भारत सरकार ने देश में चीनी के अतिरिक्त उत्पादन की संभावना को देखते हुए इसका निर्यात बढ़ाने का निर्णय किया. इसके तहत केद्र सरकार ने निर्यात के नियमों में रियायत देते हुए निर्यात सौदा पंजीकरण के लिए प्रति आवेदन की अधिकतम मात्रा बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई. यह घोषणा विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 15 नवंबर 2013 को की.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के सर्कुलर के अनुसार निर्यात सौदे के पंजीकरण के लिए प्रति आवेदन चीनी की अधिकतम मात्रा 25,000 टन से बढ़ाकर 50,000 टन कर दी गई. इस सर्कुलर के जारी होने के साथ ही निर्यातक दोगुनी मात्रा चीनी निर्यात का सौदा पंजीकृत करा सकेंगे.
सितंबर 2013 में समाप्त हुए बीते वर्ष 2012-13 में 3.2 लाख टन चीनी का ही निर्यात हो पाया. विश्व के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश भारत में चालू वर्ष के दौरान 250 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की संभावना है. जबकि घरेलू मांग 230 लाख टन ही रहने का अनुमान है.
भारत दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है जबकि उपभोग के मामले में पहले स्थान पर है.
विदेश व्यापार महानिदेशक ने अक्टूबर 2013 से सितंबर 2014 की अवधि में यूरोपीय संघ को 10,000 टन सफेद चीनी के निर्यात की अनुमति दी है. भारत ने यूरोपीय संघ के साथ चीनी के निर्यात के लिए तरजीही कोटा व्यवस्था कर रखी है.
विश्लेषण
चीनी निर्यात के आवेदन की दोगुनी मात्रा की रियायत से निर्यातकों को अधिक कच्ची चीनी (रॉ शुगर) का निर्यात करने की स्वतंत्रता होगी. विपणन वर्ष 2013-14 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का उत्पादन 250 लाख टन रहा जबकि पिछले साल यह 251 लाख टन था. निर्यात से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होगी. विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से रुपए की कीमत में भी वृद्धि होगी. इस्मा ने मौजूदा मार्केटिंग वर्ष 2013-14 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 30-40 लाख टन चीनी निर्यात करने का लक्ष्य रखा है.
विदित हो उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) काफी समय से निर्यात नियमों में रियायत देन की मांग करती रही है. इस्मा का कहना है कि देश में चूंकि चीनी का उत्पादन घरेलू मांग से ज्यादा है, इसलिए निर्यात को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
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