औरंगज़ेब 1658 मे मुगल साम्राज्य की गद्दी पर बैठा। उसने आलमगीर का खिताब ग्रहण किया। वह इस्लाम का बहुत ही उत्साही अनुयायी था। उसके धार्मिक स्वभाव की प्रमुख झलकियां निम्नलिखित हैं-
• औरंगजेब ने मंदिरो को तोड़ा और मूर्तियो को नष्ट किया ।
• वो एक फकीर की तरह रहता था इसीलिए उसे ज़िंदा फकीर कहा जाता है ।
• उसने अपने जीवन मे कभी शराब नही पी और वह ज़मीन पर सोता था।
• वह अपने खाली समय मे टोपियां बुनता था।
• उसने संगीत पर प्रतिबंध लगाया था।
• उसने जज़िया कर को दोबारा लागू किया था।
परिणाम
औरंगज़ेब के शासन के खिलाफ भारत के अनेक भागो मे विद्रोह हुए। जिनमे जाट ,मराठा,बुंदेल और सिखो का विद्रोह प्रमुख हैं। इससे मुगल साम्राज्य की नींव कमज़ोर होने लगी जोकि अकबर के समय से धार्मिक सहिष्णुता पर टिकीं थी। औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य बहुत तेज़ी से टुकड़ो मे बंट गया और आखिरकार अंग्रेज़ो ने इसका अंत कर दिया ।
मृत्यु
औरंगज़ेब की मृत्यु 1707 मे हुई और उसे औरंगाबाद के निकट खुलदाबाद मे दफनाया गया। उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटों मे गद्दी की लड़ाई छिड़ गई।
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