जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) ने "जलवायु परिवर्तन 2014: प्रभाव, अनुकूलन और भेद्यता" (Climate Change 2014: Impacts, Adaptation and Vulnerability) नामक रिपोर्ट जापान के योकोहामा में 30 मार्च 2014 को जारी की. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक चेतावनी की बढ़ती भयावहता जलवायु पर, गंभीर व्यापक और अपरिवर्तनीय प्रभाव पड़ेगा.
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर यह व्यापक वैज्ञानिक और तकनीकी मूल्यांकन दुनिया भर में जापान के योकोहामा में वैज्ञानिकों और अधिकारियों के एक हफ्ते तक चली गहन चर्चा के बाद प्रकाशित की गई थी. यह बैठक 25-29 मार्च 2014 को आयोजित की गई थी.
इस रिपोर्ट में कहा गया कि यदि दुनिया के देश गर्म होने वाली गैसों के प्रदूषण में कमी नहीं लाते तो ग्लोबल वार्मिग से होने वाला नुकसान बेकाबू हो सकता है.
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्बन उत्सर्जन से इस सदी में संघर्ष, भूख और बड़े पैमाने पर पलायन बढ़ेगा.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 21 वीं सदी में यूरोप में गर्मी की लहर, अमेरिका में जंगलों की आग, ऑस्ट्रेलिया में सूखा और मोजांबिक, थाइलैंड व पाकिस्तान की भीषण बाढ़ से पता चलता है कि किस प्रकार मानवता मौसम की मार को झेल रही है.
विदित हो कि यह रिपोर्ट ("जलवायु परिवर्तन 2014: प्रभाव, अनुकूलन और भेद्यता") आईपीसीसी की ओर से किए गए पांचवें आकलन का दूसरा अध्याय है. आईपीसीसी की स्थापना 1988 में की गई थी.
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