भारत और तंजानिया के मध्य 27 मई 2011 को दार-ए-सलाम में दोहरे कराधान से बचाव से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया. इसका उद्देश्य दोहरे कराधान से बचाव (डीटीएए) और आय पर करों के संबंध में वित्तीय अपवंचन की रोकथाम करना है. इस समझौते पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और तंजानिया के राष्ट्रपति किकवेटे की उपस्थिति में भारत सरकार की ओर से भारत के उच्चायुक्त केवी भागीरथ द्वारा और तंजानिया की ओर से उप वित्त मंत्री पेरिरा अमे सिलिमा ने हस्ताक्षर किया. समझौते निम्नलिखित प्रावधान किए गए.
1. यदि एक उद्यम की गतिविधियां स्रोत देश में स्थाई रूप से स्थापित होती हैं तो स्रोत देश में व्यापारिक लाभ कर के अधीन होंगे. स्थाई स्थापनाओं में एक ब्रांच, फैक्ट्री आदि शामिल हैं.
2.यदि किसी देश में कोई परियोजना 270 दिनों से ज्यादा जारी रहती है तो स्रोत देश में निर्माण, स्थापित परियोजानाओँ के लाभ पर कर लिया जाएगा.
3. लाभांश, ब्याज और रॉयल्टी से होने वाली आय भी दोनों देशों में कर योग्य होगी, हालांकि स्रोत देश में कर की अधिकतम दर लाभांशों के मामले में पाँच से दस प्रतिशत से और ब्याज एवं रॉयल्टी के मामले में दस प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी.
यह समझौता भारत और तंजानिया के निवासियों को कर में स्थिरता के साथ-साथ भारत और तंजानिया के बीच परस्पर आर्थिक सहयोग की सुविधाओं के अलावा निवेश का बेहतर प्रवाह, तकनीकी और सेवाएं भी प्रदान करेगा.
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