उत्तर प्रदेश विधानसभा ने उत्तर प्रदेश जल-प्रबंधन और विनियामक आयोग विधेयक 2014 ध्वनि मत से 25 फरवरी 2014 को पारित कर दिया. विधानसभा के इस अनुमोदन से पानी के उचित उपयोग के उपाय सुझाने वाले निकाय के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया.
प्रस्तावित विनियामक निकाय पानी के वाणिज्यिक, सिंचाई और घरेलू उपयोग के लिए टैरिफ सुझाएगा और वह राज्य सरकार के अधीन कार्य करेगा.
उत्तर प्रदेश जल-प्रबंधन और विनियामक आयोग विधेयक 2014 अब अनुमोदन के लिए विधान परिषद को भेजा जाएगा. विधानसभा और विधान परिषद दोनों में पारित होने के बाद विधेयक हस्ताक्षर के लिए राज्य के राज्यपाल के पास भेजा जाएगा.
विधेयक को विधानसभा में पीडब्ल्यूडी मंत्री शिवपाल यादव द्वारा प्रस्तुत किया गया. उसमें किए गए प्रस्ताव के अनुसार आयोग में एक अध्यक्ष और अधिकतम पाँच सदस्य होंगे.
विधेयक में यह भी कहा गया है कि अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के लिए व्यक्ति के पास स्नातक की डिग्री और प्रशासनिक कार्यों का न्यूनतम 25 वर्ष का अनुभव होना चाहिए और वह राज्य सरकार या केंद्र सरकार के मुख्य सचिव के पद पर रह चुका होना चाहिए. अध्यक्ष या सदस्य का कार्यकाल दो वर्ष तय किया गया है, जिसे लगातार दो कार्यकालों के लिए बढ़ाया जा सकेगा.
विधेयक किसी भूतपूर्व विधायक या सांसद को आयोग का अध्यक्ष या सदस्य बनने से मनाही भी करता है.
विदित हो कि राज्य में पहले भी इस तरह का एक आयोग था, जिसका गठन 2008 में किया गया था, किंतु उसे 2012 में राज्य में समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने के बाद भंग कर दिया गया था.
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