने वाले काम जैसे बड़े आंकड़ें, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आदि की सुविधा प्रदान करता है.
क्लाउड कंप्यूटिंग की विशेषताएं क्या हैं?
• एट्रीब्यूट्स (विशेषताएं): इसके चार विशेषताएं हैं. जैसे– डाटा इंटेन्सिव ( संगणन से अधिक आंकड़े पर फोकस करता है); रिसोर्स पूलिंग (संसाधन पूलिंग), स्केलेबिलिटी (मापनीयता) और रैपिड इलैस्टिसिटी ( तेज लोच) एवं ऑन डिमांड एक्सेस (ऑन डिमांड एक्सेस).
• सर्विस मॉडलः क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी द्वारा दिए जाने वाले प्राथमिक सेवा मॉडल हैं–सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस (SaaS),प्लेटफॉर्म एज ए सर्विस (PaaS), इंफ्रास्ट्रक्चर एज ए सर्विस (IaaS).
इसके अलावा डाटा एज ए सर्विस (DaaS), आईडेंटिटी एंड पॉलिसी मैनेजमेंट एड ए सर्विस ((IPMaaS), नेटवर्क एज ए सर्विस (NaaS), वीडियो एज ए सर्विस (VaaS) या हार्डवेयर एज ए सर्विस (HaaS) जैसे अन्य सेवा मॉडल भी हैं.
• तैनाती मॉडल (Deployment models): एक क्लाउड सिस्टम चार तैनाती मॉडलों– पब्लिक क्लाउड, प्राइवेट क्लाउड, कम्युनिटी क्लाउड और हाइब्रिड क्लाउड में संचालित किया जा सकता है.
क्लाउड कंप्यूटिंग में मौजूदा रुझान क्या हैं?
वैश्विक स्तर पर : दुनिया भर में वर्ष 2015 में कुल आईटी व्यय का करीब 33 फीसदी क्लाउड कंप्यूटिंग के नाम रहा. विश्लेषकों का अनुमान है कि 2013 से 2018 तक क्लाउड कंप्यूटिंग का बाजार 9.7 फीसदी की सालाना दर से बढ़ेगा. इसके अलावा 2019 तक क्लाउड आईटी बुनियादी ढांचे का अनुमानित खर्च 52 बिलियन अमेरिकी डॉलर या कुल आईटी बुनियादी ढांचा व्यय का 45 फीसदी रहने की उम्मीद है.
भारत : भारत में क्लाउड कंप्यूटिंग उद्योगों को विकसित होने के लिए विशाल क्षमता प्रदान कर रहा है और अवसरों के नए दरवाजे खोल रहा है. खुदरा, रेलवे, विनिर्माण, बैंकिंग, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्र ने अपनी पहुंच और प्रदर्शन के साथ-साथ लचीलेपन एवं मापनीयता को इष्टतम बनाने के लिए अपने परिसर के एप्लीकेशन को क्लाउड सर्विसेस में बदलना शुरु कर दिया है.
सोशल, मोबिलिटी, एनालिटिक्स एंड क्लाउड (SMAC– सामाजिक, गतिशीलता, विश्लेषण एवं क्लाउड) का वर्ष 2016 में सामूहिक रूप से 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के अवसर प्रदान करने का अनुमान है. एसएमएसी के तहत क्लाउड सबसे अधिक अवसरों का प्रतिनिधित्व करता है, करीब 30 फीसदी के सीएजीआर के साथ बढ़ते हुए 2020 तक करीब 650-700 अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है.
विश्व में आठवें स्थान पर आने वाले भारत के क्लाउड सेवा बाजार ने तकनीकी नेताओं के बीच रुचि पैदा की है और भविष्य के लिए आशा की किरण दिखाई है.
भारत में क्लाउड कंप्यूटिंग के लिए नियामक और कानूनी ढांचा क्या है?
