उड़िया भाषा की लेखिका डॉ प्रतिभा राय को वर्ष 2011 के लिए 47वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से 22 मई 2013 को सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नई दिल्ली स्थित संसद भवन के पुस्तकालय भवन के बालयोगी सभागार में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभा राय को यह पुरस्कार प्रदान किया.
डॉ प्रतिभा राय
• उन्होंने उपन्यास, लघु कथाएं, बाल कहानियां, आत्मकथा, अनुवाद सहित कई खंडों में गीतों की रचना की.
• ओडिशा के बोंडा पहाड़ियों के बोंडा जनजाति पर उनके नृशास्त्रीय अध्ययन को अधिभूमि नाम से प्रकाशित किया गया. इसे नृशास्त्रीय अध्ययन पर एक श्रेष्ठ कृति माना जाता है.
• उनका उपन्यास मगनमति वर्ष 1999 के महा चक्रवात पर आधारित है. यह उनकी सर्वोत्कृष्ट रचना मानी जाती है.
• डॉ प्रतिभा राय के 20 उपन्यास, 24 लघुकथा संग्रह, 10 यात्रा वृतांत, दो कविता संग्रह और कई निंबंध प्रकाशित हुए हैं. इसमें यज्ञनासैनी, शिल पदम, महामोह, उत्तर मार्ग और द्रोपदी प्रमुख हैं.
• उनकी प्रमुख रचनाओं का देश की प्रमुख भाषाओं में और अंग्रेजी सहित दूसरी विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ है.
• डॉ प्रतिभा राय मूर्तिदेवी पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला हैं. यह पुरस्कार उन्हें वर्ष 1991 में उपन्यास यज्ञनासैनी के लिए दिया गया था.
• इनका पहला उपन्यास वर्षा बसंत बैशाखा है.
• डॉ प्रतिभा राय को वर्ष 2000 में लघुकथा संग्रह उल्लंघन के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से, वर्ष 2007 में पदमश्री से सम्मानित किया गया था.
ज्ञानपीठ पुरस्कार
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है. ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है. यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में से किसी भाषा के लेखक को प्रदान किया जाता है.
• वर्ष 2011 से पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपए नकद, शॉल व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है. इसके पहले इस सम्मान के तहत 7 लाख रुपए नकद दिए जाते थे.
• वर्ष 2011 में भारतीय ज्ञानपीठ ने पुरस्कार राशि को 7 से बढ़ाकर 11 लाख रुपए किए जाने का निर्णय लिया था.
• वर्ष 1965 में 1 लाख रुपए की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को वर्ष 2005 में 7 लाख रुपए कर दिया गया.
• वर्ष 2005 के लिए चुने गए हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थें जिन्हें 7 लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ.
• वर्ष 2011 तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार यह पुरस्कार पा चुके हैं.
• यह पुरस्कार बांग्ला भाषा को 5 बार, मलयालम को 4 बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार दिया जा चुका है.
• वर्ष 1982 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिए दिया जाता था. लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने लगा.
• प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था. उस समय पुरस्कार की धनराशि 1 लाख रुपए थी.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation