इटली के शोधकर्ताओं ने पहली बार अफ्रीकी पेंगुइन की भाषा डिकोड की

Aug 6, 2014, 15:27 IST

इटली के शोधकर्ताओं ने पहली बार अफ्रीकी पेंगुइन की भाषा को सफलतापूर्वक डिकोड किया.

इटली के शोधकर्ताओं ने पहली बार अफ्रीकी पेंगुइन की भाषा को सफलतापूर्वक डिकोड किया और इससे पता चला है कि पक्षियों के पास हर अवसर के लिए गीत होता है. इस बात का खुलासा द वोकल रेपर्ट्वार ऑफ द अफ्रीकन पेंगुइन (स्फेनिकस डेमेरसस): स्ट्रक्चर एंड फंग्शन ऑफ कॉल्स नाम से पीएलओएस वन नाम के जर्नल में 30 जुलाई 2014 को प्रकाशित अध्ययन से हुआ. इस अध्ययन का नेतृत्व इटली के ट्यूरिन विश्वविद्यालय के डॉ. लीविओ फावारो कर रहे थे.

अध्ययन का निष्कर्ष
इस अध्ययन के अनुसार, पेंगुइन संवाद करने के लिए छह अलग कॉल करते हैं. इन छह कॉल के अलावा, चार का इस्तेमाल व्यस्क करते हैं और इसके जरिए वे अपनी खुशी, प्यार और गुस्से का इजहार करते हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि व्यस्क पेंगुइनों के पास चार आवश्यक उच्चारण हैं जो इस प्रकार हैं–
•    पृथक पक्षियों द्वारा उत्सर्जित संपर्क ध्वनि.
•    आक्रामकता के संकेत के लिए जबरदस्ती वाली ध्वनि.
•    प्रजनन के मौसम के दौरान अकेले पक्षी द्वारा गाई गई उन्मादपूर्ण ध्वनि.
•    अपने घोंसले में पक्षी युगलों द्वारा गाया गया गाना.

बाकी दो किशोरों और मादा (बच्ची) पेंगुइनों से संबंधित हैं. बच्ची पेंगुइनों द्वारा पैदा की जाने वाली ध्वनि भूख से संबंधित है और इसे दो खाना मांगने वाली कॉल के तौर पर बताया गया है. वे हैं–
•    बेगिंग पीप्स– इसे शॉर्ट चीप्स भी कहा जाता है और इसका इस्तेमाल वे तब करती हैं जब व्यस्कों से खाना चाहती हैं.
•    बेगिंग मोन– ये आवाज घोंसले से तुरंत बाहर आने वाले उन किशोरों द्वारा पैदा किया जाता है जिन्हें अभी भी व्यस्कों से खाना चाहिए होता है.

उन्होंने (शोधकर्ताओं ) सैंकड़ों ऑडियो और वीडियो ध्वनि रिकॉर्डिंग्स को जमा कर, श्रेणीबद्ध कर और उनका विश्लेषण कर पेंगुइनों की भाषा को डिकोड किया. ये आकंड़े इटली के ट्यूरिन स्थित जूम चिड़ियाघर के 48 अफ्रीकी पेंगुइनों की बंद कॉलोनी से एकत्र किया गया था. इस समूह में 15 नर, 17 मादा, 3 से 12 माह के बीच वाले 8 युवाओं और आठ चिक्स (बच्चियों) को शामिल किया गया था.

उच्चारण के अपने इस खोज में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि पेंगुइन साइरिंक्स के जरिए आवाज पैदा करती हैं जो कि स्तनधारियों के गले से अलग है. साइरिंक्स में दो हिस्से होते हैं और इसमें दाईं एवं बाईं तरफ मांसरपेशियों और झिल्ली की स्पष्ट स्वतंत्र सेट होती है. इनका संचार एक प्रकार की हार्मोनिक संरचना है और बातचीत के दौरान ये खड़े होकर अपने आधी खुली चोंच से आवाज निकालती हैं. इस दौरान, ये अपना गला जितना संभव हो सके उतना उपर की तरफ बढ़ा लेती हैं.

शोधकर्ताओं ने यह भी दावा किया है कि पेंगुइनों के जैसे कई पक्षी एक ही समय में दो स्वतंत्र संकेत दे सकते हैं.

अफ्रीकी पेंगुइन (स्फेनिसकस डेमेरसस) प्रजाति को जैकएस पेंगुइन और ब्लैक–फुटेड पेंगुइन के नाम से भी जाना जाता है और यह दक्षिणी अफ्रीकी पानी में ही पाए जाते हैं.

Jagran Josh
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Education Desk

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