अपने बहुआयामी प्रकृति की वजह से क्लाउड कंप्यूटिंग की नियामकों द्वारा बहुत सावधानी से जांच करनी होगी.आंकड़ों की गोपनीयता और आंकड़ों का संरक्षण, आंकड़ों का स्वामित्व, बहुन्यायाधिकरण के मामले और प्रकटीकरण एवं आंकड़ों की सीमा–पार गतिविधि जैसी क्लाउड सेवाओं के साथ सम्बंधित लोगों के लिए कानूनी ढांचा अनिवार्य किया जाना चाहिए.
भारतीय टेलिग्राफ अधिनियम,1885, नागरिक प्रक्रिया संहिता 1908, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 इस क्षेत्र के साथ अस्पष्ट तरीके से निपटान करता है. इस क्षेत्र को विनियमित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम,2000 अधिक प्रासंगिक है.
कम-से-कम कंप्यूटर और साइबर–क्राइम के क्षेत्र में आईटी अधिनियम,2000 के अलग-अलग खंड, आंकड़ों की चोरी और निजता के लिए जुर्माने का प्रावधान करते हैं. यह अधिनियम सामान्य रूप से ई-कॉमर्स और साइबर अपराध पर फोकस करता है और इसके तहत आंकड़ों की निजता एवं संरक्षण को कवर किया जाता है.
हालांकि मौजूदा कानून क्लाउड कंप्यूटिंग द्वारा उठाए जाने वाले कुछ कानूनी मुद्दों को कवर करता है, लेकिन ये क्लाउड कंप्यूटिंग सेवाओं और परिणामस्वरूप उन मुद्दों के बढ़ने की गुंजाइश पर गौर नहीं करते.
क्लाउड कंप्यूटिंग क्षेत्र में सरकारें किस प्रकार की पहल कर रही है?
• बुनियादी ढांचा क्षेत्र : केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटीज मिशन स्मार्ट नतीजों के लिए प्रौद्योगिकी के दोहन द्वारा स्थानीय विकास को सक्षम बना रहा है. इसके अलावा सरकार ने डिजिटल इंडिया की नींव स्थापित करने के लिए क्लाउड-आधारित सेवा–वितरण मंच के महत्व को समझा है, क्योंकि यह स्मार्ट उपकरणों और बुनियादी ढांचा का एकीकरण करता है और वास्तवित समय में बिखरे हुए संसाधनों की बड़ी मात्रा से आंकड़ों का प्रसंस्करण करता है.
• ई-गवर्नेंस : सरकार अपने ई-गवर्नेंस पहल में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए क्लाउड आधारित एप्लीकेशन और डाटा एक्सेस मॉडल का विकल्प की पड़ताल कर रही है. देश भर में स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क्स (स्वान–एसडब्ल्यूएएन, डाटा सेंटर्स, आदि) जैसे सभी ई–गवर्नेंस मंचों को पब्लिक क्लाउड और प्राइवेट क्लाउड के विकल्प के साथ निकट भविष्य में क्लाउड वास्तुकला के दायरे में लाया जा सकता है.
• बैंकिंग क्षेत्र : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) प्रौद्योगिकी की मदद से 100 फीसदी वित्तीय समावेशन प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है. आरबीआई कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस के माध्यम से देश भर में बैंकिंग सेवा के विस्तार हेतु खासकर सहकारी बैंकों के लिए क्लाउड आधारित समाधान को शामिल कर रही है.
• इस क्षेत्र में क्लाउड कंप्यूटिंग का प्रयोग कम समयसीमा, CapEx से OpEx पर लागत का जाना और कोर बैंकिंग व्यापार पर फोकस करने पर ध्यान दिया जाएगा. देश में बैंकिंग उद्योग के लिए पहला सामुदायिक क्लाउड पहल है–इंडियन बैंकिंग कम्युनिटी क्लाउड (आईबीसीसी).
