जापान की मरीन-अर्थ साईंस एंड टेक्नोलोजी के शोधकर्ताओं ने 6 जनवरी 2010 को स्पष्ट किया कि वे समुद्र-तल में स्थित कार्बन डाईऑक्साइड से मिथेन गैस बनाने की दिशा में शोध कर रहे हैं. मिथेन गैस प्राकृत गैस का प्रमुख अवयव है और इस शोध की सफलता वैश्विक ताप वृद्धि को कम कर सकती है. शोधकर्ताओं के अनुसार जमीन पर ऐसे बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो कार्बन डाईऑक्साइड को मिथेन में बदलने की क्षमता रखते हैं. लेकिन यह प्रक्रिया करोड़ों वर्षों में होती है. शोधकर्ताओं का प्रयास इस बैक्टीरिया को उत्प्रेरित कर 100 वर्ष में मिथेन गैस उत्सर्जन करवाना है.
महत्वपूर्ण तथ्य
जापान पेट्रोलियम और प्राकृत गैस की अपनी खपत का 99.7 फीसदी हिस्सा बाहरी मुल्कों से खरीदता है. इस क्षेत्र में अपनी निर्भरता बढ़ाने के लिए जापान का समुद्र-तल से मिथेन हाइड्रेट का खनन करने का विचार है. मिथेन हाइड्रेट जापान के आसपास समुद्र-तल में बहुतायत में हैं. खनन में सफलता का मतलब होगा – जापान की अमेरीका और अन्य देशों से सैन्य और कूटनीतिक संबंधों में बदलाव.
मिथेन हाइड्रेट मिथेन गैस का जमा हुआ रूप होता है, जो उच्च दाब और कम तापमान में पाया जाता है. जैसे समुद्र-तल से 1000-1500 मीटर नीचे. मिथेन प्राकृत गैस का एक अवयव होने के कारण अन्य संभावित ऊर्जा के रूप में देखा जा रहा है. अमेरिका, चीन, कनाडा और दक्षिण कोरिया भी इस क्षेत्र में शोध कर रहे हैं.
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