सर्वोच्च न्यायालय ने किशोर न्याय कानून में किशोर की परिभाषा की समीक्षा करने का निर्णय किया. सर्वोच्च न्यायालय ने अटार्नी जनरल को उस याचिका पर न्यायालय की सहायता करने का निर्देश भी दिया, जिसमें 18 वर्ष तक की आयु के किशोरों को अत्यधिक गम्भीर अपराध करने पर वयस्कों की तरह मुकदमा चलाने से मुक्त रखने की व्यवस्था को चुनौती दी गई है. न्यायालय ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 3 अप्रैल 2013 की तिथि निर्धारित की है.
विदित हो कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की घटना में एक किशोर के शामिल होने के मद्देनजर किशोर अपराधी की उम्र की सीमा 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष करने की व्यापक मांग की जा रही है.
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