• विनिर्माण क्षेत्र : मेक इन इंडिया पहल जोर शोर के साथ चल रहा है, ऐसे में इस तकनीक का अपनाया जाना भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के लिए और अधिक प्रासंगिक हो जाता है. क्लाउड के लिए विनिर्माण के क्षेत्र में कुछ सबसे उल्लेखनीय प्रयोग क्षेत्र हैं सीआरएम और आपूर्ति श्रृंखला एप्लीकेशंस जो बाहरी हितधारकों और ग्राहकों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान कर रहे हैं. ऐसे दूसरे क्षेत्र जिसमें क्लाउड ने विनिर्माण प्रभावकारिता को बढ़ा है–डाटा वेयरहाउसिंग, सूचना सुरक्षा, ग्रीन आईटी, मानव मशीन इंटरफेस (एचएमआई) एप्लीकेशंस और अन्य हैं.
• दूरसंचार क्षेत्र : इस क्षेत्र द्वारा कई व्यापारिक एवं तकनीकी चुनौतियों के समाधान में क्लाउड मंचों पर डिप्लॉइंग ऑपरेशनल सपोर्ट सिस्टम (ओएसएस) और बिजनेस सपोर्ट सिस्टम (बीएसएस) सॉल्यूशंस बहुत प्रभावी तरीका साबित हुआ है. क्लाउड आधारित बुनियादी ढांचा संसाधन साझा करने, स्वचालन और निगरानी, सॉफ्टवेयर अपग्रेड्स प्रबंधन (लगभग शून्य डाउनटाइम के साथ) और उसी हार्डवेयर पर वर्चुअल मशीनों का प्रयोग कर संचालनों का मांग के अनुसार बढ़ाए जाने के लिए कारगर तरीका प्रदान करता है.
• स्टार्ट–अप और एसएमई : क्लाउड कंप्यूटिंग के प्रमुख लाभों में से एक है न्यूनतम पूंजीगत निवेश और नए विचारों के विपणन में तेजी. यह खासतौर पर देश में उद्यमिता को बढ़ावा देता है, स्टार्टअप्स और छोटे मझोले व्यापार को छोटे स्तर पर शुरु करने और मांग के आधार पर उनके व्यापार को बढ़ाने में सक्षम बनाता है. वर्ष 2012 और 2016 के बीच भारतीय एसएमई में क्लाउड को 20 फीसदी सीएजीआर की दर से अपनाए जाने की उम्मीद है.
• भारतीय रेलवे : रेल भाड़ा प्रबंधन और यात्री आरक्षण प्रणाली के लिए रेलवे मोबाइल तकनीक का बड़े पैमाने पर प्रयोग कर रहा है. रेलवे में जीआईएस प्रबंधन, ई–टिकट बुकिंग और रेलवे परिसरों का स्वचालित निगरानी एवं क्लाउड डाटा सेंटर्स में वीडियो लॉग के स्टोरेज के लिए रणनीतियां लागू की गईं हैं.
• शिक्षा क्षेत्र : मेघ–शिक्षक क्लाउड आधारित शिक्षण प्रबंधन प्रणाली है, जो ई–लर्निंग प्रणाली (eSikshak)के परंपरागत मॉडल को SaaS मॉडल में बदलने के उद्देश्य से विकसित हुआ है. क्लाउड आधारित eSikshak ई–लर्निंग को उत्पाद की बजाए सेवा के रूप में देता है, जो संस्थानों/ संगठनों/ व्यक्तियों को परिसर में ई–लर्निंग एप्लीकेशन को लगाने, उसके रख–रखाव और प्रबंधन के बोझ से मुक्ति दिलाता है. इसके अलावा, आईआईटी दिल्ली, इग्नू और अन्य विश्वविद्यालयों ने अपना खुद का क्लाउड इनवायरमेंट लगाया है.
• स्वास्थ्य क्षेत्र : भारतीय क्लाउड कंप्यूटिंग नवाचार परिषद (Cloud Computing Innovation council of India )ने भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र में क्लाउड सेवाओं के व्यवस्थित रूप से अपनाए जाने के लिए रूपरेखा प्रस्तावित की है. इसे ई–हेल्थ विजन (e-Health vision)के नाम से जाना जाता है. ई–हेल्थ विजन का उद्देश्य क्लाउड की सफल तैनाती के लिए स्वास्थ्य सूचना एक्सचेंज (एचआईई) प्रणाली को शामिल करना है. इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य सूचना एक्सचेंज (एचआईई) स्वास्थ्य आंकड़ों से जुड़े हितधारकों को मरीजों के महत्वपूर्ण चिकित्सा जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक रूप में सुरक्षित रखने और सटीक तरीके से उस तक पहुंचने की अनुमति देता है.
