भगवान शिव दुनिया के सभी धर्मों का मूल हैं और हिन्दू धर्म में भगवान शिव को मृत्युलोक का देवता माना गया है. भगवान शिव अजन्मे माने जानते हैं, ऐसा कहा जाता है कि उनका न तो कोई आरम्भ हुआ है और न ही अंत होगा। इसीलिए वे अवतार न होकर साक्षात ईश्वर हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार कैलाश पर्वत को भगवान शंकर का निवासस्थान माना जाता है. लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते हैं. इसके अलावा कैलाश पर्वत की चोटियों के बीच स्थित झील को “मानसरोवर झील” के नाम से जाना जाता है. कैलाश पर्वत को दुनिया के सबसे रहस्यमयी पर्वतों में से एक माना जाता है. इस लेख में हम कैलाश पर्वत से जुड़े 9 रोचक तथ्यों का विवरण दे रहे हैं.
कैलाश पर्वत से जुड़े 9 रोचक तथ्य
1. चार महान नदियों का उद्गम स्थल
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कैलाश पर्वत चार महान नदियों सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा का उद्गम स्थल है. इसके अलावा इसकी चोटियों के बीच दो झील स्थित हैं. पहला झील, मानसरोवर झील जो दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित शुद्ध पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और इसका आकर सूर्य के सामान है. दूसरा झील, राक्षस झील है जो दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और इसका आकार चन्द्रमा के सामान है.
2. मानसरोवर झील में नहाने से पापों से मुक्ति
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यदि आप कैलाश पर्वत की यात्रा करते हैं तो मानसरोवर झील में स्नान करने का सबसे उपयुक्त समय प्रातः 3 बजे से 5 बजे का है, जिसे ब्रह्ममुहूर्त के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस समय देवता भी स्नान करने के लिए इस झील पर आते है. हिन्दू पौराणिक कथाओं में इस बात का भी उल्लेख किया गया है, कि मानसरोवर झील में पवित्र डुबकी लगाने से पिछले 7 जन्मों के सभी पाप मिट जाते हैं.
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3. मानसरोवर झील के पिघलने पर मृदंग की आवाज आती है
गर्मी के दिनों में जब मानसरोवर झील की बर्फ़ पिघलती है, तो एक प्रकार की आवाज़ भी सुनाई देती है. श्रद्धालुओं का मानना है कि यह मृदंग की आवाज़ है. मान्यता यह भी है कि मानसरोवर झील में एक बार डुबकी लगाने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद “रुद्रलोक” पहुंच जाता है. इसके अलावा कैलाश पर्वत के ठीक नीचे मृत्यलोक स्थित है, जिसकी बाहरी परिधि 52 किमी है.
4. समय तेजी से बीतता है
आप मानें या न मानें, लेकिन कैलाश पर्वत पर समय तेजी से बीतता है. वहां जाने वाले यात्रियों और वैज्ञानिकों ने अपने बाल और नाखूनों की तेजी से बढ़ते हुए देखा है, जिसके आधार पर उनका अनुमान है कि कैलाश पर्वत पर समय तेजी से बीतता है. हालांकि वैज्ञानिक अभी तक इसके पीछे के कारणों को ढूंढने में विफल रहे हैं.
5. रहस्यमय भौगोलिक स्थिति
इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6714 मीटर है. इसके चोटी की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है, जिस पर सालों भर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है. कैलाश पर्वत पर चढना निषिद्ध माना जाता है परन्तु 11 सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढाई की थी.
6. कैलाश पर्वत अपनी स्थिति बदलता रहता है
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बहुत से लोगों ने कैलाश पर्वत की चोटी पर पहुंचने की कोशिश की है, लेकिन कभी-कभी अत्यधिक खराब जलवायु परिस्थितियों के कारण और कभी-कभी पहाड़ द्वारा अपने लक्ष्य स्थान को बदलने के कारण कोई भी अपने प्रयास में सफल नहीं हुआ है. जी हां, आपने इसे सही पढ़ा! लोगों को ऐसा महसूस होता है कि कैलाश पर्वत की चोटी पर चढ़ने के दौरान वे अपने रास्ते से भटक जाते थे.
7. सूर्योदय के दौरान रहस्यमय स्वास्तिक का दिखना
कैलाश पर्वत के ठंडे पहाड़ों पर जब सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें पड़ती है तो विशाल स्वास्तिक की आकृति बनती है, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि भगवान सूर्य भगवान शिव को श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
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8. कैलाश पर्वत से ॐ की ध्वनि प्रतिध्वनित होती है
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कैलाश परावत को ॐ पर्वत के रूप में भी जाना जाता है. तीर्थयात्रियों का कहना है कि कैलाश पर्वत पर पहुंचने पर ॐ की आवाज़ सुनाई पड़ती है. इसके अलावा तीर्थयात्रियों का यह भी कहना है कि भगवान शिव के निवासस्थान के रूप में प्रसिद्ध इस स्थान एक अद्भुत शांति की अनुभूति होती है.
9. चारों ओर एक अलौकिक शक्ति
कैलाश पर्वत और उसके आस पास के वातावरण पर अध्यन कर रहे वैज्ञानिक ज़ार निकोलाइ रोमनोव और उनकी टीम ने तिब्बत के मंदिरों में धर्मं गुरूओं से मुलाकात की थी. उन धर्म गुरूओं ने बताया कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरूओं के साथ टेलिपेथी संपर्क करते है.
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