22 मार्च 2017: विश्व जल दिवस
विश्व भर में 22 मार्च 2017 को जल दिवस के रूप में मनाया गया. आम लोगो के मध्य पानी की महत्वता एवं संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने हेतु प्रति वर्ष विश्व जल दिवस का आयोजन किया जाता है.
वर्ष 2017 के विश्व जल दिवस उत्सव हेतु विषय “अपशिष्ट जल” का चयन किया गया. वर्ष 2018 हेतु विश्व जल दिवस उत्सव का विषय “जल के लिए प्रकृति के आधार पर समाधान” निर्धारित किया गया है.
वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 मार्च को हर साल जल दिवस मनाने का निर्णय किया. पानी हम सभी प्राणियों के जीवन के लिए अहम संसाधन हैं.
जल प्रदूषण-
- बेतहाशा आर्थिक विकास, संसाधनों का अनुपयुक्त दोहन, औद्योगीकरण और जनसंख्या विस्फोट से पानी का प्रदूषण बढ़ता जा रहा है.
- अपने घर को साफ़ रखने हेतु हम घर का कचरा उठा कर नदियों और नहरो में फेंक देते हैं, इससे जल प्रदूषण होता है. अंत में वह जल जहर बन कर हमारे पेट में जा कर हमे कई बीमारियों का शिकार बनाता हैं.
- इससे पानी की खपत भी बढ़ रही है.
पिछले पांच वर्षों का जल विषय-
- वर्ष 2012 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम जल और खाद्य सुरक्षा रही.
- वर्ष 2013 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम जल सहयोग निर्धारित की गयी थी.
- वर्ष 2014 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम जल और ऊर्जा था.
- वर्ष 2015 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम जल और दीर्घकालिक विकास रहा.
- वर्ष 2016 के विश्व जल दिवस उत्सव का विषय जल और नौकरियाँ को बनाया गया.
सेंट्रल वाटर कमीशन की 1999 की रिपोर्ट-
सेंट्रल वाटर कमीशन बेसिन प्लानिंग डारेक्टोरेट, भारत सरकार की ओर से वर्ष 1999 में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार देश में घरेलू उपयोग हेतु जहां साल 2000 में 42 बिलियन क्यूबिक मीटर की जरूरत थी, वो साल 2025 में बढ़कर 73 बिलियन क्यूबिक मीटर और फिर साल 2050 में जरूरत 102 बिलियन क्यूबिक मीटर हो जाएगी.
ठीक इसी प्रकार सिंचाई, उद्योग, ऊर्जा सहित अन्य को जोड़कर सालाना जरूरत को ध्यान में रखा जाए तो साल 2000 में जहां 634 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत थी, वो साल 2025 में बढ़कर 1092 बिलियन क्यूबिक मीटर हो जाएगी और फिर साल 2050 में जरूरत 1447 बिलियन क्यूबिक मीटर होगी.
राष्ट्रीय जलनीति-
राष्ट्रीय जल नीति- वर्ष 2012 बनाई गई. इससे पूर्व राष्ट्रीय जल नीति- 1987 में भी बनाई गई. दोनों जल नितियों में लगभग समान बातें कही गई.
सुझाव-
जिन क्षेत्रों में बाढ़ आती है वहां पर देश के जमीनी क्षेत्रफल में से मात्र 5 फीसदी क्षेत्रफल में ही गिरने वाले बारिश के पानी को इकट्ठा किया जा सकें तो एक बिलियन लोगों को 100 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दिया जा सकता है.
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