सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 15 अप्रैल 2014 को सरकारी महिला कर्मचारियों को अपने बच्चों के देखभाल हेतु दो वर्ष के अवकाश की अनुमति प्रदान की गई.
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार नाबालिग बच्चों की देखभाल के लिए सरकारी महिला कर्मचारी लगातार दो वर्ष का अवकाश ले सकतीं है.
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार लगातार दो वर्ष का अवकाश सरकारी महिला कर्मचारियों को बच्चों की परीक्षा और बीमारी के कारण भी मिल सकती है. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय एवं वी गोपाला गौडा की पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के पोर्ट ब्लेयर खंडपीठ द्वारा एक सरकारी महिला कर्मचारी काकली घोष के मामले में दिए गए फैसले को खारिज करते हुए उपरोक्त निर्देश दिया.
सरकारी महिला कर्मचारी काकली घोष ने अपनी याचिका में कलकत्ता हाई कोर्ट के 18 सितंबर, 2012 के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय सिविल सेवा अवकाश नियमावली के अनुसार सीसीएल (बच्चों की देखभाल संबंधी छुट्टी) के तहत लगातार 730 दिन यानी दो वर्ष के अवकाश की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
विदित हो कि काकली घोष ने अपने बेटे की दसवीं की परीक्षा की तैयारी के लिए दो वर्ष के अवकाश की मांग की थी, जिसे सरकार ने खारिज किया था.
सर्वोच्च न्यायालय ने काकली घोष से संबंधित फैसले में कहा कि, ‘नियम 43-सी के अनुसार अगर महिला कर्मचारी के दो नाबालिग (18 वर्ष से कम उम्र के) बच्चे हैं तो वह अपने पूरे कार्यकाल में एक बार लगातार दो वर्ष यानी 730 दिनों की छुट्टी ले सकती है.’ इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि सीसीएल अवकाश की अवधि को 730 से अधिक भी बढ़ाया जा सकता है बशर्ते महिला कर्मचारी के पास अन्य छुट्टियां शेष हों.
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