भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रमाणीकरण के मुद्दों पर विचार करने के लिए चलचित्र अधिनियम 1952 के अधीन एक समिति का गठन किया. यह समिति पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्ती मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुद्गल की अध्यपक्षता में गठित की गई. समिति के सदस्यों में फिल्म प्रमाणन अपीली न्यायाधिकरण (एफसीएटी) के अध्यक्ष ललित भसीन, अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, गीतकार जावेद अख्तर, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की अध्यक्ष लीला सैमसन, फिल्म फेडेरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एल सुरेश, वकील रमीजा हकीम और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव राघवेंद्र सिंह शामिल हैं. समिति द्वारा 2 महीनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपी जानी है.
समिति द्वारा सेंसर बोर्ड के कार्यकलापों और कानूनी अधिकारों की समीक्षा की जानी है और आवश्यरक कानूनी बदलावों की सिफारिश भी की जानी है. इसके अलावा सिनेमा हालों में फिल्मों की नकल उतारने और उनकी अवैधानिक प्रतियां बनाने के संदर्भ में अधिनियम के अंतर्गत की जाने वाली कानूनी कार्रवाई का जायजा भी समिति द्वारा लिया जाना है. इसके संबंध में प्रभावी कानूनी उपायों की सिफारिश भी की जानी है. समिति अन्य. मुद्दों, जिन्हें वह जरूरी समझती है, पर भी विचार कर सकती है. सिनेमा के प्रमाणीकरण संबंधी मुद्दों पर भी इस समिति द्वारा विचार किया जाना है.
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