उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। साथ ही, यह भारतीय संस्कृति का प्रतिबिंब भी है, जो हमें भारतीय संस्कृति से रूबरू करवाता है। इस कड़ी में यहां की नौटंकी कला भी प्रमुख रही है, जिसे पूरे प्रदेश में खूब पसंद किया जाता है।
यही वजह है कि इस नौटंकी को लेकर पूरे प्रदेश में कार्यक्रम में आयोजित किए जाते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि यूपी में एक जिला ऐसा भी है, जिसे नौटंकी का शहर भी कहा जाता है। कौन-सा है यह जिला, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
उत्तर प्रदेश का परिचय
उत्तर प्रदेश कुल 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। भारत का यह राज्य पूरे देश का करीब 7.33 फीसदी हिस्सा है। साल 2011 में यहां की आबादी 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी, जो कि वर्तमान में 24 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। प्रदेश में कुल 351 तहसील, 17 नगर निगम, 28 विकास प्राधिकरण और 5 विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण मौजूद हैं।
उत्तर प्रदेश में कुल कितने जिले हैं
उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। ये सभी मंडल कुल चार संभागों का हिस्सा हैं, जिनमें पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल और बुंदेलखंड शामिल हैं। कुछ किताबों में आपको रोहिलखंड और बघेलखंड का भी जिक्र मिलेगा।
नौटंकी का महत्त्व
नौटंकी सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि यह एक ऐतिहासिक विरासत है, जो ग्रामीण संस्कृति का अभिन्न अंग मानी जाती है। इसका उपयोग सामाजिक जागरूकता के लिए किया जाता है।
इनके माध्यम से ईमानदारी, साहस, प्रेम, आस्था और देशभक्ति का प्रचार किया जाता है। पुराने समय में ग्रामीण इलाकों में दूर-दूर से लोग नौटंकी देखने के लिए पहुंचा करते थे और नौटंकी का आयोजन रात भर किया जाता था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ‘सुल्ताना डाकू’ जैसी नौटंकी प्रमुख हुआ करती थी, जो कि अंग्रेजों का जुल्म को लोगों को दिखाती थी।
कौन-सा जिला कहलाता है नौटंकी का शहर
यूं तो नौटंकी पूरे प्रदेश में प्रचलित नाट्य कला है। हालांकि, नौटंकी की उत्पत्ति को लेकर हाथरस का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। यहां की अपनी शैली है, जो कि नौटंकी के पुराने स्वरूप को दर्शाती है। यहां की नौटंकी में संवादों में काव्यात्मक शैली होती है, जिसमें छंद, दोहे और गीतों का अधिक प्रयोग किया जाता है।
कानपुर का नाम भी है प्रमुख
आपको बता दें कि नौटंकी में उत्तर प्रदेश के कानपुर का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। कानपुर की अपनी शैली है, जिसमें अभिनय और त्वरित संवाद पर अधिक जोर दिया जाता है। हालांकि, यहां की शैली में आधुनिकता शामिल होती है, जिसे आज की बोलचाल भाषा से जोड़ा जाता है।
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