• सूचना का अधिकार : सरकार का अपने डाटाबेस का डिजिटलीकरण करना और पब्लिक डोमेन में अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए प्रभावी प्रदर्शनों हेतु आरटीआई के क्षेत्र में क्लाउड सेवाओं के अपनाए जाने की अनिवार्य आवश्यकता की मांग पर सरकार की पहल.
• मेघराज : केंद्र सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी विभाग ने (डीईआईटीवाई– DeitY) ने ‘GI Cloud’नाम से व्यापक परियोजना की शुरुआत की है. ‘GI Cloud’ मेघराज भारत सरकार का क्लाउड कंप्यूटिंग इनवायरमेंट है जिसका प्रयोग सरकारी विभाग और एजेंसियां आम प्रोटोकॉल, दिशा-निर्देश और मानकों का पालन करते हुए केंद्र और राज्यों में करेंगी.
• राष्ट्रीय ईगव (eGov) एप स्टोर : eGov एप स्टोर में नेशनल क्लाउड पर एप्लीकेशंस को होस्ट और रन ( सराकरी एजेंसियों या निजी व्यक्तियों द्वारा विकसित) करने के लिए आम मंच स्थापित करना शामिल है. केंद्र और राज्य स्तर पर अलग–अलग सरकारी एजेंसियों या विभागों द्वारा ये आसानी से अनुकूलित और विन्यासित किए जा सकते हैं. ऐसे एप्लीकेशंस को विकसित करने में किसी प्रकार का प्रयास नहीं करना होता.
उपरोक्त सरकार–नीत पहलों के अलावा, माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने भारत में तीन डाटा सेंटर बनाने की घोषणा की है जो मुख्य रूप से सरकारी विभागों, राज्य-स्वामित्व वाली एजेंसियों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा पब्लिक क्लाउड सेवाओं के अपनाने से बनेंगी. भारत में अब पब्लिक क्लाउड बाजार में माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) की हिस्सेदारी 30 फीसदी है.
भारत में क्लाउड कंप्यूटिंग के अपनाए जाने में क्या बाधाएं हैं?
भारत में क्लाउड कंप्यूटिंग की सबसे बड़ी चुनौती है डाटा सेंटर्स के लिए भरोसेमंद बुनियादी सुविधाओं की कमी. भारत में क्लाउड कंप्यूटिंग की सफलता के लिए बुनियादी डाटा सेंटर ग्रेड भौतिक बुनियादी ढांचा यानि कनेक्टिविटी, बिजली और कूलिंग (शीतलन) अनुरूप होना चाहिए.
भारत में क्लाउड सेवाओं के अपनाए जाने से संबंधित कुछ अन्य प्रमुख बाधाएं हैं–
• ऊर्जा संसाधन प्रबंधन : अनुमान के अनुसार बिजली और शीतलन की लागत डाटा सेंटर के कुल संचालन व्यय का 53 फीसदी बैठेगा. डाटा सेंटर में ऊर्जा लागत को कम करना ही एक मात्र उद्देश्य नहीं है बल्कि सराकरी नियमों और पर्यावरण मानकों को पूरा करना भी इसका उद्देश्य है.
• सर्वर का समेकन : एप्लीकेशन के प्रदर्शन को प्रभावित किए बिना सर्वर का प्रभावी समेकन प्राप्त करना ( ऊर्जा के प्रयोग को न्यूनतम करने के लिए रिमोर्ट सर्वरों का अधिकतम स्तर तक प्रयोग) प्रमुख चुनौती है.
• मंच प्रबंधन : इसमें बहु-किराएदार, लोचदार और मापनीय माहौल में एप्लीकेशंस के निर्माण, तैनाती, एकीकरण और प्रबंधन हेतु मिडलवेयर क्षमताएं प्रदान करना भी चुनौती है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation