सर्वोच्च न्यायालय ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को गिरफ्तार करने का आदेश 26 फरवरी 2014 को जारी किया. न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी का आदेश उनकी दो कंपनियों द्वारा निवेशकों को 24000 करोड़ रुपये वापस नहीं किए जाने के मामले में अदालत में उनकी गैरहाजिरी के बाद दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी 92 वर्षीया मां की बीमारी के आधार पर अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न होने की अपील को खारिज कर गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने 31 अगस्त 2012 को अपने आदेश में सहारा की दो कंपनियों को करीब 3 करोड़ निवेशकों से उगाहे गए 24000 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया था. इस मामले में तीन अन्य निदेशकों के साथ सुब्रत रॉय पर अदालत की अवमानना का केस भी चल रहा है.
हालांकि सहारा के अनुसार उसने 2000 करोड़ रुपये के अलावा निवेशकों को सारी धनराशि वापस कर दी है और उसने बाजार नियामक सेबी के पास 5120 कोरड़ रुपये भी जमा कराए हैं लेकिन सहारा की कंपनियां सर्वोच्च न्यायालय की जांच में धन वापसी का साक्ष्य पेश करने में विफल रहीं.
सहारा–सेबी विवाद
• क्या सेबी या केंद्रीय कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के पास सहारा की दो असूचीबद्ध संस्थाओं द्वारा बांड के माध्यम से पैसा जुटाने की जांच करने का अधिकार है.
• क्या 50 से ज्यादा लोगों से यहां तक की प्राइवेट प्लेसमेंट के जरिए फंड जुटाना सार्वजनिक प्रस्ताव है.
• वर्ष 2008 में सहारा समूह के दो कंपनियों ने कंपनियों के दो कुलसचिव (आरओसी) से पूर्ण वैकल्पिक परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) के जरिए प्राइवेट प्लेसमेंट के माध्यम से फंड जुटाने की मंजूरी मांगी. 3 करोड़ निवेशकों से पैसे जुटाए.
• वर्ष 2009 में सहारा प्राइम सिटी ने जनता के बीच जाने के लिए सेबी से संपर्क किया. सेबी ने सहारा समूह की कंपनियों को ओएफसीडी के जरिए जुटाए गए पैसों को वापस करने को कहा.
• अप्रैल 2010 में सेबी ने आरओसी को निवेशकों की शिकायतें भेंजीं.
• सर्वोच्च न्यायालय में केस की सुनवाई हुई और सहारा समूह को 24000 करोड़ रुपये ब्याज के साथ निवेशकों को लौटाने को कहा गया.
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