पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईआईएआर) ने मिट्टी की जांच के लिए ‘सॉयल टेस्ट फर्टिलाइजर रेकोमेंडेशन मीटर’के निर्माण करने की घोषणा 15 अप्रैल 2014 की.
आईआईएआर के अनुसार इस यंत्र की कार्यप्रणाली आसान है तथा यह यंत्र एक स्टिप की सहायता से मिट्टी की रिपोर्ट देगा. इस यन्त्र की सहायता से रक्त व मूत्र जांच की तरह ही मिट्टी की जांच महज एक स्टिप की सहायता से की जा सकेगी. एक स्टिप से करीब 50 नमूनों की जांच हो सकेगी. इस यन्त्र की विशेषता यह है कि मिट्टी की जांच के नतीजों के लिए अब कई सप्ताह या महीनों का इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि जांच के नतीजे मात्र 20 मिनट में ही मिल जाएंगे. मिट्टी की जांच के साथ साथ यह यंत्र नतीजों के आधार पर उर्वरकों के उपयोग से संबंधित सलाह भी देगा. जिसके आधार पर किसान अपनी फसलों की सेहत में सुधार कर सकेंगे.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईआईएआर) के अनुसार इस यंत्र का व्यवसायिक उत्पादन शुरु हो गया है. संस्थान ने इसके व्यवसायिक उत्पादन के लिए एक निजी कंपनी से करार किया है. इस यंत्र की कीमत करीब 30 हजार रूपए है तथा इस यंत्र को कोई भी किसान पूसा स्थित संस्थान से खरीद सकता है. खरीदने वाले व्यक्ति को संस्थान की तरफ से एक प्रशिक्षण दिया जाएगा जिसकी अवधि एक से दो दिन तक की होगी.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईआईएआर) से संबंधित मुख्य तथ्य
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईआईएआर) की स्थापना मूल रूप से पूसा (बिहार) में एक अमेरिकी समाजसेवक मि.हेनरी फिप्स द्वारा दिये गए 30000 पाउन्ड् के सहयोग से वर्ष 1905 में हुई थी.
मूल रूप से इस संस्थान का नाम 'इम्पीरियल कृषि अनुसंधान संस्थान' था. सन् 1934 में बिहार में भयंकर भूकंप आया जिसमें इस संस्थान के मुख्य भवनों को काफी क्षति हुई. इसके परिणामस्वरूप उसी वर्ष इस संस्थान को नयी दिल्ली स्थानान्तरित कर दिया गया. जिसे 'पूसा कैम्प्स' कहा गया. आगे चलकर दिल्ली स्थित इस संस्थान का नाम 'भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान' कर दिया गया